हेमंत शर्मा, इंदौर। आईआईटी इंदौर और देश के कुछ बड़े संस्थानों ने मिलकर एक रिसर्च की है, जिसमें ये पता चला है कि कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएंट, खासतौर पर डेल्टा वेरिएंट, लोगों के शरीर पर लंबे समय तक असर डाल रहे हैं। इस रिसर्च को एक अंतरराष्ट्रीय साइंस जर्नल में छापा गया है।
शोध में बताया गया कि डेल्टा वेरिएंट ने शरीर के अंदर के हार्मोन और केमिकल्स का बैलेंस बिगाड़ दिया। जिससे कई लोगों में दिल से जुड़ी परेशानी और थायरॉइड जैसी दिक्कतें देखी गईं। रिसर्च टीम ने भारत में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के 3 हजार से ज्यादा मरीजों का डेटा देखकर ये नतीजे निकाले हैं।
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वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि कोरोना के वेरिएंट्स ने ब्लड रिपोर्ट में आने वाले कुछ खास पैमानों जैसे सीआरपी, यूरिया, डी-डाइमर वगैरह को भी बहुत प्रभावित किया। इनकी मदद से बीमारी कितनी गंभीर है, ये भी पता चल सकता है।
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आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर डॉ. हेम चंद्र झा ने कहा कि इस रिसर्च से अब हम समझ पाएंगे कि कोरोना का शरीर पर क्या असर होता है और आगे चलकर कौन-कौन सी बीमारी हो सकती है। इससे इलाज और जांच की बेहतर व्यवस्था की जा सकेगी। आईआईटी इंदौर के डायरेक्टर प्रो. सुहास एस. जोशी ने कहा कि यह रिसर्च दिखाता है कि हम अपने देश में भी बहुत उन्नत और जरूरी वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।
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