नेहा केशरवानी, रायपुर. अधिकारी-कर्मचारियों की हड़ताल को अब कांग्रेस विधायकों का भी समर्थन मिलने लगा है. बीजापुर विधायक विक्रम शाह मंडावी ने अपने विधानसभा अंर्तगत कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है. इस पर बीजेपी विधायक धरमलाल कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है कि DA को लेकर धरना करना पड़ रहा है. राज्य सरकार DA देने में असमर्थ है. धरना देना कर्मचारियों की मजबूरी है. उनके कद्दावर मंत्री ने भी स्वीकारा है. कांग्रेस के जनप्रतिनिधि भी सहमत हैं कि उनकी मांग जायज है.
धरमलाल कौशिक ने कहा कि प्रदेश सरकार की हठधर्मिता है कि वे कर्मचारियों से बात नहीं कर रहे, बात करके रास्ता निकालना चाहिए. कामकाज ठप पड़े हैं, कार्यालय खुले हैं, काम नहीं हो रहा हैं. ऐसे समय में इस सरकार को चाहिए कि उनसे बातचीत करें उनकी मांगों पर विचार करें. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ दिवालियापन की कगार पर है. आज तक DA को लेकर समस्या नहीं आई, तो अब सरकार DA देने की स्थिति में क्यों नहीं है? सरकार के पास सोच और नीति का अभाव है. यह सरकार DA देने में असमर्थ हैं, केवल बहाने बना रहे हैं. हड़ताल से करोड़ों राजस्व का नुकसान हो रहा है, अधिकारी कर्मचारियों के साथ अन्याय है, केंद्र सरकार DA दे रही है राज्य सरकार को भी देनी चाहिए.
कांग्रेस का चुनाव केवल दिखावा
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनावों को लेकर कौशिक ने कहा कि चुनाव महज एक नौटंकी है. कांग्रेस के सीनियर लीडर कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं. वरिष्ठ अपमानित हो रहे हैं. मोदी जी के आने के बाद 400 से ऊपर पदाधिकारी पार्टी छोड़ चुके है, लगातार चुनाव हार रहे हैं. किसी भी पार्टी का आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो जाए तो उस पार्टी की दुर्गति ऐसे ही होती है. इसीलिए लोग कांग्रेस छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं. पार्टी में बोलने की आजादी नहीं है. अपनी बात कहने की आजादी नहीं है, सीनियर लीडर को बोलने की आजादी नहीं, वह चुनाव की क्या कल्पना करें? ये सब महज एक दिखावा है.
लोगों का ध्यान भटका रही सरकार
वहीं दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की महारैली को लेकर कौशिक ने कहा कि राज्य में तो सफलता मिल नहीं रही है. बिजली, पेट्रोल-डीजल में कोई राहत नहीं है, वैसी सरकार को दिल्ली में प्रदर्शन करने का कोई अधिकार नहीं है. केंद्र सरकार ने जो राहत हिंदुस्तान की जनता को दी है छत्तीसगढ़ में सरकार जनता को राहत क्यों नहीं देना चाहते? लोगों का ध्यान भटकाने का कोई औचित्य नहीं है.
नक्सल मोर्चे पर सरकार फेल
नक्सलवाद को लेकर कौशिक ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य बना तो विरासत में नक्सलवाद मिला. मध्यप्रदेश में नक्सलवाद हावी था और उस समय कांग्रेस की सरकार के कैबिनेट मंत्री को घर से निकाल कर मारा गया था. 15 साल की बात करें तो रमन सिंह ने उन इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर सड़क, पानी, बिजली, टेलीकॉम टावर बिछाने का काम किया था. कांग्रेस की सरकार आने के बाद सड़क बनाने जाते हैं तो नक्सली उपकरण जला रहते हैं. अगवा कर लेते हैं, हत्या हो जाती है, सारे कार्य बंद हो चुके हैं. इस सरकार ने पिछले 15 साल में प्रदेश को पीछे धकेलने का काम किया हैं. इस सरकार में नक्सलियों का मनोबल बढ़ा हुआ है, जन अदालत अभी भी लगाया जा रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह कह कर गए कि नक्सल केंद्र और राज्य दोनों की जवाबदारी है. जब अमित शाह ने राज्य सरकार की आलोचना नहीं की, लेकिन उसके बाद भी राज्य सरकार अपनी जवाबदारी में असफल है और केंद्र के ऊपर आरोप लगाते रहते हैं.
नशे को मिल रही पनाह
प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर कौशिक ने कहा कि हिंदुस्तान के तस्करों को छत्तीसगढ़ में पनाह मिल रही है. उन्हीं के लोग बिहार से आकर गांजा उठाकर ले जाते हैं. नाइजीरिया के लोगों का भी यहां से संबंध बना हुआ है. सरकार के संरक्षण में नशों का कारोबार चल रहा है. इसकी दोषी प्रदेश सरकार है. ये नहीं चाहते हैं कि यहां से अवैध नशे का कारोबार बंद हो.
कानून व्यवस्था लगातार गिरती जा रही है. जब तक नशा यहां से खत्म नहीं होगा तब तक कानून व्यवस्था ठीक नहीं होगी. ज्यादातर अपराधिक गतिविधियां नशा का कारण हैं. सरकार को कानून व्यवस्था ठीक करना है तो सबसे पहले नशे पर कंट्रोल करें.
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