रायपुर। बुरकापाल नक्सली हमले के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर कैसे बस्तर में नक्सलियों का खूनी तांडव रुकेगा. एक बड़े तबके को लगता है कि हालात जिस तरीके से बिगड़ रहे हैं उसके मद्देनज़र सर्जिकल स्ट्राइक या आर्मी को भेजकर नक्सलियों का सफाया करना चाहिए. लेकिन बस्तर को 50 साल से ज्यादा करीब से जानने वाले रामचंद्र सिंहदेव ऐसा नहीं मानते. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामचंद्र सिंहदेव ने नक्सल समस्या के खात्मे के लिए दो सुत्रीय फॉर्मूला सरकार को सुझाया है. विश्वास और विकास.
प्रदेश के सबसे काबिल और ईमानदार राजनेताओं में शुमार रामचंद्र सिंहदेव का कहना है कि सुरक्षाकर्मियों की तादाद बढ़ने से बस्तर में लोगों का विश्वास और टूट जाएगा. उनका कहना है कि बस्तर की असली समस्या है कि वहां के लोगों का सरकार विश्वास खो चुकी है. उन्होंने कहा कि आम बस्तरिहा को लगता है कि सरकार उनका शोषण कर रही है और इस स्थिति का फायदा नक्सली उठाते हैं और उन्हें भ्रमित कर देते हैं.
उन्होंने कहा कि अब बस्तर के लोगों को विश्वास हो चला है कि सरकार उनका शोषण कर रही है. अब हालात सुधारना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आजादी के बाद से लगातार बस्तर की भंयकर उपेक्षा हुई. वहां के खनिज और जंगल बाहर गया. इसका लाभ वहां के लोगों को नहीं मिला. उन्होंने कहा कि आज बस्तर देश के सबसे गरीब इलाकों में से एक है अगर वहां के संसाधनों का विकास वहां के लोगों के लिए हुआ होता तो बस्तर के आदिवासी पूरे देश में सबसे समृद्ध और विकसित आदिवासी होते. उन्होंने कहा कि बस्तर के लोगों के विकास के सारे संसाधन मौजूद हैं. वहां आबादी का दबाव कम है और वहां खनिज, जंगल और पानी पर्याप्त मात्रा में हैं.
सिंहदेव ने जोर देकर कहा कि अभी बस्तर के खनिज का दोहन न किया जाए. उन्होने कहा कि पहले विकास करके बस्तर के लोगों का विश्वास जीता जाए उसके बाद जब बस्तर के लोग शिक्षित होकर खनिज संपदा का कुछ लाभ लेने की स्थिति में पहुंच जाएं तभी खनिज निकाला जाए. उन्होंने कहा कि बगैर बस्तर के लोगों का विश्वास जीते नक्सलवाद का समाधान संभव नहीं है. उन्होंने सरकार को सलाह दी है कि वहां के लोगों का प्यार से विकास किया जाए. जिससे उन्हें लगे कि सरकार उनको सुरक्षा दे रही है उनका विकास कर रही है. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार को नक्सलियों से सख्ती से निपटना होगा.