नई दिल्ली . उत्तरी दिल्ली में स्थित सौ वर्ष से ज्यादा पुराने रोशनआरा क्लब को दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने शुक्रवार को सील कर दिया. डीडीए के अधिकारियों की टीम दिल्ली पुलिस के साथ सुबह करीब 5.30 बजे क्लब खाली कराने के लिए पहुंची. सौ साल की लीज खत्म होने के बाद डीडीए ने यह कार्रवाई की है. विरोध में क्लब के कर्मचारियों ने प्रदर्शन भी किया.

डीडीए के मुताबिक, क्लब को खाली करने का पहला नोटिस अप्रैल 2023 में दिया गया था. उसके बाद 27 सितंबर 2023 को दिया गया, लेकिन क्लब खाली नहीं किया गया तो उसे सील कर दिया गया. वहीं, क्लब के जनरल सेक्रेटरी राजन मनचंदा ने कहा कि क्लब की दो लीज चल रही थीं. क्लब वर्ष 1922 से अस्तित्व में आया था. वर्ष 1922 से और वर्ष 1928 से दो लीज 90 वर्ष की लगातार चल रही थीं, जिसे नियमों के अनुसार हर 30 साल में रिन्यू किया जाता था.

अदालत में जाने की बात कही डीडीए की कार्रवाई पर राजन मनचंदा ने कहा कि 6 अक्तूबर तक दिल्ली उच्च न्यायालय के स्टे के बाद भी डीडीए की कार्रवाई गलत है. सभी पहलुओं को देखते हुए इस मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय लेकर जाएंगे. मनचंदा ने कहा कि क्लब को खाली करने का छह माह पहले डीडीए ने नोटिस दिया था. इस मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय लेकर गए थे और हमें नोटिस के खिलाफ स्टे मिल गया था. वहीं, हाईकोर्ट ने मामले को लोअर कोर्ट में ले जाने के लिए कहा था. लेकिन उच्च न्यायालय से 6 अक्तूबर तक स्टे प्राप्त हो गया था.

2012 में पहली लीज खत्म हुई मनचंदा ने बताया कि 2012 में पहली लीज खत्म हुई थी. उसके बाद से केंद्रीय शहरी एवं आवास मामलों के मंत्रालय और डीडीए से लगातार बातचीत कर रहे थे. तब छह-छह महीने के कार्यकाल में क्लब की लीज बढ़ाई जाती थी. वहीं, 2018 में दूसरी लीज खत्म हुई.

इसके बाद मंत्रालय से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि क्लब के संबंध में एक नीति लेकर आ रहे हैं. इसके बाद कोई उचित फैसला होगा. उन्होंने दावा किया कि कई बार मंत्रालय और डीडीए से बातचीत की लेकिन नीति को लेकर सूचना नहीं मिली.

प्राधिकरण ने कहा, 12 अप्रैल 2023 को क्लब को खाली कराने का नोटिस जारी किया गया था. क्लब की दोनों लीज, एक वर्ष 2012 में 11 वर्ष पहले और दूसरी वर्ष 2017 में समाप्त हो चुकी थी. डीडीए के मुताबिक, क्लब को खाली कराने की कार्रवाई के दौरान यह देखा गया कि करोड़ों रुपये की जमीन पर अवैध तरीके से कब्जा किया हुआ था. इसमें क्लब के प्रबंधन ने 23.5 एकड़ की लीज पर दी गई जमीन में से लगभग 3.5 एकड़ की जमीन पर अतिक्रमण की अनुमति दी थी. लीज आगे बढ़ाने का प्रावधान नहीं है. डीडीए के अनुसार, ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित क्लब की भूमि, जिसे सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए लीज पर दिया गया था. जिसे भारतीय क्रिकेट के जन्म स्थल के रूप में सेवा करने का गौरव प्राप्त है, वह कुछ व्यक्तियों की निजी संपत्ति बन गई थी.

100 रुपये साल का किराया डीडीए के अनुसार, पहली लीज का वार्षिक किराया 100 रुपये और दूसरी लीज का वार्षिक किराया 3200 रुपये 30 वर्षों की अंतिम अवधि के लिए था. लीज की अंतिम अवधि समाप्त होने के बाद रोशनआरा क्लब लिमिटेड ने अपने प्रतिनिधियों के जरिए इन दोनों लीज के विस्तार का अनुरोध किया था, लेकिन उन्हें अस्वीकार कर दिया.

कर्मचारियों के सामने नौकरी का संकट गहराया

मनचंदा ने बताया कि हर साल सरकार को क्लब की तरफ से 3 से 4 करोड़ रुपये जीएसटी के तौर पर दिए जाते रहे हैं. इस क्लब से 500 कर्मचारी जुड़े हैं. इन सभी का वेतन और परिवार का पालन-पोषण क्लब पर निर्भर है. अब उनके सामने जिंदगी को गुजर-बसर करने का संकट खड़ा हो गया है. इस क्लब को परिवार कल्चर के तहत एक बेहद खुशनुमा माहौल में चलाया जाता रहा है. इस क्लब के 4500 सदस्य हैं. अब सभी चिंतित हैं.

यहीं बीसीसीआई का गठन हुआ था

क्लब के जनरल सेक्रेटरी राजन मनचंदा ने बताया कि इस क्लब का सौ साल से अधिक का इतिहास रहा है. बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल ऑफ इंडिया (बीसीसीआई) का गठन इसी क्लब में वर्ष 1928 में हुआ था. वर्ष 1931 में क्लब में भारत और इंग्लैंड के बीच गैर आधिकारिक टेस्ट मैच खेला गया था. क्लब में उस समय पहला टेस्ट मैच का आयोजन हुआ था. क्लब के क्रिकेट ग्राउंड में 8 अक्तूबर 2023 से 26 जनवरी 2024 तक बीसीसीआई के ही कई रणजी मैच शेड्यूल थे.