धमतरी. वनाधिकार संघर्ष समिति और छत्तीसगढ़ किसान सभा की संयुक्त बैठक में वनाधिकार कानून के सही क्रियान्वयन के लिए संघर्ष छेड़ने का फैसला किया गया है. बैठक में मुड़पार, बरारी, बेलोरा, जवर गांव, अरोड़, लीलर, कसावाही, तुमराबहार आदि गांवों के किसान शामिल हुए. इनका नेतृत्व कोमलसिंह ध्रुव, अजीतराम निषाद तथा खिलेन्द्र कुमार आदि कर रहे थे. इन आदिवासी किसानों ने वन भूमि पर दावों के आवेदन अधिकारियों द्वारा स्वीकार न किये जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए मांग की है कि राज्य सरकार वनाधिकार कानून पर अमल की प्रक्रिया में तेजी लाए तथा दावों के प्रमाण हासिल करने के लिए आदिवासियों की मदद करें.

बैठक में इन किसानों ने बताया कि उनके आवेदनों की आज तक पावती नहीं दी गई और बिना किसी छानबीन के, उन्हें सूचित किये बिना दावे निरस्त कर दिए गए. निरस्त दावों में बड़ी संख्या ऐसे दावों की है, जिन्हें ग्राम सभा ने स्वीकृत किया था, लेकिन ब्लॉक अधिकारियों ने मनमाने ढंग से निरस्त कर दिया है. उन्होने बताया कि धमतरी ब्लॉक में 5000 से ज्यादा आदिवासी परिवार वन भूमि में काबिज है, लेकिन केवल 525 परिवारों को ही आधे-अधूरे पट्टे दिए गए हैं, जबकि सामुदायिक अधिकार के एक भी पट्टे स्वीकृत नहीं किये गए हैं. चर्चा में इन आदिवासियों ने यह भी बताया कि वास्तविक कब्जा होने के बावजूद सरकार द्वारा मांगे गए साक्ष्यों को जुटाना बहुत कठिन है, क्योंकि प्रशासन के अधिकारी कोई सहयोग नहीं कर रहे हैं.

छग किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते ने बताया कि ग्राम सभा की स्वीकृति के बाद दावों को निरस्त करना गैर-कानूनी और तानाशाहीपूर्ण कदम है और पेसा और वनाधिकार कानून के प्रावधानों के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की खनिज संपदा को कारपोरेटों को सौंपने के लिए वनाधिकार कानून को लागू नहीं किया जा रहा है और जिन्हें पट्टे दिए गए हैं, उनसे भी जबरन छीने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यदि सुप्रीम कोर्ट का बेदखली के आदेश लागू हो जाएगा, तो प्रदेश में 25 लाख आदिवासियों को बेदखली का सामना करना पड़ेगा. आदिवासियों की कठिनाईयों के मद्देनजर उन्होंने मांग की कि 2005 के पूर्व की जनगणना और मतदाता सूचियों के रिकॉर्ड सार्वजनिक अवलोकन के लिए सभी स्तरों पर उपलब्ध करवाया जाएं.

बैठक में निर्णय लिया गया कि वनाधिकार के आवेदनों को भरवाने के लिए पूरे जिले में अभियान चलाया जाएगा और प्रदर्शनों के जरिये इन्हें लेने के लिए संबंधित अधिकारियों को बाध्य किया जाएगा. बैठक में किसान सभा नेता सुखरंजन नंदी, सीटू नेता समीर कुरैशी, गजेंद्र झा, मणिराम देवांगन, महेश शांडिल्य, पुरुषोत्तम साहू आदि भी उपस्थित थे.