हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा के लिए नवरात्रि के 09 दिनों को बहुत ज्यादा शुभ माना गया है. पहली नवरात्रि चैत्र मास के शुक्लपक्ष में तो दूसरी नवरात्रि आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में पड़ती है. इसके बाद तीसरी अश्विन महीने में और आखिरी नवरात्रि माघ मास में पड़ती है. आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष में मनाया जाने वाला गुप्त नवरात्रि का पर्व इस साल 19 जून 2023 से प्रारंभ होगा.
गुप्त नवरात्रि में देवी की पूजा का महत्व
गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के 10 दिव्य स्वरूप यानि मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला की पूजा की जाती है. शक्ति की साधना में इन सभी 10 महाविद्या की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है.
साधना की मुख्य सिद्ध पीठ
दस महाविद्याओं की उपासना का पर्व है ‘गुप्त नवरात्रि’. इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती, इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं. गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर गुप्त सिद्धियां पाने का समय है.
तारापीठ- यह मंदिर पश्चिम बंगाल के वीर भूमि जिले में एक छोटा शहर है. यहां तारा देवी का मंदिर है. तारापीठ मंदिर का प्रांगण श्मशान घाट के निकट स्थित है, इसे महाश्मशान घाट के नाम से जाना जाता है. इस महाश्मशान घाट में जलने वाली चिता की अग्नि कभी बुझती नहीं है. यहां आने पर लोगों को किसी प्रकार का भय नहीं लगता है.मंदिर के चारों ओर द्वारका नदी बहती है. इस श्मशान में दूर-दूर से साधक साधनाएं करने आते हैं.
कामाख्या पीठ- असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या मंदिर है. इसका तांत्रिक महत्व है. नीलांचल अथवा नीलशैल पर्वतमालाओं पर स्थित मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के इक्यावन शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है. यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है. यह स्थान तांत्रिकों के लिए स्वर्ग के समान है. यहां स्थित श्मशान में भारत के विभिन्न स्थानों से तांत्रिक तंत्र सिद्धि प्राप्त करने आते हैं.
नासिक- त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मन्दिर महाराष्ट्र के नासिक जिले में है. यहां के ब्रह्म गिरि पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम है. मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, ब्रह्मा, विष्णु और शिव- इन तीनों देवों के प्रतीक माने जाते हैं. भगवान शिव को तंत्र शास्त्र का देवता माना जाता है. तंत्र और अघोरवाद के जन्मदाता भगवान शिव ही हैं. यहां स्थित श्मशान भी तंत्र क्रिया के लिए प्रसिद्ध है.
उज्जैन- महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में है. स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यन्त पुण्यदायी माना जाता है. इस कारण तंत्र शास्त्र में भी शिव के इस शहर को बहुत जल्दी फल देने वाला माना गया है. यहां के श्मशान में दूर-दूर से साधक तंत्र क्रिया करने आते हैं. उज्जैन स्थित श्मशान को चक्रतीर्थ कहते हैं.
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