इस साल 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होने वाली है, जिसे लेकर बाजार में तैयारियां जोरों से शुरू हो गई हैं. माता के शृंगार और बांस बल्ली, टीन, चुनरी सहित किराना दुकानदारों ने भी पूरी तैयारियां कर ली हैं. वहीं देवी प्रतिमा को बनानें वाले मूर्तिकार प्रतिमाओं को अंतिम रूप देनें में जुटे हुए है.
अमित पाण्डेय, खैरागढ़। शारदीय नवरात्र की धूम पूरे देश में रहती है. छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ जिले में भी देवी प्रतिमाओं की स्थापना को लेकर मूर्तिकार मूर्तियां बना रहे हैं. महीनों की कड़ी मेहनत के बाद जब रंग रोगन होकर प्रतिमाएं उत्सव पंडालों में पहुंचती है तो अद्वितीय कला देखने लायक रहती है. खैरागढ़ नगर के कुम्हार पारा में मौजूद मूर्तिकार रतन के का परिवार भी इनमें से एक है, जो पिछले 9 दशकों से निरंतर मूर्तिकारी का कार्य कर रहे हैं.
आपको बता दें कि इनके परिवार से घर के बच्चों से लेकर बूढ़े तक सब मिल कर मूर्तियां बनाते हैं. सालभर इनका पूरा परिवार मूर्ति बनानें का ही काम काम करता है. स्वर्गीय रतन ढीमर के पुत्र उत्तम ढीमर का परिवार शिद्दत से इस काम पर लगे हुए हैं. मूर्तिकार उत्तम ने बताया कि इस बार उन्होंने देवी दुर्गा की 250 और देवी सरस्वती की 200 मूर्तियां बनायीं है. उनकी मूर्तियों की डिमांड राजधानी रायपुर, बिलासपुर दुर्ग समेत पूरे छत्तीसगढ़ में है. मध्यप्रदेश के भी कई जिलों से उनके यहां लोग मूर्तियां लेनें आते है. बीते गणेश चतुर्थी के दौरान करीब 6000 मुर्तिया बनाई थी.
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90 सालों से बना रहें है मूर्तियां
उत्तम ने बताया वे सालभर अपने पूरे परिवार के साथ भगवान गणेश और दुर्गा की मूर्तियों को बनाने में जुटे रहते है. यह सिलसिला 90 सालों से निरंतर लगातार चलता आ रहा है. मूर्तिकारों के यहां मूर्तियों को बनाने और उनकी रंग पुताई के साथ रंग रोगन के लिए अलग-अलग कारीगर होते हैं, लेकिन रतन मूर्तिकार के परिवार के हाथ में ऐसी कलाएं हैं कि इनका पूरा परिवार ही इस कला में माहिर है. बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक रंगाई पुताई के साथ मूर्तियों को आकार देने डिजाइन देने का काम खुद ही कर लेते हैं. इनको कभी भी कोई कारीगर लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है.
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