सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बने 20 साल हो गए हैं. इन बीस सालों में छत्तीसगढ़ ने ख़ूब तरक़्क़ी की है. इन तरक़्क़ी को दिखाने के लिए हमारे पास नवा रायपुर जैसे कल्पनाशील नव निर्मित राजधानी है. एक ऐसी राजधानी जहां पर लंबी चौड़ी सड़कें है, हालांकि इन सड़कों पर चलने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है. लेकिन छत्तीसगढ़ के गावों जो तस्वीर उभर कर सामने आती है, वह इसके विपरीत है. प्रदेश के मुंगेली ज़िले का ऐसा गांव धरमपूरा है, जहां विकास कोसो दूर है. यहां आज तक पक्की सड़क नहीं बन पाई. जबकि इस गांव से 3 किमी दूर पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक पुन्नूलाल मोहिले रहते हैं. फिर भी गांवों में सड़कें नहीं बन पाई.

धरमपुरी का सड़क कीचड़ से सनी हुई. इस पर गाड़ियों का पहुंचना बहुत आसान नहीं है. उस सड़क में भला कोई एम्बुलेंस कैसे पहुंचे, ग्रामीण मरीजों को खाट पर ले जाने मजबूर है. बेबस परिजन मरीज को खाट पर अस्पताल ले जाने के लिए निकल पड़े.

शायद ऐसी तस्वीरें देश के कई हिस्सों से पहले भी आई है. साथ ही कुछ बरस पहले एक ऐसी ही तस्वीर ओडिशा से आई थी. मांझी परिवार की, तब देश में उस तस्वीर की जमकर चर्चा हुई थी. आज फिर से 1 तस्वीर छत्तीसगढ़ की मुंगेली ज़िले में धर्मपुरा से आई है. आप इन तस्वीरों को देखें और छत्तीसगढ़ में विकास को भी देखिए, जिसमें कहा जाता है कि 15 साल तक एक पार्टी सत्ता में विकास के दम पर ही बनी रही फिर क्यों नहीं बदली धरमपुरा की क़िस्मत, जबकि इस विकास के भागीदार तो धरमपुरा वाले भी रहे हैं. क्योंकि धरमपुर वाले भी तो अपने नेता मोहिले को लगातार चुनकर विधानसभा तक भेजते रहे हैं फिर वो उनकी क़िस्मत क्यों नहीं बदल पाए.

अब आप सोच रहे होंगे गांव खेड़े में ऐसे रास्ता तो आम बात है और आपने ऐसी कई तस्वीर देखी होगी, लेकिन ये धर्मपुरा मुंगेली जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय से सिर्फ़ पांच किलोमीटर दूर है इतना ही नहीं बल्कि एक किलोमीटर दूरी पर जिला पंचायत भी है. ऐसे में ही जनता की सेवा और ज़िले के विकास के लिए एसी कमरों में बैठे अधिकारी कितने ज़िम्मेदारी से अपने काम कर रहे हैं तो ये तस्वीर बयां कर रही है.

आप इस वीडियो को देखेंगे और गांव वालों को सुनेंगे तो छत्तीसगढ़ में विकास को ज़रूर याद करेंगे. रमन सरकार को याद करेगे मौजूदा भूपेश सरकार को शायद इस विकास को देखते हुए आप जय सियाराम नहीं बल्कि हे राम ज़रूर कहेंगे.

नेताजी हर बार जीते, लेकिन धर्मपुरा की किस्मत नहीं बदली

धरमपुरा गांव के पड़ोस में ही दस रंगपुर गांव है. ये वहीं गांव है जहां से निकले एक नेताजी चार बार तक सांसद रहे, तीन बार विधायक बने, और दो बार मंत्री भी रहे, लेकिन धर्मपुरा की किस्मत नहीं बदली. एक अदद सड़क तक नहीं बन पाई, लेकिन नेताजी ने बहुत कुछ बनाया है बात मुंगेली ज़िले की कर रहे हैं और जिस विकास पुरुष हम ज़िक्र कर रहे हैं उनका नाम पुन्नूलाल मोहिले हैं. जिसके बारे में ये कहा जाता है कि वे आज तक कभी नहीं हारे पंचायती स्तर से जिन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी और संसद के सर्वोच्च शिखर तक वो पहुंचे थे. नेताजी तो कभी कोई चुनाव नहीं हारे, लेकिन नेताजी के क्षेत्र की जनता हार गई, फिर भी जनता नेताजी से बड़े आस के साथ उनकी साथ खड़ी रही लेकिन उन्हें सड़क तक नहीं मिला.