विक्रम मिश्र, लखनऊ. ST-SC के आरक्षण में क्रीमीलेयर को लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सियासी तपिश बढ़ गई है. शनिवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रेस कांफ्रेन्‍स कर मोदी सरकार पर कोर्ट में ठीक से पैरवी न करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि इस मामले में सिर्फ आश्वासन से काम नहीं चलेगा. जबकि केंद्र सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संशोधन विधेयक लाने की अनुशंषा की थी. शनिवार को इस मुद्दे पर कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया करते हुए मायावती ने कहा कि उन्‍होंने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर को नहीं, बल्कि पं. नेहरू और गांधीजी को आरक्षण का श्रेय दिया गया है, जिसमें तनिक भी सच्चाई नहीं है.

बता दें कि ‘एक्‍स’ पर एक पोस्‍ट में मायावती ने लिखा- बीएसपी की प्रेस कान्फ्रेंस के बाद कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दिये बयान की जानकारी मिली, जिससे ST-ST के समक्ष कांग्रेस पार्टी के बयान में बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर को नहीं बल्कि पं नेहरू व गाँधीजी को आरक्षण का श्रेय दिया गया है जिसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं.’ उन्‍होंने आगे लिखा- ‘जबकि वास्तव में आरक्षण का पूरा श्रेय बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को ही जाता है जिनको किस तरह से कांग्रेस के लोगों ने संविधान सभा में जाने से रोकने का षड़यन्त्र रचा तथा उनको चुनाव में भी हराने का काम किया.

मायावती ने कांग्रेस पर बोला बड़ा हमला

मायावती ने आगे लिखा कि,’कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह कहा कि देश में SC व ST वर्गों के उपवर्गीकरण के सम्बन्ध में पार्टी के स्टैण्ड का खुलासा करने के पहले इनकी पार्टी NGOs व वकीलों आदि से विचार-विमर्श करेगी, जिससे स्पष्ट है कि कांग्रेस उपवर्गीकरण के पक्ष में है. ‘ चौथे ट्वीट में उन्‍होंने लिखा- ‘कांग्रेस द्वारा क्रीमीलेयर के बारे में भी गोलमोल बातें की गई है. कांग्रेस के 99 सांसद होने के बाद भी सत्रावसान होने तक संसद में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को निष्प्रभावी बनाने के लिए कोई भी आवाज नहीं उठाई गई. मायावती ने सीधे तौर पर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कांग्रेस ने संविधान बचाने के नाम पर ही 99 सीट्स पर जीत हासिल किया था.

कांग्रेस अध्यक्ष ने क्या दिया था बयान

शनिवार को कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि राजनीतिक आरक्षण के साथ ही शिक्षा और रोजगार का आरक्षण का मुद्दा जरूरी है, लेकिन अब एससी-एसटी के लोगों के क्रीमीलेयर को आरक्षण से बाहर निकालना उनके ऊपर एक बड़ा प्रहार साबित होगा.

खड़गे ने ‘एक्‍स’ पर लिखा- ‘पिछले दिनों Supreme Court का 7-Judge Bench का फ़ैसला आया, जिसमें उन्होंने SC/ST वर्ग के लोगों के लिए उप वर्गीकरण का बात की. इस फ़ैसले में SC/ST वर्ग के आरक्षण में Creamy Layer की भी बात की गई. भारत में Scheduled Caste के लोगों को सबसे पहले आरक्षण बाबासाहेब डॉ अंबेडकर के Poona Pact के माध्यम से मिला. बाद में पंडित नेहरू और महात्मा गांधी जी के योगदान से इसे संविधान में मान्यता देकर, नौकरी और शिक्षण संस्थान में भी लागू किया गया. परंतु 70 सालों के बाद भी सरकारी नौकरियों में जब SC और ST समुदायों के लोगों की भर्तियाँ देखते है, तो पाते है कि अभी भी जो स्थान खाली है वो भरी नही जा रही है और ये अभी भी सामान्य वर्ग के लोगों के साथ कंपटीट नहीं कर सकते.
इसलिए SC- ST समुदाय में creamy layer के बारे में बात करना ही ग़लत है. कांग्रेस पार्टी इसके ख़िलाफ़ है. एक तरफ़ सरकार धीरे-धीरे सरकारी यूनिट्स को बेचकर नौकरियां ख़त्म कर रही है. हालांकि, आरक्षण की अनियमितताओं को लेकर मोदी सरकार सत्र में ही 2-3 घंटे के अंदर नई बिल ले आती है तो ये भी संभव था.

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