बढ़ते हुए वैश्विक बाजारीकरण एवं भौतिकतावाद की अंध दौड़ ने धनतेरस के रूप को गलत ढंग से प्रेषित किया है. कुछ लोगों ने एक कदम आगे बढ़ कर इसे तारों, ग्रहों-नक्षत्रोंं को भी बाजार से जोड़ कर खरीदी, बिक्री के अनुकूल बता दिया. जबकि हकीकत यह है कि धन्वंतरि का जन्म त्रयोदशी के दिन होने के कारण इसे धनतेरस बोला जाता है. इसे भी पढ़ें : धनतेरस पर विशेष : ज्वेलरी बेचने में रत्ती के पौधे का दाना आज भी है विश्वसनीय

वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्रा कहते हैं कि धनतेरस का कोई संबंध भौतिक सम्पत्ति, धनराशि, बहुमूल्य सम्पतियों, सोने-चांदी, वाहनों से नहीं है. बल्कि उत्तम स्वस्थ्य एवं निरोगी शरीर ही जीवन की अमूल्य पूंजी और धन का प्रतीक है. इस लिहाज से इस धनतेरस पर अच्छे स्वास्थ्य, मानसिक एवं शारीरिक समृद्धि की कामना करें.

उन्होंने कहा कि आयुर्वेदाचार्य एवं चिकित्सक धन्वन्तरि ने ही वनस्पतियों से औषधियों निकालने की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया था, इसलिए ही इनके एक हाथ में अमृत कलश और दूसरे हाथ में वनस्पतियों से चिकित्सा याआयुर्वेद की अवधारणा की गई है.

इसे भी पढ़ें : डोपिंग जांच में विफल हुई 2 बार की ग्रैंडस्लैम चैम्पियन, सिमोना हालेप पर लगा अस्थाई प्रतिबंध …

औषधीय वनस्पतियों के ज्ञाता धन्वंतरी ने बताया कि समस्त वनस्पतियाँ औषधि के समान हैं, उनके गुणों को जान कर उनका सेवन करना व्यक्ति के शरीर के अंदर निरोगिता लाएगा. जो स्वस्थ रहने में सहायक है, इसीलिए अमृत भी कहा जा सकता है. प्रकृति से जो औषधीय गुण अनेक वनस्पतियों को प्राप्त हुए हैं, वह बेमिसाल हैं.

धन्वंतरि को वनस्पतियों पर आधारित आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य आरोग्य का देवता कहते हैं. इन्होंने ही वनस्पतियों को ढूंढ-ढूंढ कर अनेक औषधियों की खोज की थी. इनके वंश में दिवोदास हुए, जिन्होंने ‘शल्य चिकित्सा’ का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया, जिसके प्रधानाचार्य सुश्रुत बनाये गए थे.

इसे भी पढ़ें : कोर्ट मैरिज के लिए इंतजार करता रहा दूल्हा, मेकअप कराने के बहाने डेढ़ लाख रुपए लेकर फरार हुई दुल्हन

सुश्रुत दिवोदास के ही शिष्य और ॠषि विश्वामित्र के पुत्र थे. उन्होंने ही सुश्रुत संहिता लिखी थी. सुश्रुत विश्व के पहले सर्जन (शल्य चिकित्सक) माने जाते हैं ,धन्वंतरि की स्मृति में ही इस दिन को “राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है.