दिल्ली. दिल्ली में आम आदमी पार्टी वर्ल्ड क्लास स्कूल होने का दावा करती है, लेकिन हकीकत कुछ और बयां करती है. अधिकांश स्कूल की बिल्डिंग जर्जर और टूटी हुई है, जहां बच्चे अपनी जान को खतरे में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं. दिल्ली की केजरीवाल सरकार लगातार विज्ञापनों में वर्ल्ड क्लास स्कूल होने का दावा करती रही है, विज्ञापनों में कई ऐसे स्कूलों की तस्वीरें प्रकाशित कराई गई है जिनके माध्यम से लोगों को बताया जा रहा है कि दिल्ली में सबसे अच्छे स्कूल हैं, लेकिन तस्वीर इसके बिल्कुल उलट है. ये बातें हम नहीं मीडिया रिपोर्ट में कही जा रही है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कई स्कूलों में दरारें हैं, छत टूटने की कगार पर है, बच्चों को बैठने की जगह नहीं है. अधिकांश स्कूलों में स्टाफ की भारी किल्लत है. मीडियारिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली के कुल एक हजार सत्ताईस स्कूलों में सिर्फ 203 स्कूलों में हेडमास्टर या प्रिंसिपल हैं, अब आप ही सोचिए कि बच्चों की पढ़ाई का स्तर क्या होगा.

न सुविधा, न पढ़ाई पर विज्ञापन पर खर्च किए करोड़ों

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार स्कूलों में पढ़ाई की कोई सुविधा नहीं है बिल्डिंग भी जर्जर है, लेकिन इसके बाद भी अखबारों में विज्ञापन के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं. दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने विज्ञापन में पिछले 7 सालों में 1650 करोड़ विज्ञापन में खर्च किए हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के साथ शिक्षा का स्तर कुछ भी नहीं है.