राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। मध्यप्रदेश में चुनावी साल में सरकार और विपक्ष में एक-दूसरे की कमजोरी और खामियां गिनाने का सिलसिला चल रहा है। कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समय समय पर बीजेपी के विभिन्न मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधते रहते हैं। ताजा मामला प्रदेश में साक्षरता दर को लेकर है।
दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा है कि हमारी सरकार ने राजीव गांधी शिक्षा मिशन, पढ़ना बढ़ना व शिक्षा गारंटी जैसी योजनाओं पर ईमानदारी से किए अपने प्रयासों से नए मानक स्थापित किए। पुरुष साक्षरता दर में 18 प्रतिशत की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की है। साल 1993- 2003 कांग्रेस सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में काम करके जहां पूरे प्रदेश की साक्षरता दर बढ़ाने का काम किया तो वहीं महिलाओं की शिक्षा में मध्यप्रदेश की महिला साक्षरता दर में 21% का उछाल देखने को मिला।
हम अविभाजित मध्यप्रदेश की साक्षरता दर को एक दशक में सीमित संसाधनों के बावजूद 19% आगे ले गए परंतु क्या कारण है कि दो दशक की भाजपा सरकार में तमाम साधनों, संसाधनों व भारी बजट के बाद भी प्रदेश की साक्षरता दर में मामूली बढ़ोत्तरी हुई?
दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने बयान दिया है। कहा कि- बीजेपी जानती है कि लोग शिक्षित हो जाएंगे तो उन्हें वोट नहीं करेंगे, पढ़-लिख जाएंगे, समझ जाएंगे तो बीजेपी को वोट नहीं करेंगे। बीजेपी का यही विश्वास रहा इसी कारण बीजेपी ने शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया। संसाधन बढ़े लेकिन, साक्षरता नहीं बढ़ा पाए। दिग्विजय सिंह इंजीनियर हैं और साक्षरता समझ रहे थे, इसलिए वे शिक्षा पर काम कर रहे थे।
दिग्विजय सिंह के ट्वीट पर बीजेपी ने पलटवार किया है। बीजेपी मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि दिग्विजय का शासनकाल काला रहा है। चारों ओर अंधेरा था, चारों ओर लुटेरा था। दिग्विजय सिंह अब अपने शासनकाल को लेकर सफाई पेश कर रहे हैं। भोपाल की जनता भी 2019 में उनके शासनकाल पर मुहर लगा चुकी है।
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