इंदौर। जीएसटी रिटर्न देरी से भरने पर रोज 50 रु. की पेनल्टी लगती है, जबकि कई बार पोर्टल ठप होने से देरी होती है. इसलिए जरूरी है कि दो करोड़ से कम का सालाना कारोबार करने वालों के लिए पेनल्टी अधिकतम 100 रु. महीना की जाए. अधिकांश कारोबारी छोटे शहर और गांवों में कारोबार करते हैं, जिन्हें आनलाइन सिस्टम की अधिक जानकारी नहीं है. इसलिए पंजीयन निरस्ती की जानकारी, टैक्स वसूली व अन्य नोटिस ई-मेल के साथ भौतिक रूप से भी दिए जाएं. ये सुझाव मध्यप्रदेश टैक्स लाॅ बार एसोसिएशन, कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन, नेशनल एसोसिएशन ऑफ टैक्स प्रोफेशनल्स, टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन, सीए ब्रांच इंदौर ने वित्त मंत्री, जीएसटी काउंसिल भेजे. ये सुझाव संगठनों की बैठक में आए.
GST Return रिटर्न में संशोधन करने के अधिकार मिलें
– जीरो कारोबार के रिटर्न वालों की विलंब राशि माफ हो, ताकि वह रिटर्न भरने की मुख्य धारा में आ सकें.
– जानबूझकर और गलती से टैक्स भरने में चूक में समान पेनल्टी लगती है. इसमें सुधार होना चाहिए.
– रिटर्न में संशोधन करने के अधिकार मिलें, ताकि रिटर्न में होने वाली मानवीय चूक को ठीक कर सकें.
– देरी से टैक्स भरने पर 18 और टैक्स चोरी पर वसूली में 24 प्रतिशत ब्याज लिया जाता है. यह काफी अधिक है. इसे आठ और 10 प्रतिशत करना चाहिए.
– मिसमैच पर कार्रवाई करने से पहले इसे अच्छी तरह परखा जाना चाहिए.
– पोर्टल में काफी सुधार करना चाहिए ताकि रिटर्न आसानी से भरा जा सके.
– किसी तरह की गलती पर क्रेता से चूक पर भी सेवा प्राप्तकर्ता कारोबारी को गलत मानने का प्रावधान अन्याय है. इसमें परिवर्तन होना चाहिए.