राजस्थान। आदिवासी बहुल क्षेत्रों को लेकर एक बार फिर अलग राज्य की मांग चर्चा में आ गई है. बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत ने सोशल मीडिया पर एक नक्शा साझा कर कहा कि राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के 43 जिलों को मिलाकर ‘भील प्रदेश’ बनाया जाए.

रोत के इस बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है. आदिवासी समाज के बीच जहां इसे लेकर उत्साह दिख रहा है, वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने इसे ‘प्रदेशद्रोह’ करार दिया और रोत पर निशाना साधा.

रोत का तर्क: आदिवासियों के साथ हुआ अन्याय

राजकुमार रोत ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि यह मांग नई नहीं है.
उन्होंने याद दिलाया कि 1913 के मानगढ़ नरसंहार में 1500 से ज्यादा आदिवासी शहीद हुए थे, लेकिन आजादी के बाद उनके क्षेत्र को चार राज्यों में बांट दिया गया.

“हमारी संस्कृति, भाषा और परंपराएं अलग हैं. हमारे अधिकारों की रक्षा के लिए भील प्रदेश का गठन जरूरी है,” रोत ने कहा. रोत का कहना है कि यह नया राज्य आदिवासियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, विकास और जल-जंगल-जमीन के अधिकारों को सुरक्षित करेगा.

बीजेपी का पलटवार

पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा –

“राजस्थान की अखंडता को तोड़ने की साजिश को जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी. भील प्रदेश का नक्शा जारी करना शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है.”

राठौड़ ने कहा कि यह आदिवासी समाज के नाम पर भ्रम फैलाने की कोशिश है.

“अगर आज कोई भील प्रदेश की बात करेगा तो कल कोई और प्रदेश की मांग करेगा. क्या हम अपनी विरासत को टुकड़ों में बांट देंगे?” उन्होंने सवाल उठाया.

कब-कब उठी यह मांग?

  • 1913: गोविंद गुरु ने मानगढ़ नरसंहार के बाद अलग भील प्रदेश की बात उठाई.
  • 2024 चुनाव: राजकुमार रोत ने प्रचार के दौरान इसे मुद्दा बनाया और जीत के बाद संसद में उठाने का वादा किया.
  • जनवरी 2025: बांसवाड़ा रैली में रोत ने क्षेत्रीय आरक्षण और भील प्रदेश की मांग दोहराई.

कहां-कहां होगा शामिल?

प्रस्तावित भील प्रदेश में इन राज्यों के आदिवासी बहुल जिले शामिल किए गए हैं –
राजस्थान: बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, पाली, कोटा, बारां, सिरोही, जालौर, झालावाड़, राजसमंद, बाड़मेर.
गुजरात: दाहोद, पंचमहल, अरवल्ली, बनासकांठा, छोटा उदेपुर समेत कई जिले.
मध्य प्रदेश: रतलाम, धार, अलीराजपुर, बुरहानपुर, मंदसौर, नीमच और अन्य.
महाराष्ट्र: नासिक, जलगांव, धुले, पालघर, नंदुरबार आदि.

 क्यों उठी मांग?

रोत और उनके समर्थकों का कहना है कि इन इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.
अधिकांश आदिवासी अपनी जमीन से बेदखल हो रहे हैं और उनके अधिकारों का हनन हो रहा है.
उनका मानना है कि अलग राज्य बनने से संविधान की पांचवीं-छठी अनुसूची के प्रावधानों को बेहतर ढंग से लागू किया जा सकेगा.

 भील समुदाय कौन है?

भील भारत की सबसे पुरानी जनजातियों में से एक है.
2011 की जनगणना के मुताबिक –

  • मध्य प्रदेश में 60 लाख,
  • गुजरात में 42 लाख,
  • राजस्थान में 41 लाख और
  • महाराष्ट्र में 26 लाख भील रहते हैं.

ये भगवान शिव, दुर्गा और वन देवताओं की पूजा करते हैं और इनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपराएं हैं. फिलहाल, ‘भील प्रदेश’ की इस मांग पर सियासत गरम है. आदिवासी समाज में इसे लेकर उम्मीदें हैं, जबकि राजनीतिक दल इसे लेकर एक-दूसरे पर तीखे बयानबाज़ी कर रहे हैं.

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