हर्षित तिवारी, खातेगांव(देवास)। सरकार ने स्कूली बच्चों के लिए बहुत ही बेहतरीन नारा दिया था सब पढ़ें-सब बढ़ें लेकिन हम कैसे पढ़े, ये वो मासूम स्कूली बच्चे है, जो आज जिम्मेदारों से सवाल कर रहे ओर पूछ रहे है, सरकार और अफसर बेहतरीन सुविधा देने का वादा करती है, लेकिन धरातल पर दावे और वादे का दम घुटता नजर रहा है। यह वो मासूम बच्चे और बुजर्ग ग्रामीण जिनकी एक छोटी सी मांग है कि सरकार हमारी पक्की सड़क बनवा दो। लेकिन मानो इनको देखने सुनने वाला कोई बचा ही नहीं।
यह तस्वीर देवास जिले के खातेगांव जिला पंचायत अंतर्गत ग्राम कांजीपुरा से लेकर विलोदा मार्ग (खेर खोठडा) मंजरा टोला की है। जहां लंबे समय से प्राथमिक स्कूल का निर्माण कराया था, यहां करीबन 70 से अधिक परिवार के लोग निवास कर रहे है। पक्की सड़क का निर्माण करने के लिए अफसर से लेकर जिम्मेदारों के दफ्तर खटखाटाए लेकिन आज तक कच्ची सड़क की समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
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नारकीय जीवन जीने को मजबूर ग्रामीण
लोगों का कहना है कि हम मजबूरन नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। हमारी समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है, जिस कारण स्कूली बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है। गभर्वती महिलाओं को आने जाने में काफी परेशानी होती है, लेकिन कोई भी जिम्मेदार इस समस्या पर गौर नहीं कर रहे है। इसी से परेशान होकर स्कूली बच्चे और ग्रामीणजन ने यह तय कर लिया है कि जब तक तीन किलोमीटर तक सड़क निर्माण कार्य नहीं किया जाता है, सभी ग्रामीणजन धरना आंदोलन करेंगे। जब तक जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचकर लिखित आश्वासन नहीं देते तब तक धरना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
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साइकिल तो मिली है, लेकिन कहां और कैसे चलाएं ?
प्रदेश सरकार गरीब बच्चों के लिए मध्यान भोजन, स्कूल ड्रेस, छात्रवृत्ति, साइकिल देने की योजना संचालित कर रही है। सरकार की योजना का लाभ तो मिलता है, लेकिन सुविधा नहीं मिलती है। सरकार बच्चों को साइकिल तो देती है, लेकिन बच्चे कहां और कैसे साइकिल चलाएं ? क्योंकि मोटी सैलरी ले रहे जिम्मेदार अपने दफ्तर में बैठकर मासूम बच्चों और ग्रामीण का दर्द ही नहीं समझ पा रहे है। यह वो मासूम बच्चे है जिनकी उम्र पढ़ाई करने की है, यह देश के आने वाले भविष्य है, लेकिन इनका भविष्य कागजों में दम तोड़ रहा है। बच्चे पक्की सड़क बनवाने कि मांग पर अड़े हुए है, अपने गांव वालों के साथ आंदोलन कर पक्की सड़क की मांग कर रहे है।

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