रायपुर। फांसी देने वाले जल्लाद के नाम को परिवर्तित कर अन्य नाम रखने की मांग की गई है. इसे लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुप्रीमकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त महासचिव विनोद तिवारी पत्र लिखा है.

विनोद तिवारी ने कहा पत्र में लिखा गया है कि फाँसी देने वाले जल्लाद न्यायाधीश के आदेश का पालन करते हुए अपने कर्तव्य का निर्वाहन करते है, पर बदले में उन्हें जल्लाद नाम से अपमानित किया जाता है. जबकि आज समाज में किसी से कहा जाये की जल्लाद बनाना है, तो कोई भी तैयार नहीं होगा. पवन का परिवार पिछली कई पीढ़ियों से इस कार्य को करता चला आ रहा है. जल्लाद का अर्थ हत्यारा, वधिक, एवं चांडाल होता है, जो कि बहुत ही अपमानित एवं कष्टदायक नाम है. जब उनके बच्चों से स्कूल घर परिवार समाज रिश्तेदारो में पूछा जाता होगा या पूछा जायेगा तब उनके बच्चों को किस परिस्थिति का सामना करना पड़ता होगा. इस बात का अंदाज़ा लगाना भी मुश्किल है इस तकलीफ़ को तो वो ही समझ सकते है जो इस जल्लाद नाम की तकलीफ़ का सामना करते होंगे.

एक तरफ़ ये लोग अपराधियों को फाँसी देकर समाज की गंदगी की सफ़ाई कर नेक काम कर रहे है और उसी समाज के द्वारा उन्हें इस गंदे अर्थ के नाम से पुकारा जाना कहाँ तक उचित है. जल्लाद शब्द सुनकर ही सामने वाले के लिये मन में एक बहुत बुरी भावना उत्पन्न होती है, जबकि वो ऐसा कार्य इसी समाज के भले के लिये कर रहे होते है.

यह सर्वविदित है की समाज में शांति बनाए रखने और क़ानून का राज क़ायम रखने के लिये आतंकियों और अत्याचारियों को गोली मारने एनकाउंटर करने वालों को हत्यारा नहीं बल्कि बहादुर कहा माना और स्वीकार किया जाता है, फिर दूरदंत अपराधियों को फाँसी देने वाले को लिये ये जल्लाद जैसा अपमान जनक शब्द क्यों जबकि कोर्ट के आदेश पर समाज के दुश्मनो को फाँसीं के माध्यम से मार कर जल्लाद भी अपना ड्यूटी करते है फिर जल्लाद का तिरस्कार और अपमान आख़िर क्यों ?

इतना बड़ा साहस का कार्य करने के बावजूद सम्मान तो नहीं पर जल्लाद नाम से अपमानित ज़रूर किया जाता है और सुविधाओं के नाम पर इन्हें क्या मिलता है कुछ भी नहीं, मिलता है तो सिर्फ़ ज़लील करने वाला नाम जल्लाद. सरकार को इनका वेतन बढ़ा इन्हें अन्य सुविधाएँ भी देनी चाहिये ताकि ये अपने परिवार का अच्छे से लालन पालन कर अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा दीक्षा प्रदान कर समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त कर सके.

हम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश एवं क़ानून मंत्री से निवेदन करते है कि निर्भया के दोषियों को फाँसी देने से पहले तत्काल प्रभाव से जल्लाद नाम को परिवर्तित किया जाये कुछ नामों का सुझाव हमारे द्वारा प्रेषित किया गया है. जैसे इंसाफ़ का दूत, क़ानून का दूत, न्याय का दूत, आदेश का दूत, संविधान का दूत इसके अलावा अन्य लोगों की तत्काल राय ले नाम परिवर्तित किया जाना आवश्यक है. दूत का मतलब किसी विशेष कार्य को करने वाला/अथवा संदेश पहुँचाने वाला होता है.