बीजापुर। नक्सलियों के साथ तेलंगाना में कांग्रेस नेता की गिरफ्तारी का मामला अब तुल पकड़ता नजर आ रहा है. भाजपा और कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप के बीच अब युवा आयोग के सदस्य भी कूद पड़े हैं. पूरे मामले को लेकर राज्य युवा आयोग सदस्य अजय सिंह ने कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा और बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी पर गंभीर आरोप लगाएं हैं.
एक पत्रवार्ता में अजय ने मंत्री लखमा के कांग्रेस नेता केजी सत्यम के अपहरण से जुड़े बयान को संदेहास्पद बताते हुए कहा कि एक ओर गिरफतारी के दिन सत्यम के परिजन देर शाम अपहरण की शिकायत लेकर थाने पहुंचते हैं. इधर उनके थाने पहुंचने से पहले दोपहर को मंत्री लखमा ये बयान देते हैं कि नक्सलियों ने सत्यम को अगवा कर लिया है. इससे मंत्री के बयान पर सवाल उठना लाजिमी है. वहीं गिरफतारी के दिन ही अपहरण की बात सामने आती है. जबकि गांव में कोटवार, पटेल यहां तक कि जनप्रतिनिधियों को इसकी भनक नहीं लग पाती कि चार दिन पहले माओवादी उसे बंदूक की नोंक पर उठाकर ले गए. अजय ने आरोप लगाया कि मंत्री लखमा ने पूरे मामले को हल्के से लिया है. जबकि यह काफी संवेदनशील मामला है. मंत्री लखमा, विधायक विक्रम यहां तक कि वे स्वयं सुरक्षा लेकर चलते हैं, ऐसे में मंत्री का अपहरण से जुड़ा बयान हलक में नहीं उतर रहा है.
PCC बोली पार्टी से कोई संबंध नहीं
मामले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कहना है कि सत्यम का पार्टी से कोई संबंध नहीं है, तो दूसरी ओर बीजापुर जिला कांग्रेस उसे कार्यकर्ता बताती है. अगर सत्यम वाकई कांग्रेस का सदस्य है तो उसके खिलाफ अब तक निष्कासन की कार्रवाई क्यों नहीं हुई? अजय ने संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि केजी सत्यम ने कही ना कही तेलंगाना पुलिस के सामने कोई ऐसा बयान दिया होगा, जिससे जिला कांग्रेस के साथ बीजापुर विधायक भी घबराए हुए हैं. इसलिए उनकी मुख्यमंत्री से मांग है कि वे बीजापुर पुलिस को निर्देश जारी करें और तेलंगाना पुलिस से संपर्क कर सत्यम द्वारा तेलंगाना पुलिस को दिए बयान को हासिल कर आगे कार्रवाई करें. अगर बयान में स्थानीय स्तर पर किसी का नाम आया हो तो उसकी भी जांच होनी चाहिए.
शहीदों का किया अपमान
पत्रवार्ता में अजय ने विधायक विक्रम मंडावी पर शहीद कांग्रेस नेताओं के अपमान का आरोप भी लगाया. कलेक्टोरेट दफ्तर के सामने कांग्रेस नेता बुधराम राणा के स्मारक की दयनीयता से जुड़ी तस्वीर दिखाते अजय ने कहा कि विधायक सिर्फ दिखावा करते हैं. लोकप्रियता बटोरने बात-बात पर अपने नेताओं की शहादत का हवाला देते हैं, अगर उन्हें फिक्र होती तो बुधराम राणा का स्मारक आज अपनी बदहाली पर आंसू ना बहा रहा होता.
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