प्रेमानंद महाराज को आज की तारीख में कौन नहीं जानता. उनके उपदेश, उनकी वाणी, आचार्यों और गुरुओं के प्रति उनका सम्मान, धर्म और भगवान के प्रति उनकी श्रद्धा से सभी परिचित हैं. उनके उपदेश और उनकी बात हर कोई अपने जीवन में चरितार्थ करता है. वहीं बहुत लोग उनके पास अपनी समस्या लेकर आते हैं. जिसका हल उन्हें मिलता ही है. ऐसा ही एक मामला आज सामने आया.

हाल ही में एक व्यक्ति प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए पहुंचा. जब उसने महाराज को अपनी समस्या बताई तो वहां उपस्थित सभी लोग स्तब्ध रह गए. उसने कहा कि वह अब तक 150 से ज्यादा पुरुषों के साथ संबंध बना चुका है. उसने आगे बताया कि वह इस जीवन से बेहद दुखी है और अब इससे बाहर निकलकर एक शांत और पवित्र जीवन जीना चाहता है.

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इस पर महाराज जी ने बहुत ही सहज, करुणापूर्वक और संतुलित ढंग से उसे समझाया. उन्होंने शांत स्वर में कहा कि यह तुम्हारी अपनी कोई उत्पत्ति नहीं है. यह तुम्हारी वास्तविक पसंद भी नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक संस्कार है, जो समय और परिस्थितियों के प्रभाव से तुम्हारे भीतर घर कर गया है. महराज ने आगे कहा कि अगर तुम इससे लड़कर इससे ऊपर नहीं उठते, तो यह तुम्हारे जीवन और छवि को प्रभावित करता रहेगा. यह शरीर तुम्हें संसार से ऊपर उठने, स्वयं को जानने और आत्म-विजय के लिए मिला है- किसी एक संस्कार के आगे मिट जाने के लिए नहीं.

प्रेमानंद महराज का जवाब

प्रेमानंद जी महाराज ने आगे कहा कि यह संस्कार सिर्फ आपके अंदर ही नहीं है बल्कि लाखों लोगों के अंदर है. ऐसे में यह सोचना जरूरी है कि इससे आपको क्या मिला? इस पर भक्त ने अपने जवाब में कहा सिर्फ डर और चिंता. तब प्रेमानंद महराज ने कहा कि अगर आप पुरुषों से संबंध नहीं बनाते हैं और महिलाओं से आपको कोई लगाव नहीं है, तो आप एक भगवत प्राप्त पुरुष के समान बन सकते हैं.