रायपुर. केंद्र सरकार बाज़ार का हवाला देकर छत्तीसगढ़ के चावल को नहीं खरीद रही है. इसके खिलाफ राज्य सरकार संघर्ष कर रही है. लेकिन दूध की खरीदी पर राज्य सरकार का वही रुख है जो चावल की खरीदी पर केंद्र सरकार का है. राज्य के कृषिमंत्री से जब पूछा गया कि क्या दूध के दाम जिस तर्ज पर बढ़ रहे हैं, उसी तर्ज पर दूध खरीदने की दर बढ़ाई जाएगी. तो उन्होंने दो टूक डिमांड और सप्लाई का हवाला देकर इस बात पर टिप्पणी करने से मना कर दिया.
कई दूध उत्पादक किसानो को सब्सडी न मिलने के लिए रविंद्र चौबे ने केंद्र की सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सब्सिडी के पैसे नहीं भेजे हैं. चौबे ने कहा कि राज्य सरकार डेयरी को मजबूत करने के लिए कई कदम उठआ रही है. रविंद्र चौबे ने कहा कि डेयरी में जो कमाई होनी थी वो कमाई किसान जेनरेट नहीं कर पा रहा है जो डेयरी की बदहाली की सबसे बड़ी वजह है. चौबे ने कहा कि उनकी सरकार देवभोग को मज़बूत करने जा रही है. सरकार दूथ की मार्केटिंग करके इसे बढ़ावा देगी.
गौरतलब है कि प्रदेश में पराली और दाने की बढ़ती कीमतों के बाज़ार डेयरी व्यावसायी गंभीर संकट में फंस गए हैं. गायों को खिलाने के लिए उन पर कर्जा चढ़ गया है. कई व्यावसाईयों ने डेयरी बंद कर दी है जबकि कई बंद करने को तैयार हैं. सबसे बुरा हाल उन व्यवासायियों का है, जिनकी सब्सिडी भी अब तक नहीं आई है.
दरअसल 2016-17 में बीजेपी सरकार ने किसानों को आर्थिक रुप से सक्षम बनाने के लिए 50 फीसदी सब्सिडी पर राज्य में हज़ारो की संख्या में डेयरी खुलवाए. लेकिन दूध की सही कीमत न मिलने, दाने का दाम ज़्यादा होने और पशु चिकित्सकों की कमी के चलते ये डेयरियां घाटे में चली गईं. रही सही कसर इस बारिश में चारे के बढ़े दाम ने पूरी कर दी. इस साल किसानों ने 3 रुपये किलो में मिलने वाली धान की कुट्टी 12 रुपये की दर से खरीदी है. जबकि प्रदेश में मवेशियों को खिलाए जाने वाले सबसे प्रचलित चारे मक्के का दाम में करीब 25 से तीस फीसदी इजाफा हुआ. इसके बाद कंपनियों ने भी फीड की दर में 20 फीसदी का इज़ाफा कर दिया.
दूसरी तरफ, दूध का रेट नहीं बढ़ा. इसकी वजह से आज प्रदेश में सैकड़ों डेयरियां बंद होने की कगार पर हैं. इसमें से कई किसान ऐसे हैं जिनकी सब्सिडी तीन -तीन साल बाद भी नहीं आई है.
चौबे ने कहा कि अब डेयरी को मज़बूत करने के लिए दूध खरीदने वाले सरकार के उपक्रम देवभोग की वित्तीय स्थिति बेहतर की जाएगी. वहां मंडी से सहयोग लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि देवभोग के ज़रिए दूध की मार्केटिंग की जाएगी.