रवि गोयल, जांजगीर-चांपा. देशभर में क्वांर नवरात्रि बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, देशभर में मां दुर्गा अलग-अलग रूप में विराजमान है. ऐसा ही मां दुर्गा का एक अलौकिक रूप जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम हरदी स्थित महामाया देवी मंदिर में है, हर साल नवरात्रि में सप्तमी में इस मंदिर में मां महामाया का चमत्कार देखने श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं, नवरात्रि में सप्तमी के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, माता के मंदिर में पुजारी जमीन पर आटा फैलाते है और फिर उसके ऊपर पान पत्ते में मेवे का भोग लगाकर मंदिर को एक घंटे के लिए बंद कर देते है.

एक घंटे के बाद जब मंदिर को खोला जाता है तो वहां मां महामाया की उपस्थिति के प्रमाण मिलते है. जमीन पर फैले आटे में शेर के पंजे या किसी कन्या के पैरों के निशान देखने को मिलते है,साथ ही मां को लगाए गए भोग में से कुछ प्रसाद कम दिखाई पड़ता है. इस वर्ष भी सप्तमी के दिन यही चमत्कार देखने को मिला. मां महामाया को चढ़ाए गए प्रसाद में से मां ने एक पान का पत्ता और लौंग ग्रहण किया, जब मंदिर का दरवाजा खोला गया तो एक पान का पत्ता ओर लौंग थाली में से गायब था, वही आटे में भी पंजे के निशान देखने को मिले.

 

अकलतरा विकाखंड के ग्राम हरदी में मां महामाया का मंदिर स्थित है. ग्रामीणों के अनुसार पिछले कई दशकों से सप्तमी की देर रात लोग जब मंदिर के बाहर भजन-कीर्तन में डूबे रहते हैं, उसी वक्त मां महामाया शेर पर सवार होकर साक्षात् रूप में मंदिर के गर्भगृह में पहुंचती है.

सप्तमी पर मंदिर में पूजा का सिलसिला रात 11 बजे तक जारी रहता है, इसके बाद कुछ समय के लिए ट्रस्ट द्वारा मंदिर के सभी पट बंद कर दिए जाते हैं. रात 12 बजे के बाद जब मंदिर का पट खोला जाता है, तो माता की प्रतिमा के सामने फर्श पर शेर के पंजे के निशान दिखते हैं, जिसकी एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ टूट पड़ती है. मंदिर के ही पुजारी जितेन्द्र पाण्डेय ने बताया कि शेर कहां से आता है, इसकी जानकारी आज तक किसी को नहीं हुई है. जिस वक्त माता शेर पर सवार होकर मंदिर के गर्भगृह में पहुंचती है, उस समय सभी दरवाजे बंद रहते है। ऐसे में मंदिर के अंदर किसी व्यक्ति के पहुंचने का कोई रास्ता भी नहीं रहता.

वे बताते है कि सप्तमी की रात होने वाला यह चमत्कार कब से हो रहा है तथा इसके पीछे देवी की क्या मंशा है, इस बारे में भी स्पष्ट कर पाना संभव नहीं है, लेकिन सच्चाई यह है कि मंदिर में शेर के पदचिन्ह बनने का सिलसिला पिछले कई दशकों से जारी है. महामाया मंदिर परिसर में भोले भंडारी, मां दुर्गा, राम-जानकी, साईबाबा सहित अन्य देवी देवता स्थापित है, जो अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं.