नई दिल्ली। उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को एजुकेशन मेंटरिंग प्रोग्राम को सफलतापूर्वक पूरा करने पर IGDTUW के छात्रों को सम्मानित किया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन मार्च में किया गया था, जहां इंदिरा गांधी दिल्ली महिला तकनीकी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाली 250 लड़कियों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की 11वीं और 12वीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करने वाली 1000 लड़कियों की 6 महीने तक स्टेम के क्षेत्र में मेंटरिंग करने और उन्हें करियर संबंधी गाइडेंस दी थी.
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डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया

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साल दर साल लड़कियां बोर्ड परीक्षाओं में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं, इसके बावजूद बहुत कम लड़कियां 11वीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम को चुनती हैं. दिल्ली सरकार के स्कूलों के 1.5 लाख से अधिक छात्र हर साल बोर्ड परीक्षा देते हैं. इनमें से सिर्फ 5-6 हजार साइंस स्ट्रीम की लड़कियां हैं. यहां तक कि वे लड़कियां जो साइंस स्ट्रीम में नामांकित हैं, उन्हें अक्सर बड़े पैमाने पर करियर और विशेष रूप से इंजीनियरिंग क्षेत्र के बारे में जानकारी और मार्गदर्शन तक पहुंच नहीं होती है. इसे देखते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के दिशा-निर्देशन में इस मेंटरिंग कार्यक्रम की शुरुआत हुई.
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इस एजुकेशन मेंटरिंग प्रोग्राम के तहत जिन लड़कियों ने हाल ही में जेईई परीक्षा पास की थी, उन्होंने अपने तैयारी संबंधी अनुभव, लर्निंग को सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली उन छात्राओं के साथ साझा किया, जो जेईई परीक्षा की तैयारी कर रही थी. इस मेंटरिंग कार्यक्रम में स्टेम में उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलू शामिल थे- जैसे स्टेम क्षेत्र के पाठ्यक्रमों के उपलब्ध विकल्प, प्रवेश परीक्षा, परीक्षा पैटर्न, प्रवेश परीक्षा के लिए आवश्यक तैयारी, तैयारी के लिए उपलब्ध संसाधन, सरकार की वित्तीय सहायता योजनाएं, परीक्षा के दबाव से कैसे निपटें और तनाव, समय प्रबंधन, अन्य विषयों के बीच बेहतर ध्यान केंद्रित करने की तकनीक.
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कार्यक्रम से पहले किए गए एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि केवल 38% लड़कियों को ही अपनी सभी पसंदीदा करियर संबंधी प्रवेश परीक्षाओं की समय-सीमा के बारे में पता था और कार्यक्रम के बाद यह संख्या बढ़कर 91% हो गई. इसी तरह केवल 21% छात्रों को ही प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए उत्तर देने वाले प्रश्नपत्रों की प्रकृति के बारे में कोई जानकारी थी, लेकिन बाद में यह संख्या 99% हो गई. छात्राओं ने यह भी बताया कि पिछले 6 महीनों से लगातार मेंटरिंग मिलने के बाद उनके कम्युनिकेशन, सेल्फ-मोटीवेशन, आत्मविश्वास और टाइम मैनेजमेंट स्किल्स में काफी सुधार हुआ है.
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कार्यक्रम का न केवल गाइडेन्स और मेंटरिंग प्राप्त करने वाली लड़कियों के जीवन पर बल्कि उन छात्रों के जीवन पर भी गहरा प्रभाव पड़ा, जिन्होंने कार्यक्रम में मेंटर की भूमिका निभाई. कार्यक्रम में शामिल एक मेंटर नैन्सी भट्टी ने साझा किया कि “मैंने भी एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी और मैंने साइंस स्ट्रीम लेने के लिए संघर्ष किया था. मुझे पता था कि मैं एक इंजीनियर बनना चाहता हूं, लेकिन मुझे नहीं पता था कि कैसे, इसलिए मैंने अपने पहले वर्ष में प्रवेश परीक्षा को छोड़ दिया. शुक्र है कि वह वर्ष था जब दो प्रयासों की अनुमति दी गई थी, इसलिए मैंने दूसरे दौर में परीक्षा दी और पास हो गया, लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरे जैसी अन्य लड़कियां सिर्फ इसलिए वंचित रह जाएं, क्योंकि उनके परिवार उनका मार्गदर्शन नहीं कर सकते. इसी वजह से मैं मेंटर बनी.”
उपमुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में शामिल सभी मेंटर्स को दिया सर्टिफिकेट

इस सम्मान समारोह के अंत में उपमुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में शामिल सभी मेंटर्स को सर्टिफिकेट और स्मृति चिन्ह प्रदान किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ”आप बच्चे हमारे देश की असल संपत्ति हैं, मैं यह देखकर खुश हूं कि आप सभी के भीतर देश के लिए कुछ करने का उत्साह है. आप सभी के अपने सपनों को पूरा करने का अवसर देना मेरी जिम्मेदारी है.“ उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली शीर्ष 5% बच्चों को बेहतरीन शिक्षा मुहैया करती है, लेकिन आपको और मुझे यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है, ताकि हमारे सभी 100% बच्चों को अपनी क्षमता को पूरा करने का अवसर मिले. मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप अपने सभी दोस्तों को भी मेंटर बनने के लिए प्रेरित करें। और शिक्षा को जन-आन्दोलन बनाने में अपना सहयोग दें.”