दिसंबर की शुरुआत होते ही दिल्ली की हवा अब भी बेहद जहरीली बनी हुई है। प्रदूषण का स्तर इस कदर बढ़ चुका है कि लोगों के लिए सुबह की सैर पर जाना भी जोखिम भरा हो गया है। सोमवार सुबह (1 दिसंबर) जारी हुए आंकड़ों में दिल्ली का AQI 370 दर्ज किया गया, जो वायु गुणवत्ता की ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। वहीं एनसीआर में हालात इससे भी खराब रहे। नोएडा में AQI 397, गाजियाबाद में 395 और ग्रेटर नोएडा में सबसे अधिक 407 दर्ज किया गया। उत्तर भारत के अन्य प्रमुख शहर भी प्रदूषण की मार झेल रहे हैं लखनऊ में AQI 346 ‘बहुत खराब’ स्तर पर रहा, जबकि देहरादून में 165 दर्ज किया गया, जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है।

पिछले 8 सालों में कम रहा इस साल का प्रदूषण

वहीं वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के आंकड़े इस साल दिल्ली के लिए कुछ राहत भरी तस्वीर भी पेश करते हैं। जनवरी से नवंबर 2025 के बीच राजधानी का औसत AQI पिछले आठ सालों में सबसे कम दर्ज किया गया है यदि 2020 के लॉकडाउन वाले साल को छोड़ दिया जाए। एएनआई के मुताबिक, इस अवधि में औसत AQI 187 रहा, गंभीर श्रेणी वाले दिनों की संख्या घट गई और PM2.5 व PM10 जैसे खतरनाक प्रदूषकों के स्तर में भी साफ गिरावट देखी गई। ये आंकड़े लंबे समय से प्रदूषण संकट से जूझ रही दिल्ली के लिए सकारात्मक संकेत माने जा रहे हैं।

सीजनल ट्रेंड बेहतर, गंभीर प्रदूषण दिन घटे

दिल्ली के औसत AQI में पिछले कुछ वर्षों से लगातार सुधार देखने को मिल रहा है। 2025 में यह घटकर 187 पर आ गया, जबकि 2024 में 201, 2023 में 190, 2022 में 199, 2021 में 197, 2019 में 203 और 2018 में 213 दर्ज किया गया था। इस साल अब तक केवल 3 दिन ऐसे रहे जब AQI 400 के पार गया, जबकि 2024 में ऐसे 11 और 2023 में 12 ‘गंभीर’ श्रेणी के दिन दर्ज हुए थे। इसके अलावा, 2025 में अब तक एक भी दिन ‘Severe+’ (450+) स्तर पर नहीं पहुंचा जो दिल्ली की सर्दियों के संदर्भ में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता एक बार फिर तेजी से बिगड़ती दिख रही है। जहां 30 नवंबर को केवल तीन इलाके ‘रेड ज़ोन’ में थे, वहीं सोमवार सुबह यह संख्या बढ़कर 21 तक पहुँच गई। कई क्षेत्रों में AQI फिर से 300 के पार चला गया है।

रेड ज़ोन में शामिल क्षेत्र और AQI:

आनंद विहार – 325, अशोक विहार – 310, बवाना – 339, बुराड़ी क्रॉसिंग – 305, मथुरा रोड – 305, डॉ. कर्णी सिंह – 304, DTU – 307, द्वारका सेक्टर-8 – 317, दिलशाद गार्डन – 316, ITO – 310, जहांगीरपुरी – 312, शादीपुर – 324, सीरिफोर्ट – 309, विवेक विहार – 321, वजीरपुर – 323, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम – 312, नेहरू नगर – 354, पटपड़गंज – 314, पंजाबी बाग – 328, RK पुरम – 336

इसके अलावा, कई क्षेत्रों में AQI 300 से कम है, लेकिन हवा अब भी ‘खराब’ (ऑरेंज अलर्ट) श्रेणी में बनी हुई है। आया नगर – 251, IGI एयरपोर्ट – 248, लोधी रोड – 264, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम – 267, नजफगढ़ – 271, नॉर्थ कैंपस – 278, नरेला – 282, अलीपुर – 285, ओखला – 297 कुल मिलाकर, दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता फिर से तेजी से गिर रही है, और कई इलाकों में प्रदूषण ‘बहुत खराब’ स्तर पर पहुँच चुका है।

सर्द हवाओं ने अस्थायी राहत दी, ठंड बढ़ी

पिछले सप्ताह चली तेज उत्तर–पश्चिमी हवाओं ने 24 दिनों से लगातार बनी 300+ AQI वाली ‘बहुत खराब’ श्रेणी को तोड़ते हुए शहर को हल्की राहत दी। 29 नवंबर को दिल्ली का AQI गिरकर 279 पर आ गया, जबकि न्यूनतम तापमान 8.3°C दर्ज किया गया। हवा की गति में आई तेजी ने प्रदूषकों को फैलाने में मदद की और वायु गुणवत्ता में सुधार दर्ज किया गया।

मौसम विज्ञान विभाग के आकलन के अनुसार अगले तीन दिनों तक मध्यम गति की हवाएँ चलने की संभावना है, लेकिन बड़े प्रदूषण स्रोत सक्रिय होने पर AQI के दोबारा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंचने की आशंका बनी हुई है। वहीं, ठंड बढ़ने और हवा की रफ्तार कम होने पर स्मॉग लौट सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि मौसमी राहत फिलहाल अस्थायी है और असली चुनौती नवंबर–दिसंबर की चरम सर्दियों में सामने आएगी, जब प्रदूषण का स्तर आमतौर पर तेजी से बढ़ जाता है।

नीतिगत फैसले, राजनीतिक आरोप और भविष्य की चुनौती

CAQM ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू GRAP में बड़ा बदलाव करते हुए Stage-IV के प्रतिबंधों को Stage-III में शामिल कर दिया है। इसके बाद अब राज्य सरकार प्रदूषण के बढ़ते ही तुरंत वर्क-फ्रॉम-होम जैसी व्यवस्थाएँ लागू कर सकती है और निर्माण गतिविधियों पर भी सीमित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। इसी बीच, AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि “500–700 के वास्तविक प्रदूषण स्तर को 300–400 दिखाया गया, ताकि कड़े प्रतिबंध लागू न करने पड़ें।”

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