नई दिल्ली . दिल्ली सरकार से जुड़ा सर्विस बिल लोकसभा में पेश किया गया. बिल पर कल बहस होगी. बिल पेश होने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, इस सदन को कानून बनाने का अधिकार है. दूसरा सुप्रीम कोर्ट के आदेश में ही कहा है कि यदि केंद्र सरकार को लगता है तो वो कानून बना सकता है.
मॉनसून सत्र के दौरान संसद में दिल्ली सेवा बिल पेश कर दिया है. केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बिल पेश किया. खास बात है कि इस दौरान कांग्रेस बिल के खिलाफ ओडिशा में सत्तारूढ़ दल बीजू जनता दल साथ आए. मंगलवार को बिल पेश होने के साथ ही कांग्रेस ने इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन बताया है. फिलहाल, लोकसभा की कार्यवाही को 3 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया है.
पहले कहा जा रहा था कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश कर सकते हैं. दरअसल, बिल पेश का करने का मकसद उस अध्यादेश की जगह लेना है, जिसे सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद लाई थी. 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आए फैसले में दिल्ली में नौकरशाहों से जुड़े अधिकारों को दिल्ली सरकार को दे दिए थे.
गृहमंत्री शाह ने जीएनसीटी (संशोधन) बिल को लेकर लोकसभा में कहा, ‘संविधान ने सदन को दिल्ली से जुड़े किसी भी कानून को पास करने की अनुमति दी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि संसद दिल्ली से जुड़े किसी भी कानून को ला सकती है. सारी आपत्तियां राजनीतिक हैं. कृपया मुझे इस बिल को पेश करने दें.’
विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इसका विरोध किया और कहा कि केंद्र सरकार संविधान को कमजोर कर रही है. अधीर रंजन ने यह भी कहा कि ये दिल्ली सरकार के अधिकारों को कम करने का प्रयास है. उन्होंने कहा कि बिल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है.
दिल्ली में केंद्र सरकार की मर्जी चलेगी या राज्य सरकार की? इसको लेकर जमकर बवाल हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े मामलों में दिल्ली सरकार को शक्तियां सौंपी थी. इसमें अधिकारियों की ट्रांस्फर-पोस्टिंग भी शामिल है. लेकिन केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटते हुए 19 मई को एक अध्यादेश यानी ऑर्डिनेंस लेकर आई. इस ऑर्डिनेंस ने सुप्रीम कोर्ट से मिली शक्तियों को एक बार फिर दिल्ली सरकार से छीन लिया. अब इसी ऑर्डिनेंस को बिल के रूप में संसद में पेश किया गया है. यह ऑर्डिनेंस या बिल केंद्र सरकार को दिल्ली में एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज के मामले में दिल्ली सरकार से ज्यादा पावर देता है.