फीचर स्टोरी। छत्तीसगढ़ वन्यप्राणियों के लिए सुरक्षित रहवास क्षेत्र बनते जा रहा है. घने जंगलों के बीच वन्यप्राणियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार की ओर से कई कार्य किए गए और किए जा रहे हैं. वन्यजीवों को जंगलों में अनुकूल वातावरण देने वन विभाग की टीम सतत् काम कर रही है.

राज्य सरकार के निर्देशों पर वनक्षेत्रों में जलस्त्रोतों का निर्माण का काम तेजी से हुआ है. इसके साथ जंगल में बड़े पैमाने पर फलदार वृक्षों का रोपण भी किया गया है. इससे शाकाहारी जानवारों को भोजन उपलब्ध हो सकेगा. वहीं अलग-अलग क्षेत्रों में जलवायु के अनुसार पर्यावास का प्रबंध किया गया है.

वन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक संरक्षित क्षेत्र और वन मंडलों में तालाब, एनीकट एवं स्टॉप डेम निर्माण, नलकूप खनन, चारगाह विकास, लेन्टाना उन्मूलन, बाड़ा निर्माण आदि कार्य सतत् रूप से जारी हैं.

प्रदेश में वन्यप्राणियों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर पर काम किया जा रहा है. हाथी प्रभावित क्षेत्रों के लिए अलग से कार्ययोजना बनाई है. वहीं भालू प्रभावित क्षेत्रों के लिए अलग कार्य योजना बनाई है. जबकि तेंदुआ प्रभावित इलाकों अलग से प्रबंध किए गए है और इसमें सतत् काम जारी है.

वन विभाग के मुताबिक विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत 06 तालाबों का गहरीकरण सहित 112 तालाब, 12 एनीकट, 20 स्टॉपडेम, 284 वॉटरहोल, 237 गेबरियन स्ट्रक्चर एवं 135 कच्चे बोल्डर चेकडेम का निर्माण किया गया है.

वहीं वर्ष 2021-22 में 10 हजार 553 हे. क्षेत्र में चारागाह विकास का कार्य किया गया है, ताकि शाकाहारी वन्य प्राणियों को सुगमता से भोजन उपलब्ध हो सके. इसके फलस्वरूप वन्य प्राणियों की संख्या में निरतंर वृद्धि हो साथ ही इस वर्ष लगभग 82003 हे. क्षेत्र में लेण्टाना उन्मूलन का कार्य किया गया है.

वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि जंगल के अंदर जो संरक्षित क्षेत्र है वहाँ वन्यप्राणियों के बेहतर रहवास के लिए जो प्रयास किए गए है उसमें लेण्टाना का प्रकोप कम करना अहम रहा है. इस दिशा में अभी और भी काम जारी है. इस कार्य से एक तरफ जहाँ लेण्टाना हटने से वन्यजीवों को पर्याप्त खुला क्षेत्र मिलेगा वहीं घास और अन्य पौधों के लिए जगह भी मिलेगी. इससे विशेषकर शाकाहारी जीवों को लाभ मिलेगा. चारागाह अधिक क्षेत्र में विकसित होगा.

विभाग की ओर से यह भी प्रयास निरंतर जारी है कि वन्यप्राणियों का आबादी वाले इलाकों में प्रवेश को रोका जाए. क्योंकि अभी तक स्थिति ये है कि लगातार अलग-अलग क्षेत्रों से ऐसी खबरें आती रहती है कि गांवों में, शहरों में वन्यजीवों की घुसपैठ हो रही है. विशेषकर हाथी और भालू लगातार आबादी वाले क्षेत्रों में प्रवेश कर जा रहे हैं. ऐसे में इन्हे रोकने के लिए विभिन्न तरीके से काम किया जा रहा है.

विभाग के अधिकारी यह भी मानते हैं जंगल के अंदर कई क्षेत्रों में गर्मी के दिनों जल संकट की स्थिति बन जाती है. ऐसे में इस संकट से उबरने के लिए व्यापक काम किया गया है. राज्य सरकार की नरवा विकास योजना के अंतर्गत कई चेक डैम बनाए गए हैं, नालों को ठीक किया गया है. 90 फीसदी तक नरवा पर काम हुआ है. इससे वन्यप्राणियों को जंगल के अंदर पानी उपलब्धता हो रही है.

इसके अलावा विभाग द्वारा वन्य प्राणियों की सुरक्षा को अहम मानते हुए लगातार पेट्रोलिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है तथा टूरिज्म को सुगम बनाने हेतु 1 हजार 463 किलोमीटर में वन मार्गो का निर्माण तथा उन्नयन का कार्य किया गया है. मैदानी अमले को बेहतर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में लगभग 76 विभिन्न प्रकार के आवासीय मकान बनाये गये हैं.

भूपेश सरकार में बीते 4 वर्षों में राष्ट्रीय उद्यान के साथ विभिन्न अभ्यारण्य क्षेत्रों के टाइगर रिजर्व में काफी काम वन्यजीवों के रहवास के लिए हुआ है. सुराजी योजना, कैंपा मद, मनरेगा जैसे विभिन्न योजनाओं के समावेश जहाँ वनांचल में रहने वाले लोगों को रोजगार दिया गया है, वहीं वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर जागरुक भी किया गया है. कई इलाकों में समुदायों के माध्यमों से वनों और वन्य प्राणियों की सुरक्षा कराई जा रही है. वहीं प्रचार-प्रसार का सतत् अभियान भी जारी है.

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