प्रदेश के हर क्षेत्र को कुछ न कुछ सौगात देने वाली छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने पुल निर्माण कर बस्तर के अबूझमाड क्षेत्र को विकास की नई धारा से जोड़ दिया है. ग्रामीण विकास के क्षेत्र में हर छोटी बड़ी जरूरतों का पूरा ध्यान रखने वाले और जन की लंबित मांगों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए ख्यातिप्राप्त मुख्यमंत्री भपेश बघेल ने अपनी मजबूत निर्णय क्षमता का परिचय देते हुए पुल निर्माण करवा कर अबूझमाड़ की तकदीर और तस्वीर दोनो ही बदल दी है.

47 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होकर 25 जनवरी 2022 को मुख्यमंत्री के हाथों उद्घाटित होने वाले छिंदनार पुल के बन जाने से अबूझमाड़ का जन-जीवन बहुत सी सुविधााओं से जुड़ गया है. अब यहां जीवन यापन सुगम होने लगा है. अपने पिछड़ेपन के लिए पहचाने जाने वाला अबूझमाड़ बहुत जल्दी एक नई पहचान के साथ सामने आने वाला है. आवाजाही के लिए सुविधाजनक बने अबूझमाड़ क्षेत्र में अब आंगनबाड़ी केन्द्र, स्वास्थ्य केन्द्र, स्कूल जैसी अति आवश्यक और बुनियादी जरूरत की जगहों पर आसानी से पहुंचा जा रहा है. इस पुल के निर्माण से पहले अबूझमाड़ के ग्रामीणों का विकास की सुविधाओं से जुड़े नजदीक के जिले नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा तक पहुंचना एक दुरूह कार्य हुआ करता था, लेकिन पिछले 4 वर्षों में हुई यहां की तब्दीली ने सभी को हैरत में डाल दिया है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं ने वो चमत्कार किया है कि कायाकल्पित होकर अब अबूझमाड़ वो पहले वाला अबूझमाड़ नहीं रहेगा. प्रदेश के जन-जन का विकास करना छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने अपनी जवाबदेही के तहत लिया है. शासकीय योजनाओं पर हर एक का बराबरी से हक होना चाहिए, सभी को उसका बराबर लाभ मिलना चाहिए, अपने इसी सिद्धांत को आकार देते हुए उन्होने छत्तीसगढ़ में पुल और सड़क का ऐसा जाल बुना है कि कोई कोना ऐसा न रह जाए जहां कोई द्वार विकास की दस्तक से वंचित रह जाए. इंद्रावती नदी पर नक्सल गढ़ को भेदने सरकार पुलों की श्रंखला बना रही है. इसमें छिंदनार में पहुरनार घाट में बने पुल का लोकार्पण हो चुका है. करका घाट में भी पुल बनकर तैयार हो गया है. करका घाट में छह सौ मीटर लंबा 24 स्पान वाला विशाल पुल इंद्रावती में बनाया गया है. इस पुल के बन जाने से इंद्रावती पार के बड़ेकरका, कौर गांव, पदमेटा, तुमरिगुंडा सहित दर्जनों गांव के लोगों को बारिश में डोंगी से इंद्रावती नदी को पार नहीं करना पड़ेगा. बरसात के मौसम में इंद्रावती नदी का जल प्रवाह ऐसा होता है कि जून से सितंबर तक अबूझमाड़ का यह क्षेत्र कट कर पूरी तरह से अलग-थलग पड़ जाता है. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार की पहल पर छिंदनार पुल के बन जाने से अबूझमाड़ के ग्रामीण अपने आपको बस्तर की मूल भूमि से जुड़ा महसूस कर रहे हैं. इसके अलावा भी छत्तीसगढ़ सरकार ने दंतेवाड़ा और बीजापुर से अबूझमाड़ क्षेत्र तक पहुंचने के लिए इंद्रावती नदी पर छह नए पुल बनाने का भी फैसला लिया है. इंद्रावती नदी पर अबूझमाड़ को भेदने दंतेवाड़ा जिले में दो बीजपुर जिले में एक पुल बनाया जा रहा है. जिसमें दंतेवाड़ा जिले के दोनों पुल तैयार हो गए हैं और बीजापुर जिले में कार्य प्रगति पर है.

सरकार के तेवर से नक्सलवाद पस्त

नक्सलियों की चुनौती वाले इन पुलों का कार्य फोर्स की सुरक्षा के बीच करवाया जा रहा है. इंद्रावती नदी के पार नक्सलियों का अभेद गढ़ होने के चलते निर्माण आसान नहीं था. निर्माण के लिए नदी के किनारे ही जवानों की तैनाती की गई है. इस पुल के बन जाने से अबूझमाड़ की तस्वीर बदलने लगी है. स्कूल, आश्रम, अस्पताल सब अब बारिश में भी निर्विध्न जारी रहेंगे, सिंचाई, पेयजल की सुविधा भी इंद्रावती के पार पहुंचाई जा रही है.

यहां के अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्र के गांवों में विकास की कई योजनाएं कई वर्षों से लंबित थीं. 38 करोड़ रुपये की लागत से छिन्दनार गांव में, देवगुड़ी, डेनेक्स टेक्सटाइल फैक्ट्री के पास इंद्रावती नदी पर पुल का निर्माण जैसी परियोजनाओं पर काम अबूझमाड़ क्षेत्र के लिए बहुत ही अच्छी शुरूआत है. विकास की गति बढ़ने और सरकार द्वारा क्षेत्र के लोगों का विश्वास जीतने से नक्सलवाद तेजी से सिमटने लगा है. छत्तीसगढ़ के मुखिया का तो ये मानना है कि विकास रूकेगा नहीं बल्कि हर चुनौती का सामना करते हुए इसे और तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा. छिंदनार का यह पुल इस पूरे अंचल के लिए विकास का द्वार सिद्ध हो रहा है. इस पुल के बन जाने से इंद्रावती नदी के दोनों तरफ के गांव आपस में जुड़ जाएंगें और ग्रामीणों तक शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं भी आसानी से पहुंचा करेगी. नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुल का निर्माण आसान काम नहीं था. इसके लिए कई सुरक्षा जवानों ने दिन रात तैनात रह कर काम किया है. जवानों ने निर्माण कार्य में प्राणों की बाजी लगाकर सहयोग दिया. इन जिलों में लगातार रोजगार सृजन के लिए काम किया जा रहा है. आज तक जिन मूलभूत सुविधाओं से दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोग दूर थे, अब उन्हें सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे. जिला पुलिस, सीआरपीएफए और सभी सुरक्षा बल के जवानों ने इस पुल के निर्माण में चाकचौबंद सुरक्षा प्रबंध किए, इस निर्माण के दौरान जवान शहीद हुए.

पुल के नामकरण पर भी रखा गया मानवता का मान

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नए पुल का नामकरण ग्राम पंचायत पाहुरनार के पूर्व सरपंच स्वर्गीय पोसेराम कश्यप के नाम पर रखने का निर्णय लिया है. उल्लेखनीय है कि पुल निर्माण की मांग सबसे पहले उन्होंने ही उठाई थी. जिसके लिए उन्हें और उनके परिवार को नक्सलियों की प्रताड़ना सहनी पड़ी. बाद में नक्सलियों ने पोसेराम की हत्या कर दी थी. छिंदनार में बना यह पुल साधारण पुल नहीं है. यह दंतेवाड़ा बीजापुर नारायणपुर बस्तर जिले को और बस्तर से अबूझमाड़ को जोड़ने वाला पुल है. पहले पढ़ाई के लिए बच्चों को नाव से नदी पारकर इस पर आना पड़ता था. आपात स्थिति में इलाज के लिए नाव से नदी पार करने में बहुत दिक्कत होती थी. अब 108 और 112 एंबुलेंस की भी इन गांवों तक पहुंच होगी. यह पुल सही मायने में विकास का द्वार है. अबूझमाड़ में बदलाव की शुरुआत हो चुकी है. दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को शासन की योजनाओं का लाभ मिलने लगा है.

मुश्किलों से भरे चार महीने

पुल निर्माण से लाभान्वित होने वाले ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के पूरे चार महीने यहां बहुत मुश्किल के हुआ करते थे. जिला मुख्यालय से पूरी तरह कटा अबूझमाड़ का यह क्षेत्र स्वास्थ्य, शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं के लिए बहुत परेशान रहता था. पुल निर्माण के बाद यहां रोजगार के नए-नए आयाम दिखाई देने लगे हैं. अन्य जिलों से जुड़ाव कृषि कार्य के लिए भी लाभप्रद है. आजादी के 75 वर्ष बाद सीधे अबूझमाड़ को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयास में इस पुल का निर्माण किया गया है. इस पुल के माध्यम से अब तक विकास से अछूते अबूझमाड़ के ग्रामीणों का विकास हो सकेगाए साथ ही लगभग 11 हजार की आबादी को सरकार की सभी योजनाओं का लाभ भी मिल सकेगा. इस नए पुल के अलावा भी मुख्यमंत्री ने अबूझमाड़ इलाके में विकास कार्य के लिए लगभग 20 करोड़ की घोषणा की है और आने वाले समय में ग्रामीणों की सुविधा को देखते हुए इलाके में लगातार विकास कार्य का वादा भी किया है. बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर से गुजरने वाली इंद्रावती नदी में 7 नए पुल प्रस्तावित हैं, इनमें एक पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है, वहीं एक पुल निर्माणाधीन है जल्द ही अन्य पांच पुलों का भी निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा.

कल और आज का फर्क देख रहे अबूझमाड़ के ग्रामीण

इंद्रावती नदी में पुल नहीं होने की वजह से अबूझमाड़ के ग्रामीणों को नाव पर बैठकर नदी पार करना पड़ता था, इस दौरान कई ग्रामीण हादसे के शिकार भी हुए हैं. अबूझमाड़ क्षेत्र के किसानों ने बताया कि उनके गांव में पुल बनने के बाद अब नदी का पानी खेतों को दिया जा रहा है, साथ ही क्षेत्र की सिंचाई सुविधा में सुधार हुआ है जिसका लाभ किसानों को भी मिल रहा है और ग्रामीणों की फसल उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी और उनके जीवन में समृद्धि का प्रवेश होगा. पहले लोग और प्रशासन डोंगी या नावों के सहारे नदी पार करते थे, इस तरह प्रशासन को भी बहुत परेशानी होती थी. लेकिन अब यातायात सुगम है इस क्षेत्र में तेंदूपत्ता की खरीद भी आसान हो गई है. अबूझमाड़ क्षेत्र में अब समय-समय पर स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन भी किया जा रहा है और लोगों को जो भी सुविधाएं दी जा रही हैं.

नए पुल से गति पा रही शासकीय योजनाएं

जिला प्रशासन अब पूरी तत्परता से लोगों की समस्याओं का समाधान करने में अपने आप को पूरी तरह से सक्षम पा रहा है. विकास कार्य की नई रणनीति तय की जा रही है, अबूझमाड़ के और भी दूर दराज के इलाकों मेें अब पंचायत का विकास किया जा रहा है जो पहले किसी कल्पना की बात लगती थी. देखते ही देखते समूचा अबूझमाड़ क्षेत्र सड़क, बिजली, आंगनबाड़ी, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, पंचायत भवन जैसी तमाम मूलभूत सुविधाओं से सज जाएगा. उन लोगों को चिन्हांकित किया जा रहा है जो अलग-अलग शासकीय योजनाओं के लिए पात्र है और बहुत जल्द उन तक सभी योजनाओं को पहुंचाया भी जा रहा है. नए पुल निर्माण से लाभान्वित हुए ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उनके गांव में कई कारणों से बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही थी. पुल निर्माण के बाद ग्राम पंचायत तुमरीगुंडा में 18 वार्ड में 18 ट्रांसफार्मर लगाकर बिजली पहुंचाई गई, जिससे 410 परिवार लाभान्वित हुए हैं. घनात्मक उर्जा फैलाते हुए लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासियों द्वारा निर्मित मांदर बजाकर अबूझमाड़ के ग्रामीणों का उत्साहवर्धन किया और उनकी मौजूदगी में अबूझमाड़ के ग्रामीण सीधे दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले इस नए पुल का लोकार्पण किया था जो आज अबूझमाड़ के ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधार रहा है.