हरिश्चंद्र शर्मा, ओंकरेश्वर। सोमवार को ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर से एक वीडियो वायरल हुआ। जिसमें कुछ श्रद्धालु मंदिर परिसर में बने 40 करोड़ की लागत वाले रैंप से कूदते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया और श्रद्धालुओं की सुरक्षा और मंदिर व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे। हालांकि पूरी घटना की पृष्ठभूमि में गहराई से देखें तो मामला केवल अव्यवस्था का नहीं, बल्कि अचानक उत्पन्न भीड़ और भ्रम का भी है।

राज्यपाल के दौरे के चलते बदली गई व्यवस्था

सोमवार को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल महोदय ओंकारेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे थे। उनके आगमन को ध्यान में रखते हुए मंदिर ट्रस्ट ने दर्शन व्यवस्था में कुछ अस्थायी बदलाव किए। सुरक्षा कारणों से श्रद्धालुओं की भीड़ को कुछ समय के लिए नियंत्रित किया गया, जिससे रैंप में पहली बार उसका उपयोग किया भीड़ बढ़ गई।

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रैंप सुविधा या समस्या ?

2017 में 40 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया यह बहु-स्तरीय रैंप, श्रद्धालुओं को व्यवस्थित ढंग से मंदिर दर्शन तक पहुंचाने के उद्देश्य से बनाया गया था। यह रैंप दोनों पुलों (पुराना पुल और झूला पुल) से आने वाले दर्शनार्थियों को मंदिर तक पहुंचाने के लिए एकीकृत मार्ग का कार्य करता है। लेकिन राज्यपाल के दौरे और अस्थायी रोक के दौरान, अचानक भीड़ बढ़ जाने से कुछ श्रद्धालु घबरा गए और टीन शेड पर कूदकर निकलने की कोशिश की। गनीमत है कि मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने स्थिति को संभाल लिया और श्रद्धालुओं को वापस सुरक्षित रैंप में भेजा, जिससे कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई।

वायरल वीडियो ने बढ़ाई चिंता, लेकिन…

इस घटना का वीडियो किसी श्रद्धालु ने मोबाइल से रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया, जो तुरंत वायरल हो गया। वीडियो में दिखाया गया दृश्य भयावह अवश्य लगता है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि पूरी स्थिति कुछ मिनटों में नियंत्रित कर ली गई थी और किसी प्रकार की भगदड़ या गंभीर चोट की पुष्टि नहीं हुई।

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प्रशासन और ट्रस्ट का स्पष्टीकरण

मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी जंग बहादुर सिंह ने बताया कि राज्यपाल महोदय के आगमन से जुड़ी सुरक्षा तैयारियों की जानकारी ट्रस्ट को बाद में मिली। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ट्रस्ट पूरी तरह प्रतिबद्ध है। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी स्पष्ट किया कि रैंप से श्रद्धालुओं को नियंत्रित रूप से प्रवेश व निकास दिया गया था। वायरल वीडियो एक सीमित क्षण को दर्शाता है, न कि पूरी स्थिति को।

आगे के लिए क्या है जरूरी ?

यह घटना एक चेतावनी भी है कि भारी लागत से बनी सुविधाओं की प्रभावशीलता भीड़ प्रबंधन और योजनाबद्ध संचालन पर निर्भर करती है। भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए निम्नलिखित सुझाव सामने आए हैं। ओंकारेश्वर जैसे पवित्र स्थल पर श्रद्धालुओं की आस्था के साथ-साथ उनकी सुरक्षा भी सर्वोपरि है। वायरल वीडियो भले ही क्षणिक भ्रम और डर का प्रतीक हो, लेकिन यह एक बड़ा सवाल भी उठाता है, क्या करोड़ों की योजनाएं बिना समुचित प्रबंधन के केवल दिखावटी बनकर रह जाएंगी ? मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न बनने दी जाए।

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