अजय नीमा,उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालु रिकॉर्ड लड्डू प्रसादी अपने साथ ले जा रहे हैं. बड़ी संख्या में आए भक्त 19 दिनों में 3 करोड़ रुपए से अधिक का 9200 किलो लड्डू प्रसादी भी अपने साथ ले गए. बीते सात माह की बात करे तो 27 करोड़ से 82 लाख रुपए से अधिक का 7 लाख 73 हजार किलो लड्डू प्रसादी महाकाल मंदिर समिति से भक्तों ने ख़रीदा है. महाकाल लोक बनने के बाद महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन करने आने वाले भक्तों की संख्या में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है.
दरअसल 4 जुलाई से शुरू हुए श्रावण माह से लेकर 24 जुलाई तक 21 दिनों में महाकाल मंदिर में 40 लाख श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन कर चुके है. यह आकड़ा मंदिर में लगी हेड काउंटिंग मशीन में दर्ज हुआ है. 11 अक्टूबर को देश के प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने 856 करोड़ रुपए से बनने वाले महाकाल लोक के पहले चरण को लोकार्पित किया था. इसके बाद से ही देश भर के भक्त बड़ी संख्या में भगवान महाकाल के मंदिर में पहुंच रहे है. भक्त देश के पहले भारत सरकार की संस्था फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथारिटी आफ इंडिया (FSSAI) द्वारा हाइजीन रेटिंग में प्रसाद के लडडू को उत्कृष्टता में फाइव स्टार रेटिंग प्राप्त कर नंबर वन स्थान हासिल लड्डुओं को अपने साथ ले जाते है.
शुद्धता का बहुत ख्याल रखते हैं
महाकाल के लड्डुओं को बनाते समय शुद्धता का बहुत ख्याल रखा जाता है. इसके चलते देश भर में इसकी डिमांड वर्ष भर बनी रहती है. मंदिर समिति के आंकड़े बता रहे हैं कि बीते सात माह में औसत 64 हजार 416 किलो लड्डू प्रसादी का विक्रय महाकाल मंदिर ने किया है. अब तक मंदिर समिति 27 करोड़ 82 लाख रुपए का लड्डू प्रसादी बेच चुकी है. श्रावण माह की शुरुआत 4 जुलाई से हुई थी. मंदिर में लगी हेड काउंटिंग मशीन में बीते 21 दिनों का डेटा सामने आया है जिसमें मंदिर में आने वाले भक्तों का आंकड़ा 24 जुलाई तक 40 लाख पार कर गया था. सोमवार 24 जुलाई को ही अल सुबह भस्म आरती से लेकर शयन आरती तक 3 लाख 35 हजार श्रद्धालुओं ने एक दिन में दर्शन किये थे.
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सावन में बढ़ रही भक्तों की संख्या
इस बार सावन दो माह तक का होगा. आगामी दिनों में भी बड़ी संख्या में भक्तों के आने की उम्मीद है. दर्शन करने आये भक्त रिकॉर्ड लड्डू प्रसादी ले गए. महाकाल मंदिर में दर्शन करने आये भक्त अपने साथ महाकाल मंदिर समिति की और से तैयार होने वाले लड्डू प्रसादी साथ ले जाते है. महाकाल के लड्डू देश भर में शुद्धता और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. इस बार भक्तों की संख्या बढ़ी तो लड्डू प्रसादी की भी रिकॉर्ड बिक्री हुई.
किस साल में कितने करोड़ का बिका प्रसाद
महाकाल मंदिर के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि 1 जनवरी 2023 से 20 जुलाई 2023 के बीच करीब सात माह में दर्शन करने आये भक्त अपने साथ 27 करोड़ 80 लाख रुपए से अधिक का 7 लाख 73 हजार किलो लड्डू अपने साथ ले गए. जुलाई माह में भी रिकॉर्ड लड्डू प्रसादी की बिक्री हुई है. 1 जुलाई से 19 जुलाई के बीच 9200 किलो लड्डू की रिकॉर्ड बिक्री हुई है. करीब 46 किवंटल लड्डू प्रतिदिन बिका है. 19 दिनों में महाकाल मंदिर समिति की लड्डू प्रसादी से 3 करोड़ 70 लाख रुपए की आय हुई है. श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लड्डुओं की ख्याति बढ़ती जा रही है. बीते चार साल में देश-विदेश से आए श्रद्धालु अपने साथ 72.25 करोड़ रुपए का लड्डू बतौर प्रसादी ले गए थे. साल 2017 में 17.31 करोड़, 2018 में 13.02 करोड़, 2021 में 15.40 करोड़, 2022 में 27.25 करोड़ और 2023 में 1 जनवरी से 20 जुलाई तक 27 करोड़ 80 लाख से अधिक की बिक्री की जा चुकी है.
480 रुपए प्रतिकिलो खर्च, लेकिन 400 रुपए बिकता है प्रसाद
यहां प्रतिदिन 50 से 60 क्विंटल लड्डू बनता है. यह लड्डू प्रसाद 100 ग्राम, 200 ग्राम, 500 ग्राम और एक किलो के पैकेट में उपलब्ध रहते है. करीब एक माह पहले महाकाल मंदिर प्रबंध समिति की हुई बैठक ने लड्डू प्रसादी के रेट बढ़ाने का निर्णय लिया गया था. भगवान महाकाल का लड्डू प्रसाद 360 रुपए की बजाय 400 रुपए किलो में मिलने लगा है. भगवान महाकाल के लड्डू प्रसाद के दाम में 40 रुपए किलो की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया था. मंदिर समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि मंदिर समिति लड्डू प्रसाद का विक्रय बिना लाभ-हानि के करती है. वर्तमान में लड्डू प्रसाद बनाने में समिति को 480 पैसे प्रतिकिलो का खर्च हो रहा है. भाव बढ़ने के बाद प्रसाद के पैकेट के भाव 100 ग्राम 50 रुपए, 200 ग्राम 100 रुपए, 500 ग्राम 200 रुपए और 1 किलो प्रसाद की कीमत 400 रुपए हो गई है. श्रावण महिने के दौरान लड्डू प्रसाद की खपत बढ़ गई है.
लड्डू प्रसादी बनाने की प्रक्रिया
लड्डू प्रसादी बनाने के लिए सामान खरीदी देसी घी, ड्रायफ्रूट, चने की दाल, रवा की खरीदी पूरी प्रक्रिया टेंडर के माध्यम से होती है. खरीदी गई सभी सामग्री की जांच करते हैं. यह काम खाद्य विभाग की टीम करती है. जरा भी कमी होने पर उसे विक्रेता को लौटा दिया जाता है. बेसन के लिए चने की सूखी दाल खरीदी जाती है. उसे छान और बीन कर गंदगी हटाते हैं. इसके बाद उसे यहीं पर चक्की में पीसकर बेसन तैयार किया जाता है. रवा सीधे फैक्ट्री से आता है. देशी घी की खरीदी उज्जैन दुग्ध संघ (सांची) से की जाती है. महाकाल मंदिर की प्रसादी के लिए खरीदी होने और बड़ी मात्रा होने के कारण सांची की ओर से विशेष दाम (न्यूनतम) तय किए जाते हैं. काजू, किशमिश व इलायची को भी बारीकी से परखा जाता है. एक बार में 20 किग्रा बेसन, 5 किग्रा रवा को 20 किग्रा देसी घी के साथ भट्टी की तेज आंच में सिकाई की जाती है. यह प्रक्रिया डेढ़ से दो घंटे चलती है. 16 साल से महाकाल की लड्डू प्रसादी तैयार कर रहे राजू हलवाई बताते हैं, सिके हुए बेसन को बड़ी ट्रे में ठंडा किया जाता है. इसमें चौबीस घंटे का समय लग जाता है। ठंडा होने पर इसमें पिसी हुई शकर, इलायची व ड्रायफ्रूट मिलाया जाता है. हाथों से इसे अच्छी तरह से मिलाकर रख दिया जाता है। इस तरह लड्डू का मिश्रण तैयार हो जाता है.
नया ऑटोमैटिक प्लांट डलेगा
महाकाल मंदिर के लड्डू प्रसादी की डिमांड जिस तरह से बड़ी है उसको लेकर मंदिर समिति जल्द ही लड्डू बनाने के लिए एक ऑटोमैटिक मशीन का प्लांट डालने जा रही है. इसके लिए जमीन के आवंटन के लिए फाइल प्रोसेस में है. मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि जिस तरह से लड्डू की डिमांड बढ़ी है, उसे पूरा करने के लिए जल्द ही ऑटोमैटिक मशीन डाली जाएगी, जो कि रोजाना 500 से 700 क्विंटल लड्डू बना सकेगी. फिलहाल मंदिर समिति का चिंतामन मंदिर के पास बड़ा प्लांट है. जिसमें करीब 100 कर्मचारी काम करते है, जहां से रोजाना 50 से 60 क्विंटल ही लड्डू बन पाता है.
श्रावण के तीसरे सोमवार पर 3 लाख 60 हजार श्रद्धालु पहुंचे
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में देश-विदेश से भक्त भगवान महाकाल के दर्शन को पहुंचते है. वैसे तो यहां वर्ष भर ही भीड़ होती है. वहीं पर्व त्यौहार के साथ ही श्रावण मास में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है. इस बार श्रावण मास के प्रारंभ से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन को पहुंच रहे है. वहीं श्रावण मास के तीसरे सोमवार को भी रिकार्ड तोड़ श्रद्धालु दर्शन को आए. श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण माह के तीसरे सोमवार को श्री महाकालेश्वर भगवान के पट प्रातः 02:30 बजे खुले. पट खुलने से लेकर शयन आरती तक 03 लाख 60 हज़ार से अधिक श्रद्धालुओं ने श्री महाकालेश्वर भगवान के दर्शन किये.