इंदौर। चर्चित कैंसर अस्पतालों में शुमार भारत का सबसे विश्वसनीय कैंसर हॉस्पिटल देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की उच्च न्यायालय में ऐतिहासिक जीत के बाद आम लोगों के बीच विश्वसनीयता बरकरार है। आपको बता दें कि साजिश के तहत संस्थान को बदनाम करने की एक बड़ी कोशिश बेनकाब हुई है। जिसमें इंदौर प्रशासन की भी बड़ी लापरवाही सामने नजर आई है।
लापरवाही के बाद सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने इस मामले को दो टूक में अस्पताल के विरुद्ध प्रशासन की ओर से मनमाने ढंग से की गई अवैध कार्रवाई बताते हुए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन बताया है। संस्थान के निदेशक अजय हार्डिया ने बताया कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी की शान देवी अहिल्या हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पिछले 5 वर्षों से कैंसर मरीजों की सेवा में अद्भुत योगदान दे रहा है। इसकी पहचान राष्ट्रीय स्तर से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक बहुत ही विश्वसनीय रूप में विकसित हुई है।
राज्य सरकार के आदेश जिसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि इलेक्ट्रो होम्योपैथी में चिकित्सा कार्य के लिए मध्य प्रदेश नर्सिंग होम एक्ट 1973 की धारा में इलेक्ट्रो होम्योपैथी चिकित्सकों को पंजीयन की आवश्यकता नहीं है। इलेक्ट्रो होम्योपैथी के बारे में प्रशासनिक स्तर पर यह जानकारी होने के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ने कलेक्टर को गलत जानकारी और रिपोर्ट देकर अस्पताल के खिलाफ दुर्भावनापूर्ण अवैध कार्रवाई मनमाने ढंग से की गई थी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जब पूछा कि कलेक्टर ने बिना किसी पूर्व सूचना के एक तरफा क्यों कार्रवाई की? इस पर शासन पक्ष ने पूर्व दिनांक का एक सूचना पत्र पेश किया जिस पर फर्जी हस्ताक्षर और अस्पताल का फर्जी सील बनवाकर लगाई गई थी। पूर्व सूचना को कोर्ट ने मानने से इंकार कर दिया। इसके बाद न्यायालय ने देवी अहिल्या कैंसर हॉस्पिटल के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इस कार्रवाई को गलत ठहराया और दोबारा हॉस्पिटल को पहले की तरह संचालित करने के निर्देश दिए। दूसरी ओर निदेशक डॉ. अजय हार्डिया अब इस करवाई के जिम्मेदारों पर मानहानि का केस करने की बात कर रहे हैं।
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