सुप्रिया पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ में इन दिनों गाय के गोबर से बनी चप्पल लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है. इन चप्पलों की खास बात ये है कि ये पानी में भी खराब नहीं होगी. रायपुर स्थित गोकुल नगर गौठान में इन चप्पलों का निर्माण किया जा रहा है, जिसकी कीमत महज 400 रुपए बताई जा रही है.

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गोबर की चप्पलों को ग्वार गम, चूना पाउडर और मैदा लकड़ी की मदद से बनाई जा रही है, जिसकी वजह से ये पानी में भी खराब नहीं होगी. मामले में गौठान संचालक रितेश अग्रवाल ने बताया कि गौशाला को स्वालंबी बनाने के उद्देश्य से ये चप्पलें बनाई गई है.

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गोबर से ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारियों को भी कंट्रोल किया जा सकता है. गोबर के चप्पलों का निर्माण होते ही बाजारों में भी इसकी मांग बढ़ने लगी है. छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से अब तक करीब 700 चप्पलों का ऑर्डर भी किया जा चुका है. मुंबई से भी 7 जोड़ी चप्पलें मंगाए गए हैं.

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बता दें कि रायपुर के गोकुल नगर गौठान में गोबर से संबंधित उत्पादों का निर्माण किया जाता रहा है, रायपुर के इस गौठान में अब तक गोबर की लकड़ियां, ईंटें, गोबर के दीये भी बनाए जाते है, जिसकी खासी मांग भी बाजारों में बढ़ी है.

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ऐसे दावों से इतर किसानों को होने वाले फायदे की बात करें तो छत्तीसगढ़ की सरकार ने पिछले साल 2020 में गौधन न्याय योजना (Gaudhan Nyay Yojana) लॉन्च की थी. जिसके तहत राज्य सरकार किसानों से दो रुपये प्रति किलो गोबर खरीद रही है.

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एक ओर तो सरकार से उन्हें हर महीने एक निश्चित धनराशि मिल जाती है. वहीं गोबर के उत्पादों को बनाकर कई किसान परिवार खेती के अलावा एक अलग व्यवसाय चला रहे हैं. जिससे उन्हें दोहरा मुनाफा होता है.

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महिलाओं को फायदा

छत्तीसगढ़ के 7202 गौठानों में से, करीब 2000 ऐसे हैं जहां महिलाओं के बड़े समूह गोबर से बनने वाले उत्पादों के प्रोडक्शन में लगे हैं. जिनमें मूर्तियां, दिए और सजावट के कई सामान बनाए जा रहे हैं. जिससे स्थानीय महिलाओं को बहुत फायदा हो रहा है.

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