रायपुर। बीजेपी नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस की. उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार पर एक साथ कई मुद्दों पर हमला बोलते हुए सवाल उठाए. सिलगेर गोलीकांड, बीएड-डीएड संघ के प्रदर्शन, मंत्रियों और विधायकों के परफारमेंस रिपोर्ट, मुफ्त वैक्सीनेशन समेत हाईकोर्ट में लगी याचिका पर राजनीति हो रही है. राज्य सरकार को घेरने में विपक्ष कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. सिलगेर गोलीकांड मामले में कांग्रेस की जांच रिपोर्ट पर धरमलाल कौशिक ने कहा कि बीजेपी घटना स्थल तक नहीं जाती, तो कांग्रेस का दल भी नहीं जाता. मारे गए ग्रामीणों को सरकार न्याय दे. सरकार के ढुलमुल रवैये की वजह से हालात बिगड़े हैं.
मारे गए ग्रामीणों के परिजनों को मिलना चाहिए न्याय
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि 13 मई से 17 मई के बीच कई गांवों के लोग आंदोलन पर बैठे थे, लेकिन इस बीच वहां कोई मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारी मिलने तक नहीं गए. बीजेपी ने सबसे पहले टीम गठित कर तरेर्म तक पहुंची. जब गांव वाले ये कहने लगे कि बीजेपी पहुंच गई, लेकिन सरकार कहां है, कांग्रेस कहां हैं ? इसके बाद कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल वहां गई. सरकार के प्रतिनिधि बनकर वहां गए थे, तो कुछ घोषणा करके लौटना था. लेकिन कमेटी ने रिपोर्ट बनाकर सरकार को सौंपा दिया. गांवों वालों की मांगों पर अब सरकार क्या घोषणा करती है ये हम देख रहे हैं. मारे गए ग्रामीणों के परिजनों को न्याय मिलना चाहिए.
अधिकारों के लिए आंदोलन करना पड़े सरकार के लिए शर्म की बात
बीएड-डीएड संघ के प्रदर्शन पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि साल 2019 में कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद बड़ा ढिंढोरा पीटा. वाहवाही लूटी की हमने रेगुलर शिक्षकों के लिए विज्ञापन जारी किया है. लिखित परीक्षा हुई. साक्षात्कार हुआ. दस्तावेजों का वेरिफिकेशन हुआ. लेकिन अब तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया है. सरकार ने उन्हें वंचित रखा है. नियुक्ति होने के बाद मजबूर है. सरकार ने धरना के दौरान लाठीचार्ज किया था. मुख्यमंत्री ने एक हफ्ते के भीतर नियुक्ति देने की बात कही थी. लेकिन 2021 आ गया, अब भी नियुक्ति नहीं हुआ. प्रदर्शन करने पर धमकी दी जा रही है कि देख लिया जाएगा. यह सरकार की तानाशाही रवैया है. यह लोकतंत्र में उचित नहीं है. अपने अधिकारों के लिए उन्हें आंदोलन करना पड़े, यह सरकार के लिए शर्म की बात होनी चाहिए. आखिर सरकार नियुक्ति क्यों नहीं दे रही ? लाॅकडाउन में भी ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है. अध्यक्ष क्या करते हैं, क्या कहते हैं, शायद वह खुद नहीं समझते. अपनी सीमाओं में रहे, तो ज्यादा ठीक होगा. उन्हें कितना महत्व मिलता है. यह सब जानते हैं.
प्रदेश में ढाई साल में विकास के काम ठप्प
मंत्रियों और विधायकों के परफारमेंस रिपोर्ट तैयार किए जाने की तैयारी पर धरमलाल कौशिक ने कहा कि मंत्री और विधायकों की परफारमेंस रिपोर्ट नहीं मालूम की क्या होगी ? ढाई साल में प्रदेश में विकास के काम ठप्प हो गए हैं. सरकार के काम ठप्प हो चुके हैं, तो विधायकों का क्या होगा ? मंत्रियों में तकरार की स्थिति है. विधायक मंत्रियों से नाराज हैं. मंत्रियों के घर का घेराव तक होता है. मुख्यमंत्री और मंत्रियों की जहां तक बात है, कई महत्वपूर्ण बैठकों में मंत्रियों को जानकारी नहीं दी जाती. ढाई साल हो गए इस पार्टी को अपने परफारमेंस रिपोर्ट बनानी चाहिए. कहां तक सफल हुए हैं, इसकी जानकारी लेनी चाहिए. विधानसभा चुनाव में जो 36 बिंदुआ जारी किए गए. उसमें हर किसी के बयान कुछ अलग-अलग रहे. यह सरकार का परफारममेंस है. पार्टी इसे देखे फिर निर्णय ले.
पीएम मोदी ने वैक्सीनेशन की ली पूरी जिम्मेदारी
केंद्र के मुफ्त वैक्सीनेशन के फैसले पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस देश के प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों का भरोसा कायम रखा है. आज भी हिन्दुस्तान में सबसे लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी हैं. यह मैं नहीं कह रहा, यह सर्वे में बात सामने आई है. मोदी ने स्पष्ट किया है कि राज्यों की तरफ से यह बाते आई कि राज्यों को जवाबदारी दी जाए. मोदी ने जवाबदारी दी, लेकिन कोरोना काल में सरकार की क्या स्थिति रही. सरकार पूरी तरह फेल रही. वैक्सीन केंद्र से आई, लेकिन सरकार लगा पाने में असफल रही. 18 प्लस वैक्सीनेशन को लेकर राजनीति शुरू हो गई. प्रधानमंत्री ने यह देखा कि राज्य सिर्फ केंद्र पर ठीकरा फोड़ सकते हैं, कुछ कर नहीं सकते. प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीनेशन की पूरी जिम्मेदारी ले ली.
एफआईआर की यह संस्कृति उचित नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह और संबित पात्रा के हाईकोर्ट में याचिका लगाए जाने पर धरमलाल कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने विपक्ष के नेताओं को फंसाने के लिए एफआईआर करवा रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के कहने पर शिकायत की जा रही है. यह राजनीतिक मामला है. ऐसे मामलों पर हाईकोर्ट जाना चाहिए. संबित पात्रा के खिलाफ पूर्व में भी जो एफआईआर कराई गई थी, वहां से उन्हें राहत मिली. एफआईआर रद्द की गई. एफआईआर की यह संस्कृति उचित नहीं है.
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