शब्बीर अहमद, भोपाल। वर्तमान में शारदीय नवरात्र पर्व चल रहा है। लोग अपनी अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार देवी की उपासना में लीन हैं। कोई सामान्य रूप से पूजा-पाठ कर रहे हैं तो कोई कठिन तपस्या और साधना में रत है। इसी कड़ी में देवी उपासक स्वामी पुरुषोत्तमनंद महाराज ने भूमिगत समाधि ले ली है। उन्हें प्रशासन से समाधि की अनुमित नहीं है। पुलिस की मौजूदगी में उन्होंने तीन दिवसीय समाधि ले ली है। तीन दिनों तक समाधिस्थ होकर साधना करेंगे उसके बाद बाहर आएंगे। इस दौरान वहां पर जगराता होगा। उन्होंने लोक कल्याण के समाधि लेने की बात कही है।

जानकारी के अनुसार भोपाल साउथ टी.टी. नगर स्थित देवी भद्रकाली विजयासन दरबार परिसर में 30 सितंबर को सुबह 10 बजे स्वामी पुरुषोत्तमानन्द महराज ने तीन दिवसीय भूमिगत समाधि साधना प्रारम्भ की है। इस दौरान बड़ी संख्या में साधु संत और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में ब्राह्मणों द्वारा वेदमन्त्रों के बीच साधना की शुरुआत हुई है। समाधि साधना के लिए दरबार परिसर में पांच फीट चौड़ा, छह फीट लम्बा और सात फीट गहरा गड्ढा समाधि स्थल तैयार किया गया। पुरुषोत्तमानन्द ध्यानमुद्रा बनाकर आसन लगाए। इसके बाद उक्त गड्ढे को लकड़ी के पटियों से ढंक दिया गया है। वहां पर वस्त्र बिछाकर फूल चढ़ाए दिए गए हैं। स्वामी पुरुषोत्तमानन्द ने अपने द्वारा भूमिगत समाधि साधना का उद्देश्य लोक कल्याण की कामना बताया है।

बाल्यकाल से ही देवी भगवती की आराधना में संलग्न पुरुषोत्तमानन्द ने समाधि के पहले बताया कि भूमिगत समाधि के लिए उन्हें माता ने ही प्रेरित किया है। उन्हें पूरा भरोसा है कि उनके द्वारा भूमिगत समाधि साधना का यह अनुष्ठान पूर्णतया सफल होगा और इससे माता रानी के आशीर्वाद स्वरूप जो भी सिद्धि प्राप्त होगी उसका उपयोग वह निःस्वार्थ भाव से प्राणी मात्र के कल्याण के लिए करेंगे। फिलहाल लोगों की जिज्ञासा समाधि के बाद उनके सुरक्षित बाहर आने को लेकर बनी हुई है। वहीं समाधि की खबर के बाद श्रद्धालुओं की मंदिर में पहुंचकर देवी दर्शन का सिलसिला शुरू हो गया है।

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