प्रतीक चौहान. रायपुर. बिलासपुर संभाग के संभाग आयुक्त महादेव कावरे ने सक्ती के तत्कालीन उप पंजीयक एवं वर्तमान बिलासपुर उप पंजीयक प्रतीक खेमुका को निलंबित कर दिया है. उप पंजीयक संघ का दावा है कि प्रतीक खेमुका की गलती सिर्फ इतनी थी कि उन्होंने कलेक्टर के आदेश का पालन करते हुए रजिस्ट्री की. एक आदिवासी Diverted भूमि के रजिस्ट्री के अनुमति के लिए कलेक्टर के पास आवेदन लगाया गया था, कलेक्टर ने यह लिखकर आवेदन खारिज कर दिया कि “डायवर्टेड भूमि के मामले में अनुमति की जरूरत नहीं होती है. डायवर्टेड भूमि के मामले में 165 (6) लागू नहीं होता है.”

 उप पंजीयक ने कलेक्टर के आदेश के आधार पर रजिस्ट्री किया. कमिश्नर ने उप पंजीयक को सस्पेंड कर दिया. जबकि राज्य भर में डायवर्टेड जमीन का बिना कलेक्टर के अनुमति के रजिस्ट्री होता है और ऐसा करने के लिए स्वयं कलेक्टर ही आदेश पारित करते हैं.

संघ का ये भी दावा है कि राज्य भर में अनेक आवेदन डायवर्टेड आदिवासी भूमि के बिक्री के अनुमति के लिए लगता है, तो कलेक्टर ही लिख कर देते हैं कि इसमें अनुमति की आवश्यकता नहीं है. संघ ने ये भी दावा किया है कि उप पंजीयक द्वारा इस रजिस्ट्री में किसी भी रजिस्ट्री नियम या स्टांप नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है. उप पंजीयक ने अपने पदीय कर्तव्यों का विधि पूर्वक निर्वहन किया.

संघ के एक पदाधिकारी ने लल्लूराम से बातचीत में बताया कि आयुक्त बिलासपुर द्वारा उप पंजीयक को निलंबन के पूर्व कोई सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया. छत्तीसगढ़ पंजीयन मुद्रांक संघ संभाग आयुक्त बिलासपुर के इस कृत्य की कड़ी निंदा करता है. आयुक्त बिलासपुर का यह निलंबन आदेश एक कर्तव्य निष्ठ शासकीय अधिकारी को हतोत्साहित, प्रताड़ित और भयभीत करने वाला है.

 संघ ने सोमवार से पूर्व तक प्रतीक खेमुका उप पंजीयक के निलंबन आदेश को वापस लेने की मांग की है. इसके साथ ही संघ के रायपुर प्रांताध्यक्ष विरेन्द्र कुमार श्रीवास ने ये भी कहा है कि अगर प्रतीक खेमुका, उप पंजीयक के इस नियम विरुद्ध निलंबन को तत्काल वापस नहीं लिया गया तो संघ सोमवार से विरोध स्वरूप सामूहिक अवकाश एवं कड़े कदम उठाने के लिए बाध्य होगा.

कलेक्टर ने ही निलंबन के लिए दिया था प्रस्ताव