ललित सिंह ठाकुर, राजनांदगांव। देश में एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें शिक्षा गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं और करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं, लेकिन राज्य के कई स्कूलों में अब भी शिक्षकों की कमी बनी हुई है। इसके चलते जहां बच्चों का भविष्य अंधकार मय है, वहीं अभिभावकों में रोष व्याप्त है। इस बीच डोंगरगढ़ के ग्राम आलीवार से टीचर की मांग लेकर पहुंचे बच्चों से जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) द्वारा बदतमीजी करने और जेल भेजने की धमकी देने का मामला सामने आया है।
डीईओ के व्यवहार से आहात छात्र-छात्राओं में से एक आरती साहू ने मीडिया के समक्ष फूट-फूटकर रोते हुए बताया कि आलिवारा शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक शाला के हायर सेकेंडरी स्कूल में पिछले दो साल से 11वीं और 12वीं की कक्षाओं के लिए कोई व्याख्याता नहीं है और इस वजह उनकी पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है, जिसके चलते वह अपने सहपाठियों और परिजनों के साथ जनदर्शन के दौरान कलेक्टर संजय अग्रवाल से मुलाकात करने गई थी। उनकी समसस्याओं को सुनने के बाद कलेक्टर ने उन्हें आश्वासन दिया कि जल्द ही शिक्षकों की व्यवस्था की जाएगी और बच्चियों को डीईओ के पास भेज दिया।
हालांकि, जब बच्चियाँ डीईओ के पास गईं और अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आवेदन प्रस्तुत किया, तो डीईओ ने उन्हें जमकर फटकार लगाकर भेज दिया। इस अप्रत्याशित व्यवहार से बच्चियाँ बेहद निराश और दुखी हो गईं। उन्होंने रोते हुए मीडिया से अपनी स्थिति साझा की, बच्चों ने आरोप लगाया कि डीईओ ने उनके साथ गलत तरीके से बात की, डीईओ ने उन्हें ऑफिस से जाओ यहां बहस मत करो कहकर भगा दिया। साथ ही कहा कि ऐसा आवेदन किसने लिखवाया है? तुम लोग जिंदगी भर जेल की हवा खाओगे।
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धरना प्रदर्शन की दी चेतावनी
पालकों ने बताया कि की पिछले दो साल से आलिवारा में हायर सेकेंडरी के क्लासिस लग रही हैं लेकिन एक भी शिक्षक स्कूल में नहीं है जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई बहुत प्रभावित हो रही है। हाई स्कूल के शिक्षक पढ़ा रहे थे, लेकिन कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं। कलेक्टर ने दो दिन के अंदर शिक्षक व्यवस्था करने का आश्वाशन दिया है, लेकिन डीईओ ने बच्चों के साथ गलत तरीके से बात की, तभी बच्चे रो रहे हैं। परिजनों ने बताया कि बच्चों ने आवेदन में लिखा है कि अगर तीन दिन में शिक्षकों की व्यवस्था नहीं होगी तो स्कूल में धरना प्रदर्शन करेंगे और ताला लगा देंगे।
DEO ने दी ये सफाई
इस मामले में डीईओ ने फोन पर कहा कि ऐसी कोई बात नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि उन्होंने बच्चों को कानून अपने हाथ में न लेने की सलाह दी और शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था करने की बात की।
इस घटना से साफ है कि शिक्षा प्रणाली की अनदेखी और जवाबदेही की कमी से बच्चों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति शिक्षा के अधिकार और प्राथमिकता की गंभीर चिंता को उजागर करती है। स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग को इस मामले की गहन जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को उचित शिक्षा और सम्मान प्राप्त हो।
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