देश की राजधानी दिल्ली को जल्द ही एक अत्याधुनिक सुरक्षा कवच मिलने जा रहा है। इस विशेष सुरक्षा व्यवस्था को ‘कैपिटल डोम’ नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य राजधानी को मिसाइल, ड्रोन और अन्य हवाई हमलों से पूरी तरह सुरक्षित बनाना है। सूत्रों के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा दिल्ली को निशाना बनाए जाने के बाद राजधानी की सुरक्षा को लेकर गंभीर मंथन शुरू हुआ था। उसी के तहत दिल्ली के लिए एक बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा तैयार करने की योजना बनाई गई, जिसे अब कैपिटल डोम के रूप में अमल में लाया जा रहा है।

पाकिस्तान की ओर से दिल्ली को निशाना बनाकर दागी गई मिसाइलों को भारतीय स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही मार गिराया था। इस घटना के बाद राजधानी की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई गई और दिल्ली के लिए एक अलग व अत्यंत मजबूत सुरक्षा घेरे की आवश्यकता महसूस की गई। इसी के तहत ‘सुदर्शन चक्र’ योजना पर काम शुरू किया गया, जो अब अपने अंतिम चरण में पहुँच चुकी है और लगभग पूरी तरह तैयार मानी जा रही है।

2035 तक पूरे देश में सुरक्षा कवच

डिफेंस सूत्रों के अनुसार, 26 जनवरी के अवसर पर राजधानी दिल्ली को आयरन डोम जैसी अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था के तहत सुरक्षित किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार की योजना है कि 2035 तक पूरे देश को चरणबद्ध तरीके से इसी तरह के बहुस्तरीय सुरक्षा कवच के दायरे में लाया जाए, ताकि किसी भी संभावित हवाई खतरे से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।

3 सुरक्षा रिंग में घिरी होगी दिल्ली

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की अगुवाई में तैयार किए जा रहे इस इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस सिस्टम के तहत दिल्ली के चारों ओर तीन स्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया जा रहा है। इसमें आउटर रिंग, मिडिल रिंग और इनर रिंग शामिल होंगी। इन सुरक्षा रिंग्स को राजधानी की सरकारी इमारतों, हवाई अड्डों, रणनीतिक प्रतिष्ठानों और अन्य संवेदनशील ठिकानों के आसपास तैनात किया जाएगा, ताकि किसी भी हवाई खतरे को बहुस्तरीय तरीके से निष्क्रिय किया जा सके।

आउटर रिंग में सिग्नल, मिडिल रिंग में मिसाइलें

आउटर रिंग में अत्याधुनिक सिग्नल और सेंसर सिस्टम तैनात किए जाएंगे, जो किसी भी संभावित हवाई खतरे की प्रारंभिक स्तर पर ही पहचान कर लेंगे। मिडिल रिंग में उन्नत मिसाइल इंटरसेप्टर सिस्टम लगाए जाएंगे, जो दुश्मन की मिसाइलों, ड्रोन, लड़ाकू विमानों और लॉइटरिंग म्यूनिशन को हवा में ही निष्क्रिय करने में सक्षम होंगे। वहीं, इनर रिंग राजधानी के सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण इलाकों की नजदीकी व अंतिम सुरक्षा परत के रूप में काम करेगी।

सॉफ्ट किल सिस्टम से भी होगी सुरक्षा

कैपिटल डोम के कमांड सेंटर में ‘सॉफ्ट किल सिस्टम’ भी शामिल होंगे। इसके तहत जैमिंग तकनीक और लेजर आधारित सिस्टम के ज़रिए दुश्मन के हमलावर प्लेटफॉर्म को बिना विस्फोट के ही निष्क्रिय किया जा सकेगा। यह पूरा सुरक्षा तंत्र मोबाइल होगा, जिसे खतरे की प्रकृति के अनुसार कहीं भी तैनात किया जा सकेगा और समय-समय पर तकनीकी अपग्रेड भी किया जाएगा। इसके अलावा, इस सुरक्षा व्यवस्था को रूस की उन्नत एयर डिफेंस प्रणाली S-400 से भी इंटीग्रेट किया जाएगा, जिससे इसकी मारक क्षमता और प्रतिक्रिया समय और बेहतर होगा। सबसे अहम बात यह है कि कैपिटल डोम पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा, जो भारत की आत्मनिर्भर रक्षा क्षमताओं को नई मजबूती देगा।

क्यों है दिल्ली की सुरक्षा खास?

दिल्ली देश का प्रशासनिक और संवैधानिक केंद्र है, जहां 500 से अधिक सरकारी भवन और संस्थाएं स्थित हैं। इनमें केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, सार्वजनिक उपक्रम (PSU) और शीर्ष संवैधानिक संस्थान शामिल हैं। इसी वजह से राजधानी की सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता में सबसे ऊपर रखा जाता है। कैपिटल डोम के लागू होने के बाद दिल्ली दुनिया की सबसे सुरक्षित राजधानियों में शामिल हो जाएगी, जहां मिसाइल, ड्रोन, लड़ाकू विमान और अन्य सभी प्रकार के हवाई खतरों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार बहुस्तरीय सुरक्षा तंत्र मौजूद होगा।

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