यत्नेष सेन, देपालपुर। Depalpur News: सरकार जहां एक तरफ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा लगाकर शिक्षा का बढ़ावा दे रही है। लेकिन वहीं सरकारी तंत्र में कुछ ऐसे लोग हैं, जिनकी वजह से ऐसी योजनाओं पर पानी फिरता नजर आ रहा है। ऐसी ही दो शर्मनाक तस्वीर इंदौर जिले के देपालपुर से सामने आई है। जहां एक तरफ स्वच्छता के बैनर तले गंदगी का अंबार लगा नजर आया। वहीं दूसरी ओर स्कूल जाने के लिए बच्चों की कीचड़ से जंग लड़ना पड़ा।

स्वच्छता के बैनर तले गंदगी का अंबार
आगरा गांव के सरकारी माध्यमिक स्कूल में छोटी-छोटी छात्राओं के लिए बने सुविधा घर को देख आप हैरान रह जाएंगे। बालिकाओं को शिक्षा के लिए जिस स्कूल में भेजा जा रहा है, वहां ठीक से पढ़ाई तो दूर, शौच ओर बाथरुम जाने की भी ठीक व्यवस्था नहीं है। यहां कक्षा पहली से पढ़ने वाले बच्चों के लिए बने शासकीय माध्यमिक विद्यालय मैं बने शौचालय सुविधा घर का हाल बेहाल है।

आगरा के शासकीय माध्यमिक विद्यालय में 200 से अधिक छात्र-छात्राएं एक साथ अध्ययन करते हैं। जिसमें छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है। लेकिन उन छात्राओं के लिए बना शौचालय पेशाब घर जंगल की तरह दिखाई देता है। क्योंकि विद्यालय में बने इस शौचालय परिसर में बड़ी-बड़ी घास उग रही है। तो वहीं जो शौच के लिए शौचालय है, उसमे छत भी जर्जर हो रही है।
वहीं शौचालय की छत पर पुराने दरवाजे भी लावारिस हालत में पड़े हैं। स्थानीय लोगों की माने तो जो स्थिति छात्रों के लिए बने इस शौचालय सुविधा घर की है। ऐसे में बड़ी-बड़ी घास होने से वहां जानलेवा जानवर भी हो सकते हैं। छात्रों के लिए बने सुविधा घर पर स्वच्छता अभियान के नारे और दीवार लेखन तो छपा है, लेकिन वहां की स्थिति भी गंदगी से भारी पड़ी है। ऐसे में सरकारी सिस्टम पर कई सवाल खड़े होते हैं।
विद्यालय की प्रभारी प्राचार्य की माने तो उनके द्वारा कई बार विभाग में सूचना भी की गई। बावजूद उसके उन्हें विद्यालय में कोई व्यवस्था नहीं मिल पाई। प्राचार्य ने यह भी बताया कि उनके द्वारा समय-समय पर निजी रूप से कर्मचारी बुलाकर सफाई कराई जाती है।लेकिन वर्तमान की स्थिति देखे तो हालत से बद से बदतर दिखाई देती है।
स्कूल परिसर के पास ही पंचायत भवन भी बना है। पंचायत भवन की दीवारों पर भी स्वच्छता से जुड़े एक से बढ़कर एक नारे दीवार लेखन पर लिखे हुए हैं। लेकिन इन तारों की ओर किसी का ध्यान नहीं है। क्योकि स्थानीय जनप्रतिनिधि पंचायत सचिव एवं गांव के लोगों का आना-जाना लगा रहता है। लेकिन आज तक विद्यालय में हूं इस गंजी की ओर किसी ने ध्यान देना उचित नहीं समझा।
पूरे मामले में क्षेत्रीय एसडीएम ने फोन पर बताया कि उनके संज्ञान में पूरा मामला आया है। वे इसकी गंभीरता से इस मामले को दिखवाएँगे। उन्होंने कहा कि बीआरसी से बात कर व्यवस्था दुरुस्त करवाएंगे।
कैसे स्कूल चले हम ?
देपालपुर के ग्राम कड़ौदा में स्कूल पहुंचने वाले रास्ते पर एक फीट तक भरा कीचड़ और पानी, जाेखिम उठाकर आवाजाही कर रहे बच्चे।
गौतमपुर के समीप ग्राम कड़ोदा में स्कूल पहुंचने वाले रास्ते पर एक फीट तक पानी भरा है जिससे , जाेखिम उठाकर स्कूली बच्चो को आवाजाही करनी पड़ रही है। गौतमपुरा के ग्राम कड़ौदा मंे सरकारी स्कूल जाने के लिए बच्चों को एक फीट पानी भरे मार्ग व कीचड़ से हाेकर जाना पड़ रहा है। इससे बच्चांे की स्कूल ड्रेस ताे खराब हाे रही है। वहीं उनके साथ दुर्घटना का अंदेशा भी बना हुआ है।
यहां स्कूल पहुंचने वाला मार्ग पूरी तरह जर्जर हाे रहा है। स्थिति ऐसी है कि पूरे मार्ग पर बारिश के बाद अब एक फीट तक जलजमाव ओर कीचड़ हाे गया है। जलजमाव के बीच से ही बच्चे स्कूल जाने के लिए मजबूर है। गांव की इस समस्या को लेकर स्थानीय जनप्रतिनि व पंचायत सचिव उदासीन बैठे है। ग्रामीणों का कहना है कि नालियां हमेशा भरी रहती है। वहीं अब बारिश में कीचड़ और गंदगी से रहवासी के साथ स्कूली बच्चों काे भी परेशानी हाे रही है।
वही इस पूरे मामले को लेकर जब लल्लूराम डॉट कॉम ने स्थानीय जनपद पंचायत के सीईओ से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि वह जल्द ही स्कूली बच्चों को हो रही सड़क की समस्या से निजात दिलाने का प्रयास करेंगे।
स्कूल के रास्ते पर बड़ी मात्रा में पानी व कीचड़ जमा है। स्कूल जाने के लिए जूते चप्पल हाथ में लेकर जाना पड़ता है। कीचड़ में कई बार बच्चे गिर जाते। उनके कपड़े गंदे हो जाते है वहीं जैसे तैसे स्कूल पहुंचने के बाद उन्हें कीचड़ से भरे हाथ पेर धोने के बाद कक्षा में बैठना पड़ता हे ।।
विजितनी परेशानी से स्कूली बच्चे जूझ रहे हे उससे ज्यादा परेशानी आंगनवाड़ी पहुंचने महिलाअांे काे हाे रही है। आंगनवाड़ी के बाहर तो स्थिति यह है कि जलजमाव के बीच ईट, फर्श जमा कर आंगनवाड़ी में प्रवेश करना पड़ता है। इतना ही नहीं आंगनवाड़ी के बाहर रोड पर बड़ी मात्रा में जलजमाव ओर कीचड़ हाे रहा है। जो हादसे को दस्तक दे रहा हे मामले में आंगनवाड़ी सहायिका पूजा सोलंकी द्वारा भी लिखित में आवेदन अधिकारयों को दिया है पर अभी तक कोई कार्य नहीं हुआ हे।
कड़ौदा में स्कूली बच्चों को कीचड़ के रास्ते से स्कूल पहुंचने की परेशानी के मामले कि शिकायत ग्रामीणों ने जनसुनवाई में भी की है। जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन व जनपद सीईओ को भी लिखित आवेदन दिया गया है। परंतु इस समस्या के लिए कोई आगे नहीं आया।
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