वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर से DFRI की टीम घोटाले की जांच करने के लिए बिलासपुर आई हुई है, जिसके आने से वन विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. अधिकारी एक तरफ जहां मीडिया से पर्देदारी में जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर जांच टीम को गुमराह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहें है.

बिलासपुर वन मंडल के अंतर्गत ग्राम सेलर में कैम्पा मद के प्रोजेक्ट के तहत करीब 30 हेक्टेयर भूमि पर प्लान्टेशन का कार्य वर्ष 2015-16 में किया गया, जिसके तहत विभाग के छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक उन पौधों के रख-रखाव व संरक्षण करने के लिए पूरे पांच सालो तक राशि का आहरण किया. इस प्रोजेक्ट के शुरुआत में लगभग ढाई करोड़ रुपए की लागत का खर्च बताया गया, और उनके संरक्षण के लिए भी लगभग उतना ही आहरण किया गया.

ये प्रोजेक्ट पूरे पांच सालों तक कागजों में सफलता के साथ संचालित होती रही. इन पौधों और प्रोजेक्ट्स की चेकअप / जांच करने के लिए जब एमपी के जबलपुर से DFRI से सीनियर टेक्निकल आफिसर कुलदीप सिंह सेंगर और वैज्ञानिक दीपिका जंगम की दो सदस्यीय टीम मंगलवार पहुंची, तो वन विभाग के रेंजर आलोक कुमार नाथ अपने साथ साइट्स निरीक्षण कराने लेकर गए. मौके पर पहुँचते ही जांच कमेटी के अधिकारी भौचक रह गए और भूमि को देखकर दांतों से ऊँगली चबा बैठे.

चूँकि, जिस जगहे पर प्रोजेक्ट का मॉडल कागजों में बताकर अब तक विभाग के अधिकारी वाहवाही लूट रहे थे, दरअसल वो भूमि बंज़र है, और जीरो प्लांटेशन है. याने कि प्रोजेक्ट कागजों तक ही हरी-भरी है, और स्पॉट पर दम तोड़ चुकी है. जिसे देखकर जांच कमेटी के सदस्य नाराज हुए और रिपोर्ट तलब किया. इस पर वन विभाग के अधिकारी ने पल्ला झाड़ते हुए पूरा ठीकरा जिला प्रशासन पर फोड़ते हुए भूमि को समतल कर दिए जाने की बात कही.

हालांकि, यह बात जांच कमेटी के अधिकारियों के गले से नहीं उतरी तो उन्होंने प्लांटेशन के डे वन से लेकर पूरे पांच सालों का रिकार्ड माँग लिया है. इसी तरह बिलासपुर में हुए कैम्पा फंड से अन्य कार्यों का भी टीम अब जांच करेगी.

इस मामले को लेकर वन विभाग के रेंजर से लेकर सीसीएफ स्तर तक के अधिकारी मीडिया को जांच टीम से दूर ही रखा. हर बार जांच टीम का लोकेशन बदलते रहे, और मामले में परदा डालने की पूरी कोशिश की गई. जब इस मामले में सीसीएफ नावेद साउद्दीन से मीडिया ने बातचीत करना चाही तो उन्होंने बात को टालते हुए डीआरएफआई की टीम आने की ही कही. बहरहाल, अब टीम की जांच के बाद ही मामले का खुलासा हो सकेगा.