रायपुर। छत्तीसगढ़ में 76 हजार से अधिक दिव्यांग छात्र-छात्राएं हैं. लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए नियुक्त विशेष शिक्षकों की संख्या सिर्फ 240 है. इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से नवीन पदों की स्वीकृति दी है. इस तरह राज्य में 848 विशेष शिक्षक के पद अस्तित्व में आ गए हैं. लेकिन सवाल यह कि राज्य में अभी कार्यकर्त विशेष शिक्षक संविदा पर हैं, नियमित कोई भी नहीं है. लिहाजा संघ की ओर से यह मांग उठती रही है कि विशेष शिक्षकों का संविलियन कब होगा ? उन्हें नियमित सरकार कब करेगी ? इन्हीं सब मांगों को लेकर विशेष शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मुलाकात की है.

संघ का कहना है कि छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में विकासखंड स्तर पर कुल 240 बीआरपी समावेशी समन्वयक एवं विशेष शिक्षक विगत 14 से 18 वर्षों से कार्यरत हैं. छत्तीसगढ़ में कुल दिव्यांग बच्चों की संख्या 76,000 से भी अधिक है और सिर्फ इन्हीं 240 विशेष शिक्षकों की सहायता से इन सभी दिव्यांग बच्चों का अध्ययन-अध्यापन एवं शासन की सुविधाओं को मुहैया कराया जाता है. राज्य परियोजना कार्यालय रायपुर से संचालित समग्र शिक्षा अंतर्गत इन सभी 76,000 दिव्यांग बच्चों के लिए 240 विशेष शिक्षक की व्यवस्था शासन ने की है, जिनके माध्यम से इन सभी दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है.

अभी वर्तमान में राज्य शासन ने नवीन नियमित विशेष शिक्षक के पदों की स्वीकृति दी है. यह स्वीकृति पूर्णतः सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार की जा रही है. सर्वोच्च न्यायालय से शासन को प्राप्त निर्देशानुरूप कुल 848 विशेष शिक्षक के पद अस्तित्व में आ चुके हैं. इन पदों का राजपत्र में प्रकाशन छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा किया जा चुका है.

इस ऐतिहासिक दौर में छत्तीसगढ़ प्रदेश स्पेशल एजुकेटर संघ के अध्यक्ष सौम्य देवांगन के द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है कि पूर्व में कार्यरत 240 विशेष शिक्षकों को शासन द्वारा स्वीकृत नए विशेष शिक्षक के पदों में संविलियन करने की कार्यवाही जल्द से जल्द की जाए. इस तारतम्य में संघ के पदाधिकारीगण लगातार मुख्यमंत्री महोदय एवं शासन स्तर के उच्च अधिकारियों से भेंट कर अपना प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर रहे हैं.

शासन द्वारा स्वीकृत इन पदों में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार जो विगत समय में दिव्यांग बच्चों के लिए सेवाएं दे रहे हैं, उनके साथ स्वीकृत नए पदों में शासन द्वारा संवेदनशीलता का परिचय देते हुए नियमितीकरण या भर्ती में विशेष सुविधाएं या आरक्षण प्रदान करने की बात की गई है. लेकिन संघ के अध्यक्ष सौम्य देवांगन के द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार 240 में से लगभग 107 साथी ऐसे हैं जिन्होंने विगत 14 से 15 साल तक सेवा देते-देते दिव्यांग बच्चों के लिए कार्य करते-करते उनकी उम्र 50 वर्ष से भी अधिक हो चुकी है.

संघ के पदाधिकारीगणों का कहना है कि उनके पास एकमात्र विकल्प यह है कि शासन-प्रशासन उनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए दिव्यांग बच्चों के लिए लंबे समय से पुनीत कार्य कर रहे समावेशी समन्वयक बीआरपी एवं स्पेशल एजुकेटर का वर्तमान योग्यता अनुरूप शासन द्वारा स्वीकृत 848 पदों में परीक्षण का संविलियन किया जाना चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार भी पूर्व में कार्यरत सभी विशेष शिक्षकों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर संविलियन की कार्यवाही की अपेक्षाएं रखी गई हैं. संघ के प्रांत अध्यक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुनः छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा 15 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें नए पदों की भर्ती एवं पूर्व में कार्यरत कर्मचारियों के लिए राज्य शासन को संवेदनशीलता का परिचय देना होगा. वर्तमान में 76,000 दिव्यांग बच्चों के लिए कार्य कर रहे इन विशेष शिक्षकों को शासन द्वारा संविलियन करने की अपेक्षाएं और निवेदन संघ के समस्त सदस्यों ने की है.

इस क्रम में 26 जून को संघ के द्वारा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से भेंट कर अपनी बातों को उनके समक्ष रखा गया, जिस पर मुख्यमंत्री ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए जल्द ही सकारात्मक कार्यवाही का भरोसा दिलाया है. संघ के पदाधिकारीगणों को मुख्यमंत्री से मिलने के बाद अपना भविष्य संवरता हुआ नजर आ रहा है, जिसके लिए पदाधिकारीगणों ने मुख्यमंत्री को हृदय से धन्यवाद देते हुए जल्द ही उनका आशीर्वाद प्राप्त होने की अपेक्षा की है.

संघ ने कहा कि दिव्यांग बच्चों के लिए पुनीत कार्य कर रहे सभी बीआरपी समावेशी समन्वयक एवं विशेष शिक्षकों को इसका प्रतिफल जल्द ही मिलने की उम्मीद है. दिव्यांग बच्चों के लिए कार्य कर रहे छत्तीसगढ़ की सीमाओं से सटे हुए राज्यों में महाराष्ट्र, ओडिशा, झारखंड जैसे राज्य, वहां के विशेष शिक्षकों के लिए वहां की सरकारें अपनी संवेदनशीलता का परिचय दे रही हैं और सभी राज्यों में धीरे-धीरे पूर्व में कार्यरत सभी विशेष शिक्षकों के लिए बेहतर व्यवस्थाएं की जा रही हैं एवं उनका संविलियन किया जा रहा है.