Dev Darshan: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले का एक शहर महेश्वर अपनी माहेश्वरी साड़ियों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. पर्यटन एवं धार्मिक नगरी होने के कारण यहां देश-विदेश से लाखों पर्यटक घूमने आते हैं. यह शहर नर्मदा माता के तट पर स्थित है. यहां कई प्राचीन मंदिर हैं. गोबर गणेश मंदिर भी उनमें से एक है. दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. दक्षिणमुखी मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति लगभग 900 साल पुरानी है.
यह मंदिर वार्ड 10 में महावीर मार्ग पर स्थित है. मंदिर में भगवान गणेश की लगभग 4 फीट ऊंची मूर्ति है. खासियत यह है कि मूर्ति पूरी तरह से गाय के गोबर और मिट्टी से बनी है. गणेश जी अपने रथ पर विराजमान हैं. इस मंदिर का जीर्णोद्धार 250 वर्ष पूर्व होल्कर राज्य की रानी देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. वर्ष 2000 में जन सहयोग से इसे दूसरी बार पुनर्जीवित किया गया.
एक ही परिवार ने 14 पीढ़ियों तक सेवा की
आपको बता दें कि जोशी परिवार लंबे समय से मंदिर में पूजा करता आ रहा है. मंदिर के पुजारी का कहना है कि उनका परिवार 14 पीढ़ियों से यहां सेवा कर रहा है. यह गणेश, शिव, पार्वती और पूरे परिवार और तीर्थयात्रियों के साथ रिद्धि-सिद्धि वाला एकमात्र पूर्ण मंदिर है. गर्भगृह की छत महालक्ष्मी यंत्र के आकार में बनी है. यहां करीब 25 साल से अखंड ज्योत जल रही है.
भगवान गणेश को सिन्दूर चढ़ाया जाता है (Dev Darshan)
मंदिर में गाय के रूप में पंचभूत गणेश हैं. जिसे पार्थिव पूजा के रूप में पूजा जाता है. गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद चतुर्थी के 11 दिनों तक गाय के गोबर और मिट्टी से बने भगवान गणेश की पूजा करने का महत्व है. यहां भगवान गणेश को सिन्दूर चढ़ाया जाता है. इनकी पूजा करने से शीघ्र ही धन, संपत्ति, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कलियुग में गोबर गणेश शीघ्र फल देने वाले देवता माने गए हैं.
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