अब भारत की लोकसभा (Loksabha)और सांसद दोनों अधिक डिजिटल (Digital attendance )रूप से अनुकूल होने जा रहे हैं. संसद के मॉनसून सत्र से लोकसभा सांसदों को अपनी हाजिरी अब सीट से ही लगानी होगी, जबकि पहले वे लॉबी में रखे रजिस्टर में अपनी उपस्थिति दर्ज करते थे. हालांकि, इस बदलाव के बावजूद लोकसभा की लॉबी में मौजूद रजिस्टर को अभी हटाया नहीं जाएगा, लेकिन सांसदों को अपनी सीट पर बैठकर हाजिरी लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.

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अब लोकसभा सांसदों की हाजिरी को आधुनिक तकनीक से सुसज्जित किया गया है. सभी सांसद अपनी सीट पर बैठकर तीन तरीकों से अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं. पहले, वे अपने मल्टीमीडिया कार्ड का उपयोग करके हाजिरी लगा सकते हैं. दूसरे, सांसद अपने पिन नंबर के माध्यम से भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं. तीसरे, वे अपने अंगूठे के निशान से सीट पर लगे इंप्रेशन ग्रैबर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

कई बार हाजिरी लगाने के लिए लगती थी भीड़

पहले सांसदों को हाउस के बाहर हाजिरी लगाने के लिए हस्ताक्षर करने के लिए जाना पड़ता था, जिससे कई बार भीड़ भी लगती थी. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. जुलाई के पहले सप्ताह में उन्होंने बताया था कि संसद में बार-बार होने वाले व्यवधानों में कमी आई है, जिससे संसद के कार्य और चर्चाओं में वृद्धि हुई है.

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लोकसभा अध्यक्ष ने गुरुग्राम में आयोजित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के राष्ट्रीय सम्मेलन में यह बात कही. उन्होंने उल्लेख किया कि लोकसभा में सत्र देर रात तक चलते हैं, जिसमें लंबी चर्चाएँ और वाद-विवाद होते हैं, जो लोकतांत्रिक संस्कृति की परिपक्वता और जिम्मेदारी को दर्शाते हैं. इसके साथ ही, उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों से आग्रह किया कि वे जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए नियमित बैठकें आयोजित करें और लोगों की भागीदारी को बढ़ावा दें.

रचनात्मक और समावेशी चर्चाएं करें

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने संबोधन में शहरी स्थानीय निकायों में प्रश्न काल और शून्य काल जैसी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के समावेश के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने प्रतिनिधियों को बताया कि संसद में ऐसे प्रावधानों ने कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बिरला ने यह भी कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को संसद की तरह व्यवधानों से बचते हुए रचनात्मक और समावेशी चर्चाओं को बढ़ावा देना चाहिए.

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अटेंडेंस सिस्टम पर कांग्रेस सांसद ने उठाया सवाल

कांग्रेस सांसद माणिकम टैगोर ने लोकसभा में उपस्थिति दर्ज कराने की नई प्रणाली पर आपत्ति जताई है. उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री और मंत्रियों को इस प्रक्रिया से छूट क्यों दी गई है. आगामी मानसून सत्र से सदस्यों के लिए उपस्थिति दर्ज कराने की यह नई व्यवस्था लागू होने जा रही है, जिसमें सदस्यों को अपनी सीट पर ही उपस्थिति दर्ज करनी होगी, न कि लॉबी में जाकर. उल्लेखनीय है कि मंत्रियों और नेता प्रतिपक्ष को उपस्थिति के लिए हस्ताक्षर करने की आवश्यकता नहीं होगी.

क्यों मिली है छूट

लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक टैगोर ने ‘एक्स’ पर जानकारी साझा की कि इस मॉनसून सत्र में उपस्थिति दर्ज करने के लिए नया मल्टीमीडिया सिस्टम लागू किया जाएगा. हालांकि, उन्होंने वक्फ विधेयक पर मत विभाजन के दौरान इस प्रणाली की विफलता का उदाहरण दिया, जब यह सही तरीके से कार्य नहीं कर रही थी. उन्होंने यह सवाल उठाया कि एक दोषपूर्ण प्रणाली को फिर से क्यों अपनाया जाए. इसके अलावा, उन्होंने यह भी पूछा कि यदि उपस्थिति दर्ज करने की यह प्रक्रिया पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए है, तो प्रधानमंत्री और मंत्रियों को इससे छूट क्यों दी जा रही है?

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PM को पेश करना चाहिए उदाहरण

टैगोर ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या प्रधानमंत्री को प्रक्रिया के बजाय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए नेतृत्व नहीं करना चाहिए. इससे यह स्पष्ट होगा कि प्रधानमंत्री लोकसभा में कितने समय तक उपस्थित रहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि केवल उपस्थिति को डिजिटल बनाने के बजाय, हमें प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता है. इसके तहत सभी के लिए अनिवार्य उपस्थिति, पारदर्शी भागीदारी, बोलने के रिकॉर्ड और मतदान के स्वत: प्रकाशन की व्यवस्था होनी चाहिए. कांग्रेस सांसद ने यह भी बताया कि डिजिटल उपकरणों की प्रभावशीलता उनके पीछे की मंशा पर निर्भर करती है.