नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यकारी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है. इस बैठक में स्नातक पाठ्यक्रमों को पूरा करने के लिए दो साल का अतिरिक्त समय दिया जा सकता है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के मौजूदा नियमों के मुताबिक, फिलहाल तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रमों को पूरा करने के लिए प्रवेश के पहले वर्ष से छह साल का समय दिया जाता है. सत्र 2016-17 में प्रवेश ले चुके स्नातक के सभी छात्र-छात्राएं जो किसी भी कारण से अपने डिग्री प्रोग्राम के लिए निर्धारित न्यूनतम अवधि के भीतर पाठक्रम को पूरा नहीं कर सके हैं, बैकलॉग को क्लीयर करने के लिए उन्हें अतिरिक्त दो साल की अनुमति दी जा सकती है.

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कार्यकारी परिषद के आधिकारिक दस्तावेजों में कहा गया है कि असाधारण परिस्थितियों में एक वर्ष का और विस्तार दिया जा सकता है, हालांकि असाधारण परिस्थितियों को विश्वविद्यालय के संबंधित निकाय द्वारा स्पष्ट किया जाएगा. प्रोफेसर आभा देव हबीब ने इस नई व्यवस्था पर कहा कि इन प्रस्तावित संशोधनों का स्वागत है. विश्वविद्यालय को विशेष अवसर प्रावधान को बहाल करने पर विचार करना चाहिए, जो पहले से मौजूद था.

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गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में शुक्रवार 29 अक्टूबर को विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक होने जा रही है. इस बैठक के लिए तय किए गए कुछ एजेंडा प्रावधानों को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ यानी डूटा ने भी अपनी आपत्ति दर्ज की है. दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा सहायक प्रोफेसर्स की भर्ती प्रक्रिया के लिए यह नए प्रावधन किए गए हैं. शिक्षकों ने इस प्रावधान पर विरोध जताते हुए कहा है कि इससे दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यरत 4000 शिक्षक तदर्थ और अस्थायी शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे.

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इस बीच शिक्षण और अनुसंधान में उत्कृष्टता की समृद्ध परंपरा को कायम रखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रेणी में क्लेरिवेट इंडिया रिसर्च एक्सीलेंस साइटेशन अवार्डस 2021 प्राप्त किया है. क्लेरिवेट इंडिया रिसर्च एक्सीलेंस सिटेशन अवार्डस 2021 अपने 8वें संस्करण में हैं और हर दो साल में एक बार दिए जाते हैं.