Lalluram Desk. मैं भारत का संविधान हूं, लालकिले से बोल रहा हूं… मेरा अंतर्मन घायल है, दुःख की गांठें खोल रहा हूं… मैं शक्ति का अमर गर्व हूं, आजादी का विजय पर्व हूं… पहले राष्ट्रपति का गुण हूं, बाबा भीमराव का मन हूं… मैं बलिदानों का चन्दन हूं, कर्त्तव्यों का अभिनन्दन हूं… यह कविता वीर रस के कवि डॉ. हरिओम पंवार की लिखी है, जिससे उनकी कलम की ताकत का पता चलता है.
कवि देसी टॉक कवि सम्मेलन 5.0 में अपनी प्रस्तुति देने आ रहे डॉ. हरिओम पंवार देश की मूलभूत समस्याओं पर अपनी कलम चलाते हैं. इनकी कविताओं से सरकारें भी डरती हैं, और इनके द्वारा लिखी गई कविताओं पर विचार करती है. आपको हैरानी होगी कि 2016 में लिए गए नोटबन्दी जैसा बड़े फैसले पर इन्होंने 15–20 साल पहले ही कविता लिख दी थी.
डॉ. हरिओम पंवार का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलन्द शहर जिले में सिकन्दराबाद के निकट बुटना गाँव में हुआ था. वे मेरठ विश्वविद्यालय के मेरठ महाविद्यालय में विधि संकाय में प्रोफेसर हैं.
आपकी प्रमुख रचनाओं में काला धन, घाटी के दिल की धड़कन, मैं मरते लोकतन्त्र का बयान हूँ, बागी हैं हम इन्कलाब के गीत सुनाते जायेंगे, विमान अपहरण, कहानी कांग्रेस की, इंदिरा जी की मृत्यु पर, अयोध्या की आग पर, आजादी के टूटे फूटे सपने लेकर बैठा हूँ, मेरा राम तो मेरा हिंदुस्तान है, घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ इत्यादि सम्मिलित हैं.
उन्हें भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति एवं विभिन्न मुख्यमंत्रियों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें ‘निराला पुरस्कार’, ‘भारतीय साहित्य संगम पुरस्कार’, ‘रश्मि पुरस्कार’, ‘जनजागरण सर्वश्रेष्ठ कवि पुरस्कार’ तथा ‘आवाज-ए-हिन्दुस्थान’ आदि सम्मान प्रदान किये गये हैं.
‘अग्निपथ के शिलालेख’ आपका कविता संकलन है. डॉ वार की ऑडियो-वीडियो व पुस्तक की बिक्री से अर्जित धनराशि निर्धन बच्चों की शिक्षा एवं वंचित वर्ग के कल्याण पर खर्च की जाती है.