कुशीनगर, गोविन्द पटेल. जनपद में धान की पराली जलाने पर रोक लगाई गई है. इसके बाद भी हाटा तहसील और कप्तानगंज तहसील क्षेत्र में किसान अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं. लगातार धान की मड़ाई करने के बाद किसान पूवाल को खेत में जला रहे हैं. जिसकी वजह से खेतों की उर्वरा शक्ति को नुकसान तो पहुंच ही रहा है, साथ ही पर्यावरण में धुंध के बादल छा रहे हैं. इस ‘जहरीली हवा’ से लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है. आंखों में जलन और श्वास संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं.
इसके बावजूद प्रशासन कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है. जिससे किसान अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहें हैं. सरकार की तरफ से पराली जलाने पर जुर्माना और मुकदमे का प्राविधान है. लेकिन इसका जरा सा भी किसानों में भय नहीं हैं. वजह ये है कि पहले के सालों में पराली जलाने वाले किसानों पर प्रशासन द्वारा मुकदमे पंजीकृत करवाकर जुर्माना भी लगाया गया था, लेकिन चुनाव आते ही उन मुकदमों और जुर्माने को योगी सरकार ने खत्म कर दिया था.
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अपने ही आदेश से पलट जाता है शासन-प्रशासन
अपने ही आदेश को वापस करने की सरकार की यह दोहरी नीति, जिसमें एक तरफ पराली जलाने पर किसानों पर मुकदमा पंजीकृत और जुर्माना लगाना, फिर चुनाव आते ही उन मुकदमों को समाप्त कर देना कहीं न कहीं किसानों के मन में बैठ गया है. संभवत: किसान ये सोचने लगे हैं कि ये प्रशासन मुकदमा पंजीकृत जुर्माना भले लगा रहा हो लेकिन चुनाव आते-आते पंजीकृत मुकदमा और जुर्माना समाप्त कर दिया जायेगा.
स्वास्थ्य के साथ खेतों की उर्वरा शक्ति के साथ खिलवाड़
प्रशासन के ऐसे रवैये से किसानों को प्रशासन की धान की पराली खेतों में जलाने पर प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ रहा है. जिस वजह से कप्तानगंज तहसील और हाटा तहसील क्षेत्र में किसान धड़ल्ले से धान की मड़ाई के बाद खेतों में धान की पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. सरकार की इस दोहरी नीति के चलते पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है. जिससे किसान धड़ल्ले से खेतो में धान की पूवाल जला रहें हैं. किसानों की मनमानी से लोगों के स्वास्थ के साथ तो खिलवाड़ हो ही रहा है, साथ ही जमीनों की उर्वरा शक्ति के साथ भी खिलवाड़ हो रहा हैं.
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