राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। राज्यसभा सांसद एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने “मुख्यमंत्री कोविड विशेष अनुग्रह योजना” तथा “मुख्यमंत्री कोविड जनकल्याण योजना” को कोरोना से मृतकों के परिवार के घाव पर नमक छिड़कने जैसा बताया है। दिग्विजय सिंह ने अपने 3 पेज के पत्र में योजनाओं की वास्तविकता पर अनेक सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से उसकी कमियों को दूर करने की मांग की है।

उन्होंने कहा, “इन योजनाओं का लाभ कोरोना से निधन हुये सभी व्यक्तियों के परिवारों तक नहीं पहुंच सकता है क्योंकि योजनाओं के अच्छी होने के बावजूद सरकार की मंशा अच्छी दिखाई नहीं दे रही है।”

पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कोरोना से हुई मृत्यु के सरकारी आंकड़ों पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कोरोना से अब तक प्रदेश में 1 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी है लेकिन सरकार 22 मई तक के आंकड़ों में 7394 लोगों की ही मृत्यु बता रही है। उन्होंने कहा क्या आप इन आंकड़ों को महामारी पर अपनी सफलता दर्शाने के लिये छुपा रहे हैं या फिर किसी अन्य वजह से?

दिग्विजय सिंह ने एक परिवार का उदाहरण देकर बताया जिसमें पति-पत्नी दोनों की कोरोन से मौत हो गई और परिवार में उनका एक ही बेटा बचा हुआ है। जिसे अस्पताल और विश्राम घाट से मिले सर्टिफिकेट में कोविड से मृत्यु का उल्लेख था। लेकिन नगर निगम द्वारा उन सर्टिफिकेट को अपने पास रख लिया गया और उसे पिता की मृत्यु का सामान्य प्रमाण पत्र दे दिया गया। इसी तरह वो अपनी मां की मृत्यु सर्टिफिकेट के लिए भटक रहा है, यहां भी सामान्य मृत्यु का प्रमाण पत्र देने की बात कही गई है।

पढ़िये पत्र

प्रिय श्री शिवराज सिंह जी,

आपके द्वारा मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी के कारण मृतक शासकीय कर्मचारियों के लिये ‘‘मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना’’ तथा आम जनता के लिये ‘‘मुख्यमंत्री कोविड जनकल्याण (पेंशन, शिक्षा, राशन) योजना’’ प्रारंभ करने की घोषणा की गई है। आपने कोरोना से मृतक शासकीय कर्मचारियों के साथ कोरोना से पीड़ित आम जनता को भी योजना में शामिल किया, यह सरकार का एक सराहनीय कदम है। मैने मध्यप्रदेश शासन के वित्त विभाग द्वारा ‘‘मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना’’ के संबन्ध में दिनांक 21.05.2021 को जारी आदेश देखा है जिसमें कोरोना से मृतक शासकीय कर्मचारी के परिवार को 5 लाख रूपये की सहायता देने का प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री कोविड जनकल्याण योजना के अंतर्गत आम आदमी के कोरोना से निधन पर उसके परिवार को 1 लाख रूपये की अनुग्रह राशि, अनाथ बच्चों को पेंशन और उनकी निःशुल्क शिक्षा तथा राशन प्रदान करने की आपके द्वारा घोषणा की गई है। इस योजना के नियम एवं शर्तों के बारे में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों से स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि सरकार की योजनाएं महामारी में मृतक के परिवार पर मरहम लगाने की बजाय उनके घाव पर नमक छिड़कने जैसी है। वास्तव में इन योजनाओं का लाभ कोरोना से निधन हुये सभी व्यक्तियों के परिवारों तक नही पहुॅच सकता है क्योंकि योजनाओं के अच्छी होने के बावजूद सरकार की मंशा अच्छी दिखाई नही दे रही है।

मैं इस संबन्ध में निम्नलिखित बिन्दुओं की ओर आपका ध्यान आकर्षित करते हुये कुछ सुझाव भी दे रहा हूॅ ताकि इन योजनाओं का लाभ कोविड से मृतक परिवार तक वास्तविक रूप से पहुॅच सके।

(1) मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना के संबंध में वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश के बिन्दु क्रमांक-6‘ में यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि यह योजना 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 तक लागू होगी। अर्थात इस अवधि में किसी कर्मचारी के कोविड पाॅजिटिव होने तथा मृत्यु होने पर ही उसके परिवार को 5 लाख रूपये की अनुग्रह राशि दी जायेगी। यह आदेश उन मृतक शासकीय कर्मचारियों के परिजनों के लिये घाव पर नमक छिड़कने जैसा है, जिनका निधन कोविड के कारण 1 मार्च 2021 के पहले हुआ है। यह उन मृतक कर्मचारियों के परिवार के प्रति घोर असंवेदनशीलता और दोहरा आघात है। यह कितनी आश्चर्यजनक और शर्मनाक बात है कि सरकार की नजर में 1 मार्च 2021 के पहले कोरोना से मरने वाले कर्मचारियों का कोई महत्व नही है और उसे उनके परिवार की चिन्ता नही है। सरकार को इस महामारी में जान गंवा चुके सभी शासकीय कर्मचारियों के परिवार के दुःख को समान समझना चाहिए तथा उन्हे समान रूप से अनुग्रह राशि दी जानी चाहिए। साथ ही उनके परिवार के किसी एक सदस्य को 3 माह के अंदर अनुकंपा नियुक्ति दी जानी चाहिए। योजना को 30 जून तक सीमित किया गया है, इसे कोरोना महामारी के समाप्त होने तक बढ़ाया जाना चाहिए।

(2) आपने घोषणा की है कि ‘‘मुख्यमंत्री कोविड जनकल्याण (पेंशन, शिक्षा, राशन) योजना’’ के अंतर्गत सरकार आम आदमी की कोरोना से मृत्यु पर उसके परिवार को 1 लाख रूपये अनुग्रह राशि, अनाथ हुए बच्चों को 5000 रूपये प्रतिमाह पेंशन, उनकी निःशुल्क शिक्षा एवं उनके राशन की व्यवस्था करेगी। इस योजना में भी 1 मार्च 2021 के पहले कोरोना से मृतक लोगों के परिवारों को इसका कोई लाभ नही मिलेगा। इस योजना में यह शर्त भी डाल दी गई है कि कोरोना से ठीक हो चुके किन्तु उसके बाद ब्लैक फंगस, हार्ट अटैक, फैंफड़ों में इंफेक्शन आदि से मृत्यु हो जाने पर कोई सहायता राशि नही दी जायेगी। अर्थात इलाज के दौरान भी यदि किसी पेशेंट की आर.टी.पी.सी.आर. अथवा रेपिड एंटीजन जाॅच रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तो उसे कोविड मरीज नही माना जायेगा।

इसका आशय यह है कि ऐसे मरीज की अस्पताल में ही या अस्पताल से घर जाने के बाद हार्ट अटैक, ब्लैक फंगस या लंग्स इंफेक्शन से मृत्यु होने पर सरकार की नजर में वह कोविड से हुई मृत्यु नही है, और मृतक के परिवार को योजना का लाभ नही मिलेगा। यह कितना आश्चर्यजनक है कि कोविड के मरीजों में होने वाली ब्लैक फंगस बीमारी को सरकार एकतरफ महामारी घोषित कर चुकी है किन्तु कोविड के साथ या बाद हुई ब्लैक फंगस बीमारी से मरने वाले व्यक्ति को कोविड से मृतक नही माना जा रहा है।

(3) माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपसे पूछना चाहता हूॅ कि क्या आप उस व्यक्ति को कोविड संक्रमित नही मानते है जिसके चेस्ट की सी.टी. रिपोर्ट में उसके फैंफड़े 40 से 90 प्रतिशत संक्रमित पाये गये हो और उसकी आर.टी.पी.सी.आर या एंटीजन जाॅच रिपोर्ट नेगेटिव आई हो? यदि आप ऐसे व्यक्ति को कोविड संक्रमित नही मानते, तो फिर आप उनका इलाज कोविड अस्पताल में क्यों करा रहे है? और उनकी मृत्यु होने पर उनका अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाॅल के अनुसार क्यों किया जा रहा है?

(4) आप यह जानते है कि अप्रैल महीने में प्रदेश कोरोना से त्राहिमाम कर रहा था। न तो सरकार सभी लोगों के टेस्ट कर रही थी और न ही निजी लेबोरेटरी में टेस्ट हो पा रहे थे। ऐसे हालात में लोगों ने चेस्ट का सी.टी. कराया और फेंफड़ों में संक्रमण पाये जाने पर अस्पताल में भर्ती हो गये। लेकिन लाखों लोगों को अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन और दवाईयाॅं नही मिल सकी। अनेक मरीजों ने एंबुलेंस, कार, ऑटो रिक्शा और हाथ ठेलों में तो कई ने अपने घरों में या अस्पताल के गेट पर दम तोड़ दिया। क्या आप उन लोगों को कोरोना से मृत नही मानेंगे?

(5) वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोग बीमार है जिन्हें कोविड के लक्षण है। सरकार द्वारा इनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुये इन्हें बिना जाॅच कराये दवाइयाॅं लेने की सलाह दी जा रही है। मैं आपसे पूछना चाहता हूॅ कि ऐसे लोगों की मृत्यु होने पर आप उन्हें कोरोना से मृत मानेंगे अथवा नही?

(6) मुझे यह कहते हुए बहुत दुःख है कि 1 मार्च 2020 के बाद मध्यप्रदेश में अभी तक 1 लाख से अधिक लोगों की कोविड से मृत्यु हो चुकी है, किन्तु आपकी सरकार द्वारा दिनांक 22.05.2021 की स्थिति में कोरोना से मृत लोगों की संख्या सिर्फ 7394 बताई गई है। क्या आप इन आंकड़ों को महामारी पर अपनी सफलता दर्शाने के लिये छुपा रहे है या फिर किसी अन्य वजह से?

(7) मेरा आपको सुझाव है कि जिला कलेक्टरों पर कोविड के आंकड़े छुपाने का जो दबाव है उससे आप उन्हें मुक्त करें। इससे जिन लोगों ने महामारी से अपने परिवार के सदस्य को खोया है उन्हें अनुग्रह राशि मिल सकेगी तथा सही आॅकड़ों के साथ महामारी से निपटने के लिये बेहतर रणनीति बनाकर लोगों को नये संक्रमण से भी बचाया जा सकेगा।

(8) मुझे निरंतर शिकायतें मिल रही है कि जिस व्यक्ति की कोरोना से मृत्यु हुई है उसके मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना से मृत्यु का उल्लेख नही किया जा रहा है। उदाहरणार्थ- छिंदवाड़ा जिले के श्री गिरीश डहेरिया, जो वर्तमान में सिवनी में निवास कर रहे थे, का दिनांक 18.04.2021 को भोपाल के न्यू ईरा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कोविड के उपचार के दौरान निधन हो गया। अगले ही दिन उनकी पत्नी श्रीमती दिव्या डहेरिया का जिला चिकित्सालय बैतूल में कोविड से निधन हो गया। स्व. डहेरिया दंपत्ति का सिर्फ 17 साल का एक पुत्र हनुशीष डहेरिया है जो 10 वीं कक्षा का छात्र है। भोपाल नगर निगम द्वारा उसे दिये गये पिता के मृत्यु प्रमाण पत्र में कोविड से मृत्यु का उल्लेख नही है जबकि अस्पताल और विश्राम घाट द्वारा दिये गये प्रमाण पत्र में कोविड से मृत्यु का उल्लेख था। नगर निगम भोपाल द्वारा अस्पताल और विश्राम घाट के प्रमाण पत्रों को रख लिया गया और हनुशीष को उसके पिता की सामान्य मृत्यु का प्रमाण पत्र दे दिया गया है। अब उसके पास अपने पिता की कोविड से मृत्यु होने का कोई ओरिजनल प्रमाण नही है।

(9) अपनी स्व. माॅ के मृत्यु प्रमाण पत्र के लिये यह किशोर लगातार बैतूल जिला चिकित्सालय के चक्कर लगा रहा है, किन्तु उसे अपनी माॅ की कोविड से मृत्यु होने का प्रमाण पत्र नही दिया जा रहा है। उससे कहा जा रहा है कि उसे एक सप्ताह बाद उसकी माॅ की सामान्य मृत्यु का प्रमाण पत्र दे दिया जायेगा। यह तो एक उदाहरण मात्र है, वास्तव में ऐसे अनेक लोग है जिन्हे उनके परिजनों की मृत्यु का प्रमाण पत्र तक सही नही दिया जा रहा है। क्या आपकी सरकार ऐसे मृतकों के परिवार को अनुग्रह राशि, पेंशन और सरकारी नौकरी देगी? मेरी आपसे माॅग है कि अस्पताल से दिये गये प्रमाण पत्र में यदि कोविड से मृत्यु का उल्लेख है तो नगर निगम, नगरपालिका या ग्राम पंचायत द्वारा दिये जाने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र में भी कोविड का उल्लेख अनिवार्य रूप से होना चाहिए ताकि कोरोना से जिन्दगी खो देने वाले लोगों के परिवार को इन योजनाओं का लाभ मिल सके।

(10) ‘‘मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना’’ तथा ‘‘मुख्यमंत्री कोविड जनकल्याण (पेंशन, शिक्षा, राशन) योजना’’ में उपरोक्तानुसार उल्लेखित कमियों को दूर करके योजना के आवेदन पत्र एक पृथक पोर्टल बनाकर आॅनलाइन स्वीकार किये जाने चाहिए ताकि योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता रहे तथा मृतकों के परिजनों को योजना का लाभ लेने के लिये सरकारी दफ्तरों और अधिकारियों के बार-बार चक्कर नही लगाना पड़े।

मेरा आपसे अनुरोध है कि उपरोक्त तथ्यों पर गंभीरता से विचार करते हुये कोरोना महामारी से मृतक सरकारी कर्मचारियों और आम लोगों की वास्तविक संख्या (जो लगभग 1 लाख से अधिक है) के आधार पर उनके परिजनों तक इन योजनाओं का लाभ पहुॅचाने का कष्ट करें। आशा है कि इस गंभीर संकट के समय आप कोरोना से कराहती मध्यप्रदेश की जनता को निराश नही करेंगे।

सादर।

आपका
(दिग्विजय सिंह)