रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के प्रमुख घटक गरूवा के तहत गांवों में निर्मित गौठानों को ग्रामीणों के स्व-रोजगार एवं आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित करने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा है कि गौठानों में स्व-रोजगार संबंधी विविध गतिविधियों का संचालन कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से निर्मित एवं उत्पादित सामग्रियों के मार्केटिंग की व्यवस्था, सुनिश्चित की जानी चाहिए. मुख्यमंत्री ने गौठानों में वृहद पैमाने पर पौध रोपण के साथ ही उसके निचले हिस्से में तालाब का निर्माण किया जाए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों के एरिया में ही मत्स्य पालन पोल्ट्री एवं बकरी पालन की गतिविधियों को भी शुरू कराया जाना चाहिए. उन्होंने गौठानों के बेहतर संचालन के लिए इसे आय मूलक गतिविधियों से जोड़ने की भी बात कही. बैठक में कृषि एवं पशुपालन मंत्री रविन्द्र चौबे, मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त मनिंदर कौर द्विवेदी, मुख्यमंत्री की उप सचिव सौम्या चैरसिया सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

मुख्यमंत्री बघेल ने गौठानों में पशुओं  की देखभाल, स्वास्थ्य सुरक्षा एवं नस्ल सुधार कार्यक्रम को बेहतर तरीकों से संचालित करने के लिए पषुधन विकास विभाग के अधिकारियों की अनिवार्य रूप से ड्यूटी लगाने के निर्देश दिए. उन्होंने गौठानों में पशुओं के उपचार एवं चिकित्सकों के बैठने के लिए आवष्यक अधोसंरचना का निर्माण कराने के भी निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में महिला समूहों द्वारा उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट, साबुन, डिटर्जेंट, धूप-अगरबत्ती, सीमेंट पोल, सब्जी-भाजी, चैन लिंक आदि की सप्लाई आवश्यकता अनुसार शासकीय विभागों विशेषकर वन, शिक्षा, आदिम जाति कल्याण विभाग को की जानी चाहिए. उन्होंने इस संबंध में मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल को आवश्यक निर्देश जारी करने के साथ ही छत्तीसगढ़ दुग्ध महासंघ के देवभोग उत्पाद की सप्लाई आवश्यकतानुसार  शासकीय विभागों में भी करने के निर्देश दिए.

बैठक में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने गौठानों की वर्तमान स्थिति एवं वहां संचालित गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि गौठानों में गांव की महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा आय मूलक गतिविधियों का सफलता पूर्वक संचालन किया जा रहा है. गौठान वाले गांव में रबी के रकबे में लगभग 12 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है. कृषि उत्पादन आयुक्त कौर ने जानकारी दी कि राज्य के 10 हजार 976 ग्राम पंचायतों में से 5409 ग्राम पंचायतों में गौठान निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है. जिसमें से 1929 गौठानों का निर्माण हो चुका है. वहां ग्रामीण द्वारा आय मूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. 3350 गौठानों की जियो टैगिंग भी की जा चुकी है। गौठानों के संचालन के लिए प्रबंधन समिति को 10 हजार रूपए का अनुदान भी दिया गया है.

उन्होंने बताया कि 253 गौठानों में 3072 हेक्टेयर में रबी बीज उत्पादन का कार्यक्रम लिया गया था. वर्ष 2019-20 में 23558 हेक्टेयर फसल प्रदर्शन भी लिया गया. चारागाह विकास के लिए 2254 कार्य स्वीकृत किए गए हैं. यहां गौठानों में चारागाह के साथ नर्सरी भी विकसित की जा रही है. गौठानों में पैरा उपचार, पशु आहार निर्माण इकाई की स्थापना भी किए जाने की योजना है. उन्होंने बताया कि एक हजार 5 गौठानों में प्रतिदिन लगभग 400 टन कम्पोस्ट खाद का उत्पादन हो रहा है. 11 गौठानों में बायो गैस संयंत्र की स्थापना की गई है जबकि 8 गौठानों में जैविक कीटनाशक दवाई का उत्पादन शुरू किया गया है. गौठानों में मिट्टी परीक्षण एवं उपचार की व्यवस्था भी की जा रही है. महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री विक्रय के लिए कुछ स्थानों पर मार्केट लिंकेज की व्यवस्था की गई है. बैठक में गौठानों के माध्यम से पशु नस्ल सुधार कार्यक्रम के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई.