प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। सरकारी सिस्टम विकास के लाख बड़े दावे करती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उनके दावे फिसड्डी साबित हो रहे हैं. विकास के दावों का दम निकलता नजर आ रहा है. छत्तीसगढ़ में एक ऐसा गांव है, जहां आजादी के 75 वर्ष बाद भी बिजली नहीं पहुंची है. आधुनिक युग में नागरिकों को मूलभूत सुविधा न मिलना विकास के हवा-हवाई दावों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.

जानकरी के अनुसार, कबीरधाम जिले में बैगा बाहूल्य एक गांव है, जिसका नाम छिन्दीडीह है. इस गांव में आजादी के अमृतकाल में पहुंचने के बाद भी बिजली का नामों निशान नहीं है. बिजली के अभाव में अब बैगा समुदाय के लोगों को काफी परेशानी हो रही है. बैगा समुदाय के लोग बदलते समय में अब शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे है और उनके बच्चे भी पढ़ाई करने लगे है. बिजली की मांग वे कई वर्षे से कर रहे हैं. इसके बावजूद अब तक उनके गांव में बिजली नहीं पहुंची. जिसके चलते छिन्दीडीह से चलकर बैगा समूदाय के बच्चे, महिला और पुरूष गांव में बिजली की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और जल्द ही बिजली मुहैया के लिए अपना आवेदन सौंपा है.

वहीं ग्रामीणों की बिजली की मांग को जायज ठहराते हुए जोगी कांग्रेस पार्टी भी उनके मांग का समर्थन करते हुए उनके साथ खड़े हो गए. कांग्रेस और भाजपा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने जिले के बैगा बाहूल्य गांव छिन्दीडीह में जल्द बिजली पहुंचाने के लिए आंदोलन छेड़ने की बात कही है.

वहीं ग्रामीणों की इस समस्या पर प्रशासन ने जल्द परीक्षण के बाद बिजली मुहैया कराने की बात कही है. अब देखने वाली बात होगी की बिजली के इंतजार में बैठे ग्रामीणों को आखिर बिजली कब मिलती है.

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