राजधानी को हर साल सर्दियों में घेरने वाले प्रदूषण के कुहासे से बचाने के लिए दिल्ली सरकार ने ‘विंटर एक्शन प्लान 2025-26’ लागू कर दिया है। अक्टूबर से फरवरी तक चलने वाले इस अभियान का उद्देश्य है। साफ हवा, सर्दी में राहत और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी। सरकार का कहना है कि यह योजना सात थीम और 25 एक्शन पॉइंट्स पर आधारित होगी, जिनके ज़रिए प्रदूषण के सभी प्रमुख स्रोतों को कवर किया जाएगा। इस मिशन में 30 से अधिक एजेंसियों को जिम्मेदारी दी गई है, ताकि निगरानी, सफाई, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण, कचरा प्रबंधन और सार्वजनिक जागरूकता जैसे सभी मोर्चों पर समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

दीपावली से पहले राजधानी की हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में

आनंद विहार, अक्षरधाम, वज़ीरपुर और जहांगीरपुरी जैसे इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 के पार दर्ज किया गया, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक स्तर माना जाता है। इधर, मौसम में ठंडक बढ़ने और हवाओं की गति धीमी होने से प्रदूषक तत्वों के फैलाव में बाधा आ रही है, जिससे हवा की गुणवत्ता और गिरती जा रही है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए सरकार ने दो दिन पहले ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लेवल-1’ लागू कर दिया है। इसके तहत सड़कों की सफाई, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण, और खुले में कूड़ा जलाने पर सख्ती जैसे कदम शुरू कर दिए गए हैं।

आनंद विहार में सबसे ज्यादा प्रदूषित हवा

शुक्रवार सुबह नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी के कई इलाकों में हवा ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच चुकी है। सबसे ज्यादा खराब हालात आनंद विहार और अक्षरधाम में दर्ज किए गए, जहां AQI स्तर 369 तक पहुंच गया। वहीं, वज़ीरपुर में 329, जहांगीरपुरी में 324 और बुराड़ी में 306 का स्तर रिकॉर्ड किया गया  जो सभी “बेहद खराब” श्रेणी में आते हैं। इसके अलावा, द्वारका: 297, पटपड़गंज: 255, ओखला: 253 ,रोहिणी: 243 ,सोनिया विहार: 239, लोधी रोड: 207, नजफगढ़: 209, इन सभी इलाकों में हवा “खराब” श्रेणी में बनी हुई है। मौसम विभाग का कहना है कि ठंडी हवाओं की रफ्तार कम होने और नमी बढ़ने से प्रदूषक कण वातावरण में फंस रहे हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो दीपावली के आस-पास हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर श्रेणी’ में पहुंच सकती है।

सख्त निगरानी और जवाबदेही पर जोर

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा की अध्यक्षता में शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक हुई। बैठक में फैसला लिया गया कि इस सर्दी प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े नियमों में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाएगी। मंत्री सिरसा ने सभी विभागों को सख्त निर्देश देते हुए कहा “धूल नियंत्रण, निर्माण स्थलों के नियमों का पालन और उद्योगों का पीएनजी (PNG) पर संचालन — ये तीनों हमारी शीर्ष प्राथमिकता हैं। हर विभाग को गति और फोकस के साथ काम करना होगा।”  बैठक में यह भी तय हुआ कि ग्रीन वॉर रूम से प्रदूषण नियंत्रण की सभी कार्रवाइयों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी। सिरसा ने कहा कि अब PWD, MCD, NDMC, DSIIDC, DPCC और दिल्ली पुलिस को रोजाना आपस में समन्वय बनाकर अपनी कार्रवाई की रिपोर्ट देनी होगी।

सड़क धूल और निर्माण प्रबंधन को प्राथमिकता

दिल्ली सरकार ने सर्दी के मौसम में प्रदूषण को काबू में रखने के लिए सड़कों पर सफाई और धूल नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर मैकेनिकल उपकरण तैनात किए हैं। फिलहाल राजधानी की सड़कों पर 86 मैकेनिकल रोड स्वीपर, 300 स्प्रिंकलर और 362 एंटी-स्मॉग गन काम कर रहे हैं। इसके साथ ही, 70 नए उपकरण जल्द ही बेड़े में शामिल किए जा रहे हैं।

सरकार ने बताया कि अब सभी प्रमुख सड़कों की वैक्यूम क्लीनिंग जीपीएस से ट्रैक की जाएगी, ताकि हर मार्ग पर नियमित सफाई सुनिश्चित हो सके। निर्माण स्थलों के लिए भी कड़े नियम लागू किए गए हैं. 500 वर्गमीटर से बड़े हर निर्माण प्रोजेक्ट का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है।  3,000 वर्गमीटर या G+5 मंज़िल से अधिक ऊंचाई वाली इमारतों में एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य होगा। धूल नियंत्रण के साथ-साथ हरियाली बढ़ाने के लिए भी सरकार ने लक्ष्य तय किया है. 698 किलोमीटर सड़क किनारे पेविंग (पक्कीकरण) और 85 किलोमीटर मिड-वर्ज ग्रीनिंग (सड़क डिवाइडर पर हरियाली) का काम किया जाएगा।

वाहन उत्सर्जन पर सख्ती और EV को बढ़ावा

दिल्ली सरकार ने सर्दी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए 578 प्रवर्तन टीमों को सड़कों पर सक्रिय किया है। इन टीमें धुआं छोड़ने वाले वाहनों, पीयूसी उल्लंघन और इंजन चालू रखे जाने जैसी गतिविधियों पर सख्त निगरानी रख रही हैं। सरकार ने बताया कि अब 953 पीयूसी केंद्र ट्रांसपोर्ट विभाग के लाइव डैशबोर्ड से जोड़े जा चुके हैं, जिससे रियल-टाइम निगरानी और डेटा एनालिसिस संभव हो सकेगा। प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंचने पर वाहनों के उपयोग को सीमित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे. पार्किंग शुल्क दोगुना किया जाएगा, ताकि लोग निजी वाहनों का उपयोग कम करें।  डीएमआरसी की ई-ऑटो फ्लीट को 2,299 तक बढ़ाया जाएगा, जिससे सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा मिले। साथ ही, सरकार ने लक्ष्य रखा है कि नए वाहन पंजीकरणों में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का हिस्सा 12% से अधिक रखा जाए।

उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र में पीएनजी का वर्चस्व

अब दिल्ली के सभी उद्योग केवल पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) पर संचालित होंगे। सरकार ने स्पष्ट किया है कि डीएसआईआईडीसी (दिल्ली स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) और डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) की संयुक्त टीमें नियमित निरीक्षण करेंगी और अनधिकृत या प्रदूषणकारी ईंधन के प्रयोग पर सख्त कार्रवाई करेंगी।

नई नीति के तहत केवल ड्युअल-फ्यूल या उत्सर्जन मानकों के अनुरूप DG सेटों को ही अनुमति दी जाएगी। आवश्यक सेवाओं को सीमित छूट प्रदान की जाएगी ताकि स्वास्थ्य या आपात सेवाएं बाधित न हों। पुनर्विकास क्षेत्रों के उद्योगों के लिए “कंसेंट मैनेजमेंट सिस्टम” दोबारा लागू किया गया है, जिससे प्रदूषण नियंत्रण अनुमतियों की प्रक्रिया ऑनलाइन और पारदर्शी बनेगी।

कचरा और खुले में आगजनी पर 24 घंटे निगरानी

राजधानी को कचरा और प्रदूषण से मुक्त बनाने के लिए लैंडफिल प्रबंधन पर कड़ा नियंत्रण शुरू कर दिया है। 443 प्रवर्तन टीमें 24×7 गश्त पर हैं ताकि कचरा या बायोमास जलाने की घटनाओं को रोका जा सके। सरकार का दावा है कि 2025 में अब तक किसी भी लैंडफिल साइट पर आग नहीं लगी, क्योंकि सभी स्थलों पर स्थायी वॉच टावर और हाइड्रेंट सिस्टम लगाए जा चुके हैं। अब तक 136.27 लाख टन पुराने कचरे की बायोमाइनिंग पूरी की जा चुकी है। इसके साथ ही तीनों बड़े लैंडफिल स्थलों की सफाई की नई समयसीमा तय की गई है.

ओखला लैंडफिल: जुलाई 2026 तक

भलस्वा लैंडफिल: दिसंबर 2026 तक

ग़ाज़ीपुर लैंडफिल: दिसंबर 2027 तक

इसके अलावा, सरकार ने वेस्ट-टू-एनर्जी (कचरे से ऊर्जा) क्षमता को मौजूदा 7,834 टीपीडी से बढ़ाकर 14,000 टीपीडी तक करने की तैयारी शुरू कर दी है। इससे न केवल लैंडफिल का बोझ घटेगा, बल्कि अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली भी अधिक टिकाऊ बनेगी।

खेती अवशेष जलाने पर ‘PUSA Decomposer’ का असर

राजधानी में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने खेतों में 100% PUSA Decomposer का छिड़काव लगभग पूरा कर लिया है। इसका उद्देश्य किसानों को पराली जलाने की ज़रूरत से मुक्त करना है, ताकि हवा में धुआं और प्रदूषण न फैले।

दीवाली पर ग्रीन पटाखों की सख्त गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा आदेश के मुताबिक, दिल्ली में अब केवल NEERI-प्रमाणित ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति होगी। इन पटाखों को 18 और 19 अक्तूबर को ही चलाया जा सकेगा सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे के बीच। आदेश के अनुसार, सिर्फ़ लाइसेंस प्राप्त स्थलों पर ही पटाखे बेचे और चलाए जा सकेंगे। इसके अलावा, केवल QR कोड वाले ग्रीन पटाखे ही वैध माने जाएंगे, जबकि अवैध या बिना कोड वाले पटाखों का स्टॉक जब्त किया जाएगा। इन नियमों के प्रवर्तन की ज़िम्मेदारी दिल्ली पुलिस, राजस्व विभाग और डीपीसीसी (दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति) को सौंपी गई है। अदालत ने साफ किया है कि नियमों के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी ताकि राजधानी में त्योहारों के दौरान प्रदूषण का स्तर नियंत्रण में रहे।

निगरानी, नागरिक सहभागिता और नवाचार पर फोकस

Green Delhi App के जरिए अब तक 96,000 से अधिक शिकायतें सुलझाई जा चुकी हैं, और ऐप के माध्यम से रिपोर्टिंग और प्रतिक्रिया समय लगातार घटाया जा रहा है। इसके अलावा, मार्च 2026 तक छह नए Continuous Air Quality Monitoring Stations चालू किए जाएंगे, जो राजधानी में हवा की गुणवत्ता पर रीयल-टाइम निगरानी करेंगे। दिल्ली सरकार IIT कानपुर और IMD के सहयोग से क्लाउड सीडिंग का पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू करने की तैयारी कर रही है। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक तौर पर वायु प्रदूषण घटाने के उपाय खोजना और लागू करना है, ताकि राजधानी में ठंड के मौसम में भी साफ और सुरक्षित हवा सुनिश्चित की जा सके।

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