राजधानी दिल्ली को उसके महाभारत कालीन नाम ‘इंद्रप्रस्थ’ से संबोधित किए जाने की मांग फिर जोर पकड़ रही है। चांदनी चौक से बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल(Praveen Khandelwal) ने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह(Amit Shah) को पत्र लिखा है। सांसद ने अपने पत्र में कहा है कि दिल्ली का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आधार महाभारत के समय से जुड़ा हुआ है, जहां पांडवों के द्वारा स्थापित नगर ‘इंद्रप्रस्थ’ के प्रमाण विभिन्न पुरातात्विक और साहित्यिक स्रोतों में मिलते हैं।

खंडेलवाल ने सुझाव दिया है कि दिल्ली का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ रखने से राजधानी की प्राचीन विरासत और पहचान को सम्मान मिलेगा। हालांकि, इस प्रस्ताव पर अभी सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

एयरपोर्ट और स्टेशन का भी नाम बदलने की मांग

चांदनी चौक से बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर यह सुझाव दिया है। सांसद ने अपने पत्र में कहा है कि दिल्ली का वर्तमान नाम ‘दिल्ली’ मुगल शासनकाल से जुड़ा हुआ माना जाता है, जबकि इसका प्राचीन और मूल नाम ‘इंद्रप्रस्थ’ है, जिसे पांडवों द्वारा स्थापित राजधानी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने पत्र में 4 प्रमुख सुझाव दिए हैं. दिल्ली का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ रखा जाए। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन का नाम ‘इंद्रप्रस्थ जंक्शन’ किया जाए। दिल्ली के मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को ‘इंद्रप्रस्थ एयरपोर्ट’ नाम दिया जाए। दिल्ली के प्रमुख स्थलों और सार्वजनिक स्थानों पर पांडवों की प्रतिमाएं स्थापित की जाएं, ताकि नागरिकों को इसके प्राचीन इतिहास के बारे में जानकारी मिल सके।

महाभारत की विरासत से जोड़ने की अपील

खंडेलवाल ने पत्र में महाभारत के सन्दर्भों का हवाला देते हुए कहा कि इंद्रप्रस्थ (लगभग 3000 ईसा पूर्व) पांडवों की राजधानी थी और इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों के साथ-साथ क्षेत्र में मिले पुरातात्विक साक्ष्यों में भी मिलता है। उन्होंने तर्क दिया कि दिल्ली की पहचान को उसके मूल स्वरूप में समझने और संरक्षित करने के लिए यह बदलाव आवश्यक है। सांसद का कहना है कि दिल्ली का मौजूदा नाम ‘दिल्ली’ मुगल कालीन प्रभाव से जुड़ा हुआ है, जबकि शहर की 5000 वर्ष पुरानी हिंदू सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने की दिशा में इसे उसके पारंपरिक नाम से सम्बोधित किया जाना चाहिए।

 हाल ही में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने भी दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर आईजीआई एयरपोर्ट का नाम बदलने की सिफारिश की थी।  इससे पहले 2021 में डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी और क्षत्रिय महासभा ने भी दिल्ली को ‘इंद्रप्रस्थ’ नाम दिए जाने की मांग सार्वजनिक रूप से की थी। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस पहल को ‘राजनीतिक स्टंट’ करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि नाम बदलने के बजाय सरकार को महंगाई, प्रदूषण, रोज़गार और शिक्षा जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।

वहीं समर्थक पक्ष का तर्क है कि यह कदम भारतीय सभ्यता, इतिहास और सांस्कृतिक गौरव को पुनर्स्थापित करने के लिए जरूरी है।

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