प्रदेश भर में आज रथयात्रा की बड़ी धूम देखने को मिल रही है. हर पवित्र धार्मिक नगरों से भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलदाऊ के साथ रथ पर सवार होकर भ्रमण पर निकले. मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक रथयात्रा विदिशा में मनाया गया, जहां पिछले 200 सालों से रथ यात्रा निकाली जा रही है. 3 दिनों तक भव्य मेला भी लगता है. लाखों लोग शामिल होते हैं.
ऐसी मान्यता है कि करीब 200 साल पहले मनोरा के 42 गांव के राजा कहलाने वाले तरफदार मानकचंद भगवान जगन्नाथ स्वामी को लाने के लिए पिंड भरते हुए उड़ीसा जगन्नाथ पुरी गए थे, तभी से भगवान का एक स्वरूप मनोरा में भी विराजमान है.
उज्जैन की रथ यात्रा
महाकाल की नगरी उज्जैन में पुरी और अहमदाबाद की तर्ज पर रथयात्रा निकाली गई. शहर के बुधवारिया चौराहे से 19 फिट ऊंचे रथ में भगवन कृष्ण, सुभद्रा,और बलराम की प्रतिमा विराजमान होकर निकली. इस्कॉन मंदिर की रथ यात्रा में हजारों भक्त ने रथ खींचकर पुण्य लाभ कमाया। उज्जैन महाकाल की नगरी होने के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली भी है. इसी लिहाज से यहां रथयात्रा की बड़ी धूम होती है.
खरगोन के भगवान जगन्नाथ की यात्रा
खरगोन के पवित्र और ऐतिहासिक नगरी महेश्वर में धार्मिक मान्यता है कि भगवान के स्वस्थ होने पर भगवान जगन्नाथ के मंदिर के पट खुलते है और फिर धूमधाम से रथयात्रा निकलती है. इसी क्रम में महेश्वर के पेशवा घाट से भगवान भ्रमण पर निकले. इस मौके पर हर कोई भगवान के रथयात्रा की रस्सी को खींचने के लिये आतुर नजर आए. ढोल की थाप पर धार्मिक यात्रा में नृत्य दल के साथ लोग भी भक्ति भाव के थिरकते नजर आए. रास्ते भर भगवान जगन्नाथ के जयघोष से पवित्र नगरी महेश्वर गूंज उठी.
बता दें कि प्रदेश में जहां जहां रथ यात्रा निकली प्रशासन की व्यवस्था चाक-चौबंद भी थे. जगह जगह खाने, पीने के स्टाल लगाए गए थे. कोरोना में 2 साल तक रथयात्रा नहीं निकल पाई थी. इसलिए लोगों में इस बार काफी उत्साह देखा गया.
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