वाराणसी. काशी हमेशा से ही विद्वानों की नगरी मानी गई है. संस्कृत और वेद शास्त्रों के अध्ययन के लिए देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं. इसी बीच काशी ने एक बार फिर से देश-दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इस बार इसका केंद्र रहे हैं महाराष्ट्र के वैदिक साधक देवव्रत महेश रेखे. इनकी साधना ने देश के नवयुवाओं को सनातन संस्कृति से जुड़ने का नया संदेश दिया है. इनकी इस साधना की तारीफ पीएम मोदी ने भी की है. वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी रेखे की विद्वता को सराहा है.

दरअसल, देवव्रत महेश रेखे ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के लगभग 2000 मंत्रों वाले कठिन ‘दंडक्रम पारायणम’ को लगातार 50 दिनों तक बिना किसी व्यवधान के पूरा किया. इसके लिए उन्हें वेदमूर्ति की उपाधि दी गई है. यह साधना वाराणसी के रामघाट स्थित सांग्वेद विद्यालय में पूरी की गई. देवव्रत की ये साधना न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि ये नई पीढ़ी के लिए नव चेतना और नव जागरण का द्योतक भी है. देवव्रत की इस साधना से नवयुवाओं के बीच एक संदेश जरूर पहुंचा है कि आज के आधुनिक समय में भी वैदिक परंपरा की महिमा उतनी ही प्रासंगिक और जीवंत है.

इसे भी पढ़ें : विश्व दिव्यांग दिवस: CM योगी आज 500 दिव्यांगों को देंगे सहायक उपकरण, ‘दिव्य कला प्रदर्शनी’ का भी करेंगे उद्घाटन

ये उपलब्धि हमारी गुरु परंपरा का सबसे उत्तम रूप : पीएम मोदी

पीएम मोदी ने देवव्रत की साधना को लेकर एक पोस्ट साझा किया. जिसमें उन्होंने लिखा कि ’19 वर्ष के देवव्रत महेश रेखे जी ने जो उपलब्धि हासिल की है, वो जानकर मन प्रफुल्लित हो गया है. उनकी ये सफलता हमारी आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनने वाली है. भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर एक व्यक्ति को ये जानकर अच्छा लगेगा कि श्री देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के 2000 मंत्रों वाले ‘दण्डकर्म पारायणम्’ को 50 दिनों तक बिना किसी अवरोध के पूर्ण किया है. इसमें अनेक वैदिक ऋचाएं और पवित्रतम शब्द उल्लेखित हैं, जिन्हें उन्होंने पूर्ण शुद्धता के साथ उच्चारित किया. ये उपलब्धि हमारी गुरु परंपरा का सबसे उत्तम रूप है. काशी से सांसद के रूप में, मुझे इस बात का गर्व है कि उनकी यह अद्भुत साधना इसी पवित्र धरती पर संपन्न हुई. उनके परिवार, संतों, मुनियों, विद्वानों और देशभर की उन सभी संस्थाओं को मेरा प्रणाम, जिन्होंने इस तपस्या में उन्हें सहयोग दिया.

आध्यात्मिक जगत के लिए प्रेरणा का नव-दीप : सीएम योगी

सीएम योगी ने भी देवव्रत को बधाई दी. उन्होंने एक पोस्ट में लिखा है कि ‘महाराष्ट्र के 19 वर्षीय युवा वैदिक साधक श्री देवव्रत महेश रेखे जी ने अद्वितीय साधना और अद्भुत स्मरण शक्ति से 2000 वैदिक मंत्रों को कंठस्थ करते हुए जो अभूतपूर्व उपलब्धि अर्जित की है, वह पूरे आध्यात्मिक जगत के लिए प्रेरणा का नव-दीप है. शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा के ‘दण्डकर्म पारायणम्’ को 50 दिनों तक अखंड, शुद्ध और पूर्ण अनुशासन के साथ संपन्न करना, हमारी प्राचीन गुरु-परंपरा के गौरव का पुनर्जागरण है.’

इसे भी पढ़ें : देश के सबसे बड़े वार्षिक धार्मिक मेले का काउंट डाउन शुरू, त्रिवेणी की पवित्र धारा में सम्पन्न हुआ गंगा पूजन

सीएम ने आगे लिखा कि ‘मेरे लिए विशेष गर्व का विषय है कि यह वैदिक अनुष्ठान पवित्र काशी की ही दिव्य धरा पर सम्पन्न हुआ. उनके परिवार, आचार्यों, संत-मनीषियों और उन सभी संस्थाओं का हृदय से अभिनंदन, जिनके सहयोग से यह तपस्या सिद्धि को प्राप्त हुई. देवव्रत जी, आपकी यह उपलब्धि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का प्रकाश-स्तंभ बने, ऐसी मंगलकामना के साथ हार्दिक बधाई.’

जगद्गुरु शंकराचार्य ने दिया आशीर्वाद

बता दें कि इससे पहले नासिक में वेदमूर्ति नारायण शास्त्री देव ने 200 साल पहले दंडक्रम पारायण किया था. ये दुनिया का पहला दंडक्रम पारायण था. जिसके बाद काशी में दंडक्रम पारायण वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने किया. जिसके लिए उन्हें ‘वेदमूर्ति’ की उपाधि मिली है. इसके अलावा एक सोने का कंगन और 1,01,116 रुपये की धन राशि भी सम्मान स्वरूप दी गई है. ये सम्मान जगद्गुरु शंकराचार्य (शृंगेरी मठ) स्वामी श्री विधुशेखर भारती जी के द्वारा आशीर्वाद स्वरूप रेखे को दिया गया है.

इसे भी पढ़ें : ये पागलपन में रखना चाहता हूं… प्रेमानंद महराज से एक्टर राजपाल यादव ने कही ये बात, इसके बाद जो हुआ…

क्या है दंडक्रम पारायण

शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनि शाखा के करीब 2000 मंत्रों को दंडक्रम पारायण कहते हैं, जो एक कठिनतम परीक्षा है. वेद पाठ करने के 8 प्रकार में से एक दंडक्रम पारायण है. इन मंत्रों को कंठस्थ किया जाता है और फिर इसे सुनाया जाता है. दंडक्रम को उसके जटिल स्वर-स्वरूप और कठिन ध्वन्यात्मक क्रमपरिवर्तन के कारण उसे वैदिक पाठ का मुकुट माना गया है. इसमें पदों को पाठ विशिष्ट शैली में एक साथ उल्टा और सीधा करने का विधान है.