सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय के दंत चिकित्सक विभाग में कार्यरत बैचलर ऑफ डेंटल सर्जन के इंटर्न और पोस्टिंग बैच के छात्र हड़ताल कर रहे हैं. इससे डेंटल कॉलेज में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों ने 48 घंटे में मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी दी है.

शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय परिसर में हड़ताल पर बैठी छात्रा साक्षी पांडे ने बताया कि हम 48 घंटे के लिए हड़ताल कर रहे हैं कि पिछले 10 सालों से हमारा मानदेय नहीं बढ़ाया गया है. अभी आठ हजार मिलता है, हम 12 हज़ार की मांग कर रहे हैं. बात करें फ़ीस की तो वह 12000 से 27000 हो चुका है, लेकिन हमारा मानदेय उतना ही है. हम ज्यादा पैसा देकर थर्ड ईयर से इंटर्न तक पूरे काम करते हैं. MBBS वाले सिर्फ देखते रहते हैं, मरीज़ों को हाथ तक नहीं लगाते हैं.

साक्षी ने कहा कि हम शुरू से अंतिम पोस्टिंग होते मेडिकल का काम करते है, और हमें आठ हजार और उन्हें 12,600 रुपए मिलता है. क्यों हमारी डिग्री उनके सामने छोटी है ऐसा बिलकुल नहीं है. छह माह पहले शासन को प्रिंसिपल ने प्रस्ताव दिया कि मानदेय बढ़ाया जाए. प्रस्ताव पास होने के बाद भी नहीं बढ़ाया गया है, जिसकी शिकायत लेकर हम दो बार हेल्थ मिनिस्टर से भी मिले. मंत्री ने कहा कि मैं प्रोसेस को बता सकता हूं, आपको आश्वासन दे सकता हूं, पास करना फाइनेंस के हाथ में है. अगर हमारी मांग पूरी नहीं की गई तो 14 फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ जाएंगे.

छात्र आकाश राठौर ने कहा कि देखिए जो आज हड़ताल कर रहे हैं, हम अपनी तरफ़ से नहीं कर रहे हैं. यह प्रस्ताव प्रिंसिपल ने शासन को भेजा था, उसके लिए गोल-गोल घुमाया जा रहा है. अभी तक कोई उचित कार्रवाई नहीं हुई है, हम हेल्थ विभाग में जाते हैं, फाइनेंस में जाते हैं, जब पता करते हैं, तो हमें गोल-गोल घुमाया जाता है. बाक़ी भारत की जितने भी डेंटल कॉलेज है, वहां जो मानदेय दिया जाता है, उसके सामने हम को मिलने वाले मानदेय ऊंट के मुंह में जीरा है. आसाम में 27 हजार, हरियाणा में 22 हजार, ऐसे ही तमाम अलग-अलग राज्यों में मानदेय मिल रहा है, लेकिन हम को सिर्फ़ 8 हज़ार दिया जा रहा है.

डेंटल कॉलेज के प्रिंसिपल विश्वजीत मिश्रा ने कहा कि इस मसले में बोलने के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं. इसमें कुछ नहीं कह सकता. बच्चे हड़ताल करेंगे तो काम प्रभावित होगा ही. बता दें कि डेंटल कॉलेज में रोजाना करीबन 500 मरीज अपना इलाज कराने के लिए आते हैं.